भाई का बल – लतिका पल्लवी

    हैल्लो दीदी कैसी हो? जीजाजी कहाँ है? मै दस मिनट मे वीडियो कॉल करता हूँ।आप जीजाजी को बुला लो तब तक। फिर हम सभी तुमदोनो को एकसाथ एनीवरसरी विश करेंगे। माँ भी तब तक मंदिर से आ जाएगी। जीजाजी को जब भी फोन करो वह व्यस्त ही रहते है इसीलिए मैंने आपको पहले फोन कर दिया है

और अपने सुपर व्यस्त जीजू से उनका कीमती दस मिनट माँगा है। जाकर उनसे हमारी तरफ से यह विनती कर दो।अपनी सारी बातें कह कर सक्षम चुप हुआ, तो उधर से उसकी दीदी नें पूछा हो गई तुम्हारी बातें? जब भी फोन करेगा बस अपने ही बोलते रहेगा यह भी कभी नहीं सुनता है

कि सामने जिसे फोन किया है वह है भी या किसी दूसरे नें कॉल उठा लिया है। सॉरी दीदी मै अपनी बातें कहने के लिए ज्यादा ही उत्साहित रहता हूँ। बोलो क्या बोल रही थी।सक्षम नें अपनी गलती का एहसास करते हुए कहाँ। तेरे जीजाजी किसी काम से बाहर गए है। शाम तक ही वापस आ पाएंगे।

तो तु ऐसा कर मुझे अभी बहू से बात करवा दे और मै माँ पापा को फोन करके प्रणाम कर लेती हूँ।शाम को तेरे जीजाजी आएंगे तो फिर हमदोनो कॉल करके सबसे बात कर लेंगे। ठीक है दीदी मै अनाया को फोन देता हूँ पर मुझे जीजाजी की यह बात एकदम अच्छी नहीं लगती है

जब देखो व्यस्त है का रोना है।लगता है जैसे दुनिया मे सिर्फ वही काम करते है।इतना भी क्या काम करना कि परिवार के लिए समय ही ना रहे। जब से तुम्हारी शादी हुए है तब से यही सुनता आ रहा हूँ कि जीजाजी बीजी है।तब मै छोटा था तो सोचता था कि बड़े लोगो को नौकरी करनी होती है। शायद इसलिए उनके पास समय नहीं होता है। लेकिन मै तब भी सोचता था कि पापा भी तो काम करते है,पर वे तो इतना व्यस्त नहीं रहते है कि घर परिवार पर ध्यान नहीं दे सके।

और दोनों जीजाजी भी तो काम करते है पर हर पारिवारिक मौके पर उपस्थित रहते है पर इन्हे तो अपने मैरेज एनीवरसरी पर भी फुरसत नहीं है काम ही सबसे जरूरी है इनके लिए, रिश्तो का तो जैसे कोई मोल ही नहीं नहीं है जीजाजी के मन मे। आज जब मै भी नौकरी करने लगा हूँ तो यह बात मुझे और ज्यादा परेशान करती है। जीजाजी के चक्कर मे तुम भी किसी फंक्शन मे समय पर नहीं पहुंच पाती हो।

आज अनाया कितनी ख़ुशी से बोली की चलो दीदी जीजाजी को फोन करते है। हमारी शादी के बाद घर मे कुछ ख़ुशी का मौका है। माँ प्रसाद चढ़ाने मंदिर गई है। सब खुश है पर लगता है बस तुम दोनो को ही कोई ख़ुशी नहीं है।सक्षम अपने जीजाजी पर नराजगी जताते हुए बोला और मोबाईल अनाया को पकड़ा दिया। सक्षम तीन बहन और एक भाई है ।तीन बहनो के बाद उसका जन्म हुआ इसलिए बड़ी बहन और उसके उम्र मे दस वर्ष का अंतर है।

जब उसकी बहन का विवाह हुआ उस समय वह बारह वर्ष का था। उसके पिता नें तीन तीन बेटी होने के कारण बेटियों को ज्यादा पढ़ाया भी नहीं था और विवाह भी कम उम्र मे ही कर दिया था। बड़ी बेटी सुनीता नें तो दसवीं तक ही पढ़ाई की थी। अच्छा रिश्ता मिलने के कारण उन्होंने उसकी पढ़ाई बीच मे ही छुड़ा दिया और उसका विवाह कर दिया। लड़का का

पारिवारिक बिजनेस था जिसे लड़का भी अपने पिता के साथ देखता था। घर मे धन दौलत की कमी नहीं थी पर दामाद अपने बिजनेस के कामों मे सदा व्यस्त रहता था। ससुराल मे उसके साली का विवाह हो या साला का बस विवाह के दिन ही दोनों पति पत्नी आते और दूसरे ही दिन चले जाते। यह बात सक्षम को अच्छी नहीं लगती थी पर वह बच्चा था इसलिए कुछ कह  कर नहीं सकता था पर जब उसके विवाह के वक़्त दूसरे ही दिन उसकी दीदी जाने लगी

तो उसने जीजाजी से बोला जीजाजी आपको काम है तो आप जाइये। मै दीदी को बाद मे आपके यहाँ छोड़ आऊंगा। मन नहीं रहते हुए भी उन्हें सुनीता को छोड़ कर जाना पड़ा पर एक सप्ताह बाद वे स्वयं आकर सुनीता को लेकर गए। सक्षम को पहुंचाने का मौका नहीं दिया। अनाया नें सुनीता से फोन पर बात करनें के बाद सक्षम से कहा दीदी नें कहा तो है जीजाजी शाम को आएंगे फिर उनसे बात कर लेना।

इतना भी गुस्साने वाली बात नहीं है जितना तुम जीजाजी पर गुस्सा दिखा रहे हो। वैसे सक्षम आज दीदी जीजाजी की कौन सी मैरेज एनीवरसरी है?तेरहवी है आज दीदी की शादी के हुए तेरह वर्ष हो गए। क्यों पूछ रही हो? नहीं ऐसे ही पूछा इतने दिन हो गए और दीदी को कोई बच्चा नहीं है। इसपर किसी नें ध्यान नहीं दिया।अनाया नें पूछा।दिया होगा। मै इस पर क्या बोल सकता हूँ?

माँ नें पूछा ही होगा। दीदी जीजाजी नें भी तो डॉक्टर को दिखाया ही होगा। सक्षम नें जबाब दिया। जीजाजी एक ही भाई है तो उनकी सास तो पोता के लिए बोलती होंगी ना।अनाया नें फिर पूछा। बोलती ही होंगी पर यह तो ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है कि किसे बच्चा दे किसे नहीं। अपने हाथ का थोड़े ही है।तुम इस बारे मे इतना क्यों पूछताछ कर रही हो? सक्षम नें पूछा।नहीं ऐसा कुछ नहीं है.

मैंने सोचा कि कहीं इसी कारण तो वे लोग समाज से कटे कटे तो नहीं रहते है कि कोई इस बारे मे पूछ दे और उन्हे दुख पहुँचे।अनाया नें कहा।यह भी हो सकता है पर मुझे जहाँ तक याद है जीजाजी का शुरू से ही यही रहा है कि बिजनेस का काम है। उतना समय नहीं कि पांच सात दिन किसी के विवाह के नाम पर ससुराल आकर बैठूं।सक्षम नें बताया।चलो कोई बात ना।तुम शांत हो और ऑफिस जाओ ।

बात आई गई हो गई। कुछ दिनों बाद सक्षम के ससुर जी का फोन आया और उन्होंने कहा कि आपकी साली के लिए हमने एक रिश्ता देखा है।लड़का मुंबई मे उसी के साथ काम करता है।आपकी बड़ी बहन के शहर मे उसका पैतृक घर है तो मै चाहता हूँ कि ज़रा आप अपनी बहन के द्वारा उनलोगो के बारे मे पता लगा देते कि कैसे लोग है तो विवाह करने मे चिंता नहीं

रहती।यह सुनकर अनाया नें कहा जीजाजी के पास तो इतना समय नहीं रहता है तो क्यों ना सक्षम हमदोनो ही दीदी के घर चल चले इसी बहाने दीदी से मिलना भी हो जाएगा और हम ही लड़का के घर वालो के बारे मे पता लगा लेंगे।ठीक है मै ऑफिस से एक दो दिनों मे छुट्टी लेता हूँ फिर चलते है। सक्षम की माँ को जब बहू अनाया

नें बताया कि वह और सक्षम सुनीता दीदी के यहाँ जाने वाले है तो वह बहुत ही खुश हुई और कहा बहू तुमने बहुत ही अच्छा सोचा  है। सुनीता की शादी के बाद दो बार बस उसके पापा उसे लाने गए है फिर तो कोई उनके यहाँ गया ही नहीं है। देवर ननद उसके है नहीं जो आदमी उनके विवाह मे ही जा पाता।

हमारे यहाँ कि शादी मै दामाद जी पहले ही कह देते है कि आपको सुनीता या मेरे आने की चिंता करने की जरूरत नहीं है।मुझे जब समय मिलेगा उसे लेकर चला आऊंगा। इसलिए विवाह शादी में भी उसे कोई लेने नहीं जाता है। हाँ माँ आप सही कह रही है पर जीजाजी के कहने से क्या होता है बेटियों को हमेशा यह आस लगी रहती है कि कोई उसके मायके से आए।

इसलिए मैंने सक्षम से कहा कि पहले की बात अलग थी। आप छोटे थे तो जीजाजी सोचते होंगे की किसी को परेशान क्या करना मै ही सुनीता को लेकर चला जाऊंगा। पर अब आप बड़े हो गए है और संजोग से मेरे पापा का काम भी वहाँ है तो दीदी से मिलने चल चलते है।

माँ बहुत ही ख़ुशी ख़ुशी सुनीता के पसंद का पकवान बनाकर रख रही थी। अपने पति से कहकर उन्होंने सुनीता के पति,सास -ससुर और उसके लिए कपड़े मंगवा लिए। माँ सक्षम और अनाया के सुनीता के घर जाने की जोरो शोरो से तैयारी कर रही थी। सुनीता को उनलोगो नें इसबारे मे नहीं बताया था।

सभी उसे सरप्राइज देना चाहते थे,पर अभी उन्हें पता ही नहीं था कि वे सरप्राइज देने नहीं पाने जा रहे थे। तय दिन पर दोनों ट्रेन पर बैठकर सुनीता के यहाँ चल दिए. माँ नें बहू को बार बार समझाया बेटा ध्यान रखना बेटी का ससुराल है, अच्छे से व्यवहार करना,किसी बात का जबाब नहीं देना। माँ मै कोई बच्ची नहीं हूँ,

आपकी बहू हूँ,ऐसा कुछ नहीं करूंगी जिससे दीदी के ससुराल वालो को बुरा लगे,यह कहकर अनाया नें भी उन्हें आश्वासन दिया।पहली बार कोई सुनीता के घर दो चार दिन रहने के लिए जा रहा था इसलिए माँ को लग रहा था कि कहीं कुछ ऊँच नीच ना हो जाए।

बहू के विवाह को अभी एक वर्ष भी नहीं हुआ था। तय समय पर उन्होंने पहुंचकर घर की कॉल बेल बजाई। दरवाजा एक दस वर्ष की लड़की नें खोला और पूछा किससे मिलना है? उन्होंने जीजाजी का नाम बताया। लड़की नें कहा पापा घर पर नहीं है।पापा!दोनों एकसाथ आश्चर्य से बोले। आप ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहे है अंकल?लड़की नें पूछा।

बेटा हमें मदन जी से मिलना है तुमने शायद सही से नहीं सुना,सक्षम नें लड़की से कहा। मैंने सही सुना यह मदन जी का ही घर है और मै उनकी बेटी हूँ। सक्षम को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आगे अब क्या बोले। सक्षम को चुप देखकर अनाया नें लड़की से पूछा बेटा क्या सुनीता जी यहाँ रहती है?

अच्छा आपको सुनीता आंटी से मिलना है।हाँ वह यही रहती है।मै उनको बुलाती हूँ।सक्षम को सामने देखते ही सुनीता का मुँह एकदम पीला पड़ गया। उसने किसी तरह से अपने को संभालते हुए कहा तुमदोनो नें अपने आने की खबर नहीं दी। खबर देते तो यह सब कैसे सुनते।

यह लड़की जो कह रही है वह क्या सच है तो कैसे? अंदर भी आएगा या बाहर से ही बस सवाल जबाब करेगा? चल पहले अंदर चल, फिर सब बताती हूँ। सभी घर के अंदर गए. सक्षम नें पूछा जीजाजी कहाँ है? अपने कमरा मे है। अपने कमरा मे, तो क्या तुम दोनो का कमरा अलग अलग? दीदी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।

मेरा सर गुस्से से दर्द दे रहा है।जीजाजी जीजाजी आप कहाँ है,तुरंत बाहर आइये कहकर सक्षम चिल्लाने लगा।उसकी आवाज सुनकर उसके जीजाजी अपने कमरा से निकले और बोले चिल्ला क्यों रहे हो? यह मेरा घर है कोई बाजार नहीं जो तुम्हे चिल्ला चिल्ला कर अपना सामान बेचना है। चिल्लाऊ नहीं तो क्या करू एक तो चोरी उपर से सीनाजोरी कर रहे है आप, सक्षम नें और जोर से चिल्लाते हुए कहाँ। तो क्या करता मेरा बेटा तुम्हारी बहन तो एक बच्चा भी नहीं दे सकी हमें।

बुढ़ापे मे पोता पोती को खिलाने का किसे शौक नहीं होता है।मेरे बेटे नें जो किया है सही किया है और हमारे कहने से किया है। तुम्हे जो भी कहना पूछना है मुझसे पूछो, सुनीता के ससुर नें सक्षम से बोला जो शोर सुनकर अपने कमरा से बाहर निकल आए थे।आप से या जीजाजी से मुझे कुछ भी नहीं पूछना है

जो कुछ पूछना होगा वह अब तो कोर्ट मे मेरा वकील ही पूछेगा और वही तय करेगा कि आपसे पूछना है या आपके बेटे से। कोर्ट की बात सुनकर दोनों सहम गए। उन्होंने नहीं सोचा था कि वह इस तरह की कुछ कार्रवाई की बात कर सकता है।उन्होंने तो सोचा था कि उसकी बहन की कमी दिखाएंगे तो वह शांत हो जाएगा। फिर भी उन्होंने अपने को संभालते हुए कहा जाओ कोर्ट मे जाकर तुम साबित नहीं कर पाओगे कि मदन नें दो शादी की है।

उससे तुम्हारी बहन और तुम्हारे परिवार का ही भद्द पिटेगा मिलेगा कुछ नहीं। उसके बाद तो हम मानहानि का केस करके और आराम से तलाक लेंगे। अभी तो शुक्र मनाओ की इसने इसे अपने घर मे रखा है। तलाक के बाद कहाँ रहेगी,कोई कितने दिन तक अपनी बेटी को बिठाकर रख सकता है? एक ना एक दिन वह बोझ ही लगने लगती है। सुनीता के ससुर कह तो सक्षम से रहे थे पर सुना सुनीता को रहे थे।

उनकी बातो को सुनकर अब अनाया को भी गुस्सा आने लगा जो अब तक चुप थी। उसने कहा माफ़ कीजिएगा चाचा जी छोटी हूँ मुझे बोलना नहीं चाहिए पर आपको बता दूँ आप अपने बेटे की गलती को सही ठहराकर ठीक नहीं कर रहे है।और जहाँ तक दीदी के रहने की बात है आप चिंता नहीं करे सभी आपके जैसा ससुर या बाप नहीं होते है जो अपनी बहू या बेटी के साथ जब अन्याय हो रहा हो तो उसके साथ खडे नहीं हो।

चलिए दीदी अब आप एक पल भी इस घर मे नहीं रहेंगी। सुनीता की तरफ देखकर उसकी सास नें कहा बहू घर से पैर निकालने से पहले अच्छे से सोच लेना। कुछ भी सोचने की जरूरत नहीं है दीदी तुम चुपचाप हमारे साथ चलो। सक्षम नें कहा।हाँ दीदी आप चलिए अनाया नें भी कहा।

दीदी को अनिर्णय की स्थिति मे देख कर सक्षम नें कहा बच्ची इतनी बड़ी है,यानि कि इस बात को बहुत दिन हो गया है।दीदी तुमने हमें बताया क्यों नहीं? सब अकेले सहती रही। तुमने तो हमें एकदम बेगाना बना दिया।क्या माँ-बाप,भाई -भाभी,. बहन -बहनोई ये सब रिश्ते क्या सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए है?

किसी से भी तो कुछ कहती। माँ से नहीं तो दोनों दीदी से तो कह ही सकती थी। सक्षम नें एकदम रोनी आवाज मे कहा। नहीं भाई कोई रिश्ता दिखाने का नहीं होता है। बस आप उसे निभाना चाहते है या नहीं यह महत्वपूर्ण होता है। हमारी शादी से पहले से ही इनदोनो का अफेयर था।

मेरे ससुर जी नें जानते बुझते हुए भी हमारा विवाह यह सोचकर करवा दिया कि विवाह के बाद सब ठीक हो जाएगा। पर कुछ ठीक नहीं हुआ। मैंने माँ को बताया तो उन्होंने भी कहा कि धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा,थोड़ा धैर्य रखो। पर कुछ ठीक नहीं हुआ। दो वर्ष बाद जब पता चला कि इन्हे बेटी हुई है तो फिर माँ का मन थोड़ा उसे देखने को बेचैन हुआ।

फिर एक वर्ष बाद एक बेटा भी हो गया तो इनलोगो नें कहा कि बहू इसे घर लाते है। मै क्या करती अभी हमारे घर मे किसी का भी विवाह नहीं हुआ था तो मैंने सोचा कि मेरे घर छोड़ने पर बहनो के विवाह मे दिक्कत होंगी और सब सहती रही। मै तुम लोगो को कुछ बता ना दूँ इसलिए हमेशा ये मुझे साथ लेकर जाते है और साथ ही लेकर चले आते है।

आज तक मै यह सोच कर सब सह रही थी कि मेरे दोनों परिवार की इज्जत पर दाग नहीं लगे। मै यह सोचती थी कि पापा शादी करवाने के कारण ग्लानि मे रहते है। मुझे माँ, पापा प्यार करते है पर आज मुझे पता चला कि इन्हे कोई दुख नहीं है। ये तो मुझे मजबूरी मे बर्दास्त कर रहे है।

फिर उसने अपने ससुर जी की तरफ देखकर कहा मै इन दोनों के कहने से यह रिश्ता समाप्त नहीं कर रही हूँ।मै आपके इस व्यवहार से इस रिश्ते को खत्म करके अपने भाई के साथ जा रही हूँ। पापा मैंने हमेशा आपको पिता और माँ को माँ सा सम्मान दिया है पर आपने तो मुझे बेटी तो क्या बहू का भी सम्मान नहीं दिया।

आप अच्छी तरह से जानते है कि आपके बेटे और मुझमे कोई संबंध नहीं है।फिर भी आपने बच्चा नहीं होने के लिए मुझे दोषी ठहरा दिया। अब तो आपके किये की सजा आपके बेटे को कोर्ट ही देगा। अब मै निरीह नहीं हूँ मेरे भाई भाभी मेरे साथ खडे है। इसलिए मै इस दिखावटी रिश्ते से अपनेआप को आजाद करती हूँ।मुझे अब किसी का डर नहीं।चल मेरे भाई अब मै यहाँ एक पल भी नहीं रुकना  चाहती हूँ।

विषय – दिखावटी रिश्ता 

लतिका पल्लवी 

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