संस्कारित घर की बेटी – लतिका पल्लवी

माँ जी आप ठीक तो है? कहते हुए सास की चिल्लाने की आवाज को सुनकर बहू समीरा रसोई से दौड़ते हुए अपने सास के कमरे मे आई और आकर देखा कि सास पलंग के नीचे गिरी हुई है।उसने मदद देकर उन्हें उठाने की कोशिश की पर वे बेहोश थी इसलिए समीरा उन्हें उठा नहीं पाई।

दोपहर का वक़्त था इसलिए घर मे समीरा और उसकी सास अनामिका जी थे।समीरा के ससुर और पति ऑफिस गए थे।उसने किसी तरह से पड़ोसियों की मदद से उन्हें उठाया और अस्पताल लेकर गई। डॉक्टर नें  कहा कि इन्हे लकवा का अटैक आया है और तुरंत ही उन्हें एडमिट कर लिया।

सास को अस्पताल मे भर्ती कराने के बाद उसने अपने पति को फोन किया और सारी बात बताकर जल्द अस्पताल पहुंचने को कहा। थोड़ी देर मे दोनों बाप बेटा अस्पताल पहुंच गए और डॉक्टर से जाकर पूछा “डॉक्टर अभी हालत कैसी है?खतरे की कोई बात तो नहीं है?”नहीं, समय पर अस्पताल पहुंच गई इसलिए खतरा तो कुछ नहीं है पर उनका दाया अंग लकवा के चपेट मे आ गया है।

इसलिए अभी कुछ भी कहा नहीं जा सकता है ठीक से इलाज होने पर हो सकता है कि कुछ महीनो मे ठीक हो जाय पर यह भी हो सकता है कि वे आजीवन ठीक नहीं हो और हमेशा के लिए बिस्तर पर ही रहे।डॉक्टर की बातो को सुनकर दोनों बाप बेटा चिंतित हो गए।

आजीवन बिस्तर पर!बेटे नें डॉक्टर से पूछा सर माँ तो सोइ हुई थी फिर यह कैसे और क्यों हुआ। डॉक्टर नें हँसते हुए कहा कुछ लोग सोचते है कि लकवा शौच के वक़्त बाहर जाने से ही होता है पर यह सच्चाई नहीं है। कभी भी जब ब्लड प्रेसर अचानक से बढ़ जाए तो ऐसी स्थिति हो सकती है

जो आपकी माँ के साथ हुआ है. वैसे इसके और भी कि कारण है। इसमें मृत्युदर बहुत ही कम होती है पर इस के ठीक होने के बारे मे भी ठीक से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। कुछ दिनों मे जब ब्लड प्रेशर समान्य हो जाएगा तो आप उन्हें घर ले जा सकते है पर समय पर दवा और मालिस का ध्यान रखना होगा।

मै बस इतना ही कह सकता हूँ कि माइनर अटैक है इसलिए इनके ठीक होने की संभावना बहुत ज्यादा है।डॉक्टर तो यह कह कर चले गए पर समीरा के ससुर और पति को अथाह चिंता मे डुबो गए। माँ की सेवा कैसे होंगी? समीरा की बेटी छोटी है। अभी तो एक वर्ष की भी नहीं है।

उसके लिए तो माँ की सेवा करना सम्भव नहीं है। नर्स रखना भी आसान नही है।नर्स का चार्ज तो एक दिन का एक हजार होगा। इतने पैसे कहाँ से आएगा। ससुर सोच रहे है समीरा को तो उसकी सास फूटी आँख भी नहीं देखती है।विवाह के तीन वर्ष होने को आए पर मैंने तो अनामिका को समीरा से कभी ठीक से बात करते हुए देखा ही नहीं है।

समीरा से जब भी बोलेगी जहर ही उगलेगी। समीरा को जब बेटी हुई थी तब वह समीरा की देखभाल के लिए अस्पताल भी नहीं गई थी।आलोक को नर्स रखकर समीरा और उसकी बेटी की देखभाल करवानी पड़ी थी। पर तब बात अलग थी उस समय आठ दिनों के लिए समीरा अस्पताल मे थी पर आज पता नहीं था कि अनामिका जी कब ठीक होंगी

और अपने काम स्वयं करने लायक होंगी। इस स्थिति मे नर्स का खर्च वहन करना आसान नहीं होगा। अब इस व्यवहार के बाद  भला समीरा उसकी सेवा क्यों करेगी जबकि उसके पास तो बेटी के छोटी होने का बहाना भी है? इस बात पर कोई उस पर दबाव भी नहीं बना सकता है। समीरा बहुत ही अच्छी बहू है।उसने बहू के सारे कर्तव्यों को अच्छे तरीके से निभाया भी है

जबकि अनामिका नें उसे हमेशा ही अपने बेटे को फंसाकर विवाह कर लेने का ताना ही दिया है। समीरा और आलोक का लव मैरेज नहीं था पर अरेंज मैरेज भी नहीं था। समीरा का भाई सुधीर और आलोक एक ही ऑफिस मे काम करते है। समीरा सुधीर को जो लंच देती थी उसे वह आलोक के साथ शेयर करता था।

आलोक को सुधीर का लंक बहुत ही पसंद आता था।उसनें एक दिन सुधीर से कहा यार तुम्हारी माँ तो बहुत ही अच्छा खाना बनाती है। तब सुधीर नें बताया लंच तो उसकी बहन समीरा बनाती है। आलोक खाने का बहुत ही शौकीन था। वह एकदिन बहाने से सुधीर के घर गया और समीरा से मिला। समीरा देखने मे भी अच्छी थी बस उसने घर आकर कहा कि वह समीरा से विवाह करना चाहता है।

अनामिका जी बेटे को मना नहीं कर सकी पर उनके मन मे यह बैठ गया कि समीरा नें आलोक को अपने रूप जाल मे फंसाकर उससे विवाह कर लिया है। उनके मन मे समीरा के लिए इसके आलावा कोई सोच बन ही नहीं पा रही थी। सुधीर के घर वालो नें विवाह मे कोई कमी नहीं रखी थी। उन्होंने बारात का स्वागत सत्कार अच्छे से किया। हमारे समाज मे कोई भी अपनी बेटी को खाली हाथ विदा नहीं करता है

इस रीत को सुधीर के परिवार वालो नें भी निभाया था और उन्होंने समीरा को गहने कपड़े तो दिए ही थे साथ ही पुरे परिवार को भी काफ़ी उपहार दिया था। इस हिसाब से सोच सकते है कि दहेज भी नही मिलने की बात नहीं थी।बस समस्या थी आलोक के द्वारा समीरा का चयन करना जो अनामिका जी पचा नहीं पा रही थी।

बेटा को तो कुछ कहा नहीं पर बहू को इसके लिए प्रतिदिन कुछ ना कुछ सुना देती थी।बार बार उसे यह एहसास दिलाती थी कि वह इज्जतदार घर की लड़की नहीं है क्योंकि उनके अनुसार किसी भी इज्जतदार घर की लड़की इस तरह से किसी लड़का को अपने प्रेमजाल मे फंसाकर विवाह नहीं करती है। वह इस बात को मानने को तैयार नहीं थी कि आलोक और समीरा मे कोई प्रेमसंबंध नहीं था। दोनों बाप बेटा अपने अपने तरीके से सोच मे डूबे थे पर दोनों की एक ही समस्या थी

अनामिका जी की सेवा कैसे होंगी। वे दोनों उदास बैठे हुए थे।कुछ काम था भी नहीं सिवा इंतजार करनें के। देखते देखते शाम हो गया। तब सुधीर नें कहा पापा जी “ मै गुड़िया और समीरा को लेकर घर जाता हूँ और अपने पापा और मम्मी को भेज देता हूँ। फिर आप दोनों भी घर जाकर आराम कीजिएगा। रात मे माँ पापा सब संभाल लेंगे।

कल सुबह मै समीरा को लेकर आऊंगा तब वे घर चले जाएंगे। घर जाकर सुधीर नें अपने मम्मी पापा को भेज दिया, पर आलोक और उसके पापा घर जाने को तैयार नहीं थे।तब दोनों नें उन्हें समझाया अभी कुछ भी सोचने बिचारने की जरूरत नहीं है। पता नहीं अभी समधन जी को कितने दिनों तक अस्पताल मे रहना पड़े।  एक ही व्यक्ति दिनरात अस्पताल मे नहीं रह सकता है

इसलिए सभी मिल जुलकर थोड़े थोड़े समय रुकेंगे यही सही होगा। काफ़ी समझा बुझाकर उन्होंने आलोक और उसके पापा को घर जाने के लिए तैयार कर लिया। दस दिनों तक अनामिका जी अस्पताल मे रही। समीरा के मम्मी पापा दिनभर अस्पताल मे रहते। शाम को जब आलोक और उसके पापा ऑफिस से आते तब जाकर दोनों घर जाते।

फिर पूरी रात समीरा अस्पताल मे रूकती। इसतरह से समीरा और उसके मम्मी पापा नें मिलकर आलोक और उसके पापा को एकदिन के लिए भी ऑफिस से छुट्टी नहीं लेने दिया और अनामिका जी की सेवा मे भी कोई कमी नहीं होने दी। अनामिका जी के घर आने पर समीरा की माँ नें उसकी बेटी को अपने पास ही रख लिया

ताकि अनामिका जी की सेवा मे समीरा को कोई बाधा नहीं पहुँचे। समीरा की दिनरात की सेवा से अनामिका जी ठीक होने लगी। वे बोल तो नहीं पाती थी पर अंदर ही अंदर समीरा के साथ किये गए अपने व्यवहार पर बहुत शर्मिंदा थी। उन्होंने उसके माँ पापा के लिए भी पता नहीं क्या क्या कहाँ था पर आज जब उनपर विपत्ति आई तो वे दोनों उनके साथ पुरे मन से खडे थे।

कुछ दिनों के बीतने पर जब वे थोड़ा बोलने लायक हुई तो उन्होंने सबसे पहले समीरा को बुलाया और उससे कहा “बेटी मुझे माफ़ कर दो।तुम और तुम्हारे मम्मी पापा को मैंने क्या क्या नहीं कहा पर तुमने सब कुछ भुलाकर मेरी सेवा की और आज मुझे इस काबिल बनाया कि मै तुमसे माफ़ी माँग सकू।

सही मायने मे तुम ही एक इज्जतदार घर की बेटी हो जो सास की सभी गलतियों को माफ़ कर सकती है।”माँ जी ऐसा नही कहिए भला कोई बेटी अपनी माँ की बातो का बुरा मानती है?मुझे कुछ नहीं चाहिए।

आप बस ठीक हो जाए तो मै समझूंगी कि मेरी सेवा को आपने स्वीकार लिया। समीरा के इतना कहते ही अनामिका जी के आँखो से आँसू निकलने लगा। उन्होंने कहा माँ जी नही सिर्फ माँ कहो।

विषय–इज्जतदार 

लतिका पल्लवी 

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