ये मेरी जिम्मेदारी है – मंजू ओमर 

ये लो सोनल तुम्हारा टिकट और जाने की तैयारी करो बस।कल मैं आ जाऊंगा तुमको स्टेशन छोड़ने।और हां सोनल मैं आज तुमसे एक बात कहना चाहता हूं तुम्हें जाने से पहले ,जो बहुत दिनों से मेरे मन में थी। बहुत दबाकर रखा था मन में मैंने कि पता नहीं तुम्हें अच्छा लगेगा या नहीं। क्या बात है मयंक बोलों जो कुछ कहना चाहते हो कह दो।

मयंक ने पाकेट में हाथ डाला और एक सुंदर सी अंगुठी निकाली ।सोनल की तरफ बढ़ाते हुए बोला आई लव, यू सोनल, मुझसे शादी करोगी? सोनल अंगुठी को देखती रही फिर बोली इस बात को कहने में इतनी देर लगा दी मयंक।मैं सोचती थी शायद मैं ही ,मतलब एक तरफा प्यार था शायद, मुझे  नहीं पता था कि तुम भी मुझे पसंद करते हो‌ ,

तो फिर क्या तुम्हें मेरा प्रपोजल स्वीकार है। हां मयंक,मैं आजतक प्यार के लिए तरसी हूं । बचपन से लेकर आजतक ,मैं मां बाप के प्यार को भी तरसी हूं ।और सोनल तुम्हारे मम्मी पापा के एक्सीडेंट का सुनकर बुरा लगा।अरे नहीं मयंक कोई बात नहीं ,वो तो बस नाम के मम्मी पापा थे ।

मैंने अपने को जीवन में हमेशा अकेले ही पाया है। मम्मी पापा का प्यार नहीं मिला मुझे। अच्छा छोड़ो ये सुंदर सी अंगुठी तो अब मेरे हाथ में होनी चाहिए मयंक, हां हां क्यों नहीं और मयंक ने अंगुठी सोनल के उंगली में डाल दी । ठीक है सोनल अब मैं चलता हूं और तुम अपने जाने की तैयारी करो । आखिर नौकरी ज्वाइन करने जा रही हो कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। हां हां मयंक ठीक है । मयंक के जाने के बाद सोनल अपनी तैयारी में जुट गई।

           सारी तैयारी करने के बाद , जरूरी डाक्यूमेंट्र रखने के बाद सोनल एक कप चाय लेकर बैठी ही थी थोड़ी देर को कि उसका मोबाइल बज उठा । किसी अनजान नंबर को देखकर सोनल ने फोन नहीं उठाया। लेकिन जब दो बार से तीसरी बार फोन बजा तो सोनल ने उत्सुकता वश फोन उठा लिया।

हेलो जिआ (यहां बड़ी बहन को जिआ कहते हैं)हलो कौन मैं मोना बोली रही हूं जिआ । मोना क्या बात है बेटा मुझे क्यों फोन कर रही हो। मुझे और गोलू को बचा लो जिआ , क्यों क्या बात हो गई।आपको तो पता है न कि मम्मी पापा दोनों कार एक्सीडेंट में मर गए , हां मुझे पता है तो जिआ हम लोग कहां जाएं हमारा कोई नहीं है ।

क्यों तुम्हारी नानी का घर तो है न तुम्हारे मामा लेने नहीं आए क्या तुम लोगों को। नहीं मामा दुबई में है और नानी का देहांत हो गया और नाना जी को लकवा मार गया है ।वो अपना ही नहीं कुछ कर पाते तो हम लोगों का क्या करेंगे। यहां वकील साहब आए हैं और हमलोगों को घर से निकाल रहे हैं ।

तो मैं क्या करूं सोनल बोली।जिआ आप आ जाओ इस लिए  हम बच्चों को यहां से निकाला जा रहा है। हमें अनाथालय भेजा जा रहा है। क्योंकि अब तक कोई भी हमको लेने यहां से नहीं आया है।  कई बार रिक्वेस्ट करने पर सोनल बोली अच्छा आती हूं मैं देखती हूं क्या बात है।

             जब सोनल वहां पहुंची तो गोलू और मोना दोनों सोनल से आकर चिपक गए।जिआ मुझे अपने साथ ले चलो हम दोनों अनाथ आश्रम नहीं जाना चाहते । वहां मुझे अलग और गोलू को अलग कर दिया जाएगा ।गोलू छोटा है कैसे मेरे बिना रहेगा।और वहां बैठे चार आदमी , उसमें एक वकील भी था तो सोनल ने पूछा ये क्यूं हो रहा है

क्यों बच्चों को घर से निकाल रहे हो।तो उसमें से एक व्यक्ति बोला इन बच्चों के पापा ने घर खरीदने को और बिजनेस बढ़ाने को कर्जा लिया था ।अच्छी खासी रकम ली थी । चूंकि अब बच्चों के पापा मम्मी दोनों का निधन हो गया है तो कर्ज का पैसा ये घर और दुकान बेचकर निकाला जाएगा। इस लिए इन बच्चों को अनाथालय भेजा जा रहा है।

क्योंकि अबतक कोई भी इनको यहां से ले जाने को नहीं आया।और आप कौन हैं मुझे नहीं पता।गोलू और मोना अभी तक सोनल से चिपके हुए रो रहे थे। बहुत असमंजस में पड़ी थी सोनल कि क्या करें और क्या न करें।बताएं मैम क्या करना है इन बच्चों का , नहीं नहीं इन्हें मैं अपने साथ ले जाऊंगी।

           दूसरे दिन मयंक जब सोनल के घर आया तो घर के दरवाजे पर ताला लगा देखकर परेशान हो गया ।वो बार-बार सोनल को फोन कर रहा था पर वो उठा नहीं रही थी। तभी सोनल आती हुई दिखाई दी उसके साथ दो बच्चे थे ।सोनल के घर पहुंचते ही मयंक बिफर पड़ा ये क्या लापरवाही है सोनल।दो घंटे में तुम्हारी गाड़ी है और तुम घूम रही हो ।

पता है न स्टेशन पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे लग सकते है । रास्ते में जाम मिलता है।और ये किसके बच्चे हैं ।ये मेरे भाई बहन हैं। लेकिन इन्हें तुम यहां क्यों ले आई हो । यहां कौन देखेगा इन्हें तुम्हें तो बाम्बे जाना है । नहीं मयंक मैंने बाम्बे जाने का प्लान कैंसिल कर दिया है ।

क्यों , बेवकूफ हो क्या,अरे तुम्हारी नौकरी का सवाल है । हां मैं जानती हूं और सोनल ने सारी बात मयंक को बता दी । लेकिन सोनल जिस मां बाप को तुम्हारी कोई फ़िक्र नहीं रही, तुम्हें कभी अपना नहीं समझा।उन्हीं के बच्चों के लिए अपना कैरियर दांव पर लगा रही हो।

लेकिन मयंक ये मेरी जिम्मेदारी है और मतलब ये मेरी जिम्मेदारी बन गई है इस समय।कैसे पीछे हट जाऊं उस समय जबकि इनका कोई सहारा नहीं है इस समय। बच्चे अनाथ आश्रम भेज दिए जाएं ये मैं कैसे होने दें सकती हूं । तुम्ही बताओ मयंक । मेरे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है सोनल अचानक से तुम्हारा ये प्रेम कहां से जाग गया। मयंक बहुत झींकता रहा पर सोनल नहीं मानी । आखिर हारकर मयंक बोला निभाओ अपनी जिम्मेदारी मैं तो जा रहा हूं।

सोनल जब तीन साल की थी तभी उसकी मम्मी की मौत हो गई थी। उन्हें कैंसर हो गया था।सोनल के पापा ने आया रखकर सोनल की परवरिश की।जिस समय सोनल की मां की मृत्यु हुई सोनल के पापा वीरेंद्र जी की भी कोई ज्यादा उम्र नहीं थी। परिवार के दबाव में आकर वीरेंद्र जी को दूसरी शादी करनी पड़ी।

दूसरी मां के आते ही सोनल बिल्कुल अनाथ हो गई। दूसरी मां सोनल को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी। धीरे धीरे वीरेंद्र जी भी दूसरी पत्नी के मोहपाश में ऐसे पड़े कि अपनी ही बेटी को भूल गए।

सोनल अब लावारिस सी पड़ी रहती घर में कोई भी ध्यान न देता। कुछ साल में सोनल की दूसरी मां के भी दो बच्चे हो गए।एक बेटा गोलू और एक बेटी मोना।सोनल उनके साथ ही खेलकूद कर खुश हो लेती थी।घर के काम धाम करती और पास के ही सरकारी स्कूल में पढ़ने चली जाती।

              धीरे धीरे सोनल बड़ी होने लगी।और पढ़ाई में मन लगाने लगी। किसी तरह हाई स्कूल और फिर इंटर की पढ़ाई कर ली।अब सोनल समझदार हो गई थी तो आगे पढ़ने की अपने पापा से जिद करने लगी। वहां छोटी जगह थी तो कालेज वहां से 50 किलोमीटर की दूरी पर था।

वीरेंद्र जी ने वहां सोनल का एडमिशन करवा दिया।दूर पड़ता था तो रोज़ रोज़ घर आने जाने के चक्कर में वही कालेज के पास किसी हास्टल में रहने की व्यवस्था कर दी।अब यहां पत्नी के रोज़ रोज़ की सोनल की शिकायतों से भी वीरेन्द्र जी को छुट्टी मिल गई। यहां सोनल के चले जाने से  पत्नी और वीरेंद्र जी भी सुकून से रहने लगे।बस पैसा भेज देते फीस और थोड़ा बहुत खर्चे को। कभी कोई भी हाल चाल तक पूछने न जाता और न ही सोनल को घर बुलाते।

            सोनल वहां किसी कोचिंग सेंटर में पढ़ाने का काम करने लगी। जिससे उसके पास कुछ पैसे इकट्ठे हो रहे थे।अब सोनल ने एम बीए कर लिया था । मयंक से उसकी मुलाकात  एम बीए की पढ़ाई के दौरान ही हुई थी। दोनों एक दूसरे को पसंद  थे लेकिन एक दूसरे को बताया नहीं था।

नौकरी का इंतजार था तो नौकरी लगते ही मयंक ने उसे प्रपोज कर दिया था। अब सोनल नौकरी करने जा रही थी । मयंक की अभी नौकरी नहीं लगी थी कोशिश कर रहा था वो। तभी सोनल के मम्मी पापा के साथ ये घटना घट गई। माता पिता के व्यवहार से सोनम दुखी थी लेकिन जब बात गोलू और मोना पर आ गई तो वो अपने को रोक न पाई । सोचने लगी मम्मी पापा ने जो किया मेरे साथ वो किया लेकिन इसमें इन मासूम बच्चों का क्या दोष है। मेरी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।बस सोनल के इसी बात से नाराज़ होकर मयंक चला गया।

            ‌‌ नौकरी न करने की वजह से मयंक ने रिश्ता तोड दिया। करीब पंद्रह दिन बाद गोलू और मोना के मामा सोनल के घर आए और बच्चों को अपने साथ ले गए।और सोनल को बहुत बहुत धन्यवाद दिया कि तुमने इतनी जिम्मेदारी निभाई उसका बहुत बहुत शुक्रिया।सोनल बोली नहीं आप ऐसा न कहें इसमें इन मासूम बच्चों का क्या दोष था ये तो मेरी जिम्मेदारी थी। लेकिन इनकी वजह से आपको अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। नौकरी का क्या दूसरी मिल जाएगी।

          बच्चों के जाने के बाद सोनल ने दूसरी नौकरी के लिए कोशिश की और मिल भी गई दूसरी नौकरी।अब सोनल ने वही आफिस में अपने सहकर्मी से शादी कर ली और एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।जो प्यार उसे मां बाप से नहीं मिला। उसकी जगह बहुत प्यार करने वाला जीवन साथी पाकर सोनल बहुत खुश हैं ।

मंजू ओमर 

झांसी उत्तर प्रदेश 

17 नवंबर 

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