“नमस्ते बहन जी!कैसी हैं आप?आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।”
“शुक्रिया जी..मैं ठीक हूँ,आप कैसी हैं?भाई साहब कैसे हैं?”
“हम दोनों भी ठीक हैं।बस जी हम तो ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि आप हमेशा स्वस्थ रहें।आपका स्नेह और आशीर्वाद बच्चों के साथ हमेशा बना रहे।”
समधन के बाद समधी जी ने भी रमा से बात की और जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।
सुबह सुबह सबसे पहले बहु के माता-पिता से शुभकामनाएं मिलीं तो रमा बहुत खुश हो गई।बहुत सीधी थी रमा बस जरा कोई उससे प्यार से बात कर ले तो वो खुश हो जाती थी।
चांस की बात थी कि वो बहु बेटे के पास आई हुई थी।वो उसे शाम को होटल खाना खाने के लिए ले गए।बहु ने तोहफे में एक साड़ी दी तो रमा बोली-“बेटा,इसकी क्या जरूरत है?वैसे ही इतनी साड़ियाँ पड़ीं हैं मेरे पास उनके पहनने का ही नंबर नहीं आता।बस तुम लोगों का प्यार ही काफी है मेरे लिए।”
“माँ, आप कौनसा हमारे पास रोज रोज आती हैं?इतने समय बाद आप हमारे साथ अपना जन्मदिन मना रहीं है तो एक तोहफा तो बनता है ना।”श्रुति रमा को बाँहों में भरकर बोली।साहिल ने भी श्रुति की बात का समर्थन किया।बहु बेटे का प्यार पाकर मानों रमा खुशी से फूले नहीं समा रही थी।वो मन ही मन ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रही थी,कि उसे इतने अच्छे समधी व बहु मिली।
रमा को आए काफी दिन हो गए थे वो वापिस जाने की तैयारी कर ही रही थी कि अचानक से एक दिन उसका पैर फिसल गया उसके बाद से उसे कमर में भयंकर दर्द रहने लगा।डॉक्टर को दिखाया तो उसने जाँच करके बताया कि मसल्स पुल हो गईं हैं।कुछ दिन आराम करेंगीं और दवाई लेंगीं तो ठीक हो जाएगा।
रमा तो बहुत डर गई थी पर डॉक्टर की बात सुनकर उसे तसल्ली हुई।
श्रुति अब रमा को कोई काम नहीं करने देती स्वयं सारे काम करती।बहु को यूँ सेवा करते देख रमा उसे ढेरों आशीर्वाद देती।कभी-कभी समधन का भी फोन आ जाता था हालचाल पूछने के लिए।
“बहुत दिन हो गए घर छोड़े हुए।जाने ये दर्द कब ठीक होगा?कब मैं अपने घर जाऊंगी?”रमा रुआँसी होकर बोली।
“माँ, ये भी तो आपका ही घर है।अब आप यहीं रहो कहीं जाने की जरूरत नहीं है।सोचो आप अकेले होते तो और भगवान ना करे कुछ हो जाता तो कौन देखने आता।”साहिल ने रमा को प्यार से समझाते हुए कहा।श्रुति कुछ बोली नहीं चुपचाप किचन में चली गई।
संडे का दिन था साहिल और श्रुति किसी काम से बाजार गए तो बेटे अंशु को रमा के पास छोड़ गए।अंशु रमा को परेशान ना करे इसलिए श्रुति उसे अपने मोबाइल में वीडियो गेम लगाकर दे गई।उसने अंशु को फोन थमाते हुए शायद ये सोचा भी नहीं होगा कि उसका फोन अब अनलॉक है और कोई भी उसके मैसेज देख सकता है।
रमा अंशु को लेकर सोफे पर बैठी थी।अंशु मोबाइल में गेम देखकर खुश हो रहा था।रमा समझ रही थी कि बच्चों का इतनी देर तक मोबाइल देखना ठीक नहीं पर क्या करती?बिना मोबाइल के अंशु रोने लगता था।बीच बीच में रमा अंशु का ध्यान मोबाइल से हटाने के लिए उससे बातें करती।अंशु से बातें करते करते उसने देखा कि मोबाइल पर लगातार मैसेज आ रहे थे।
रमा ने कभी भी श्रुति के फोन को हाथ तक नहीं लगाया था ना ही उसकी कभी ये जानने में दिलचस्पी होती थी कि वो अपने मायके वालों से क्या बात कर रही है?ना चाहते हुए भी रमा की नजर एक मैसेज पर पड़ गई..सासु मां की सेवा करते करते बेटा कहीं तू अपनी सेहत खराब ना कर लेना।अपना ध्यान रखना।जैसे ही ये ठीक हों इन्हें इनके घर भेज देना वरना ये सारी जिंदगी के लिए तेरी मुसीबत बन जाएगी।ये यहाँ रहेगी तो हम कैसे तेरे पास आकर रह सकेंगे…!!
रमा ने ध्यान से देखा तो पता चला कि ये तो श्रुति की मम्मी के मैसेज हैं।उसे तो अपनी आँखों पर जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा था।मुँह पर मीठी मीठी बातें करने वालों के मन में इतना जहर भरा होता है,सोचकर रमा को बहुत आश्चर्य हुआ।वो तो बेचारी सीधी थी उसे क्या पता कि लोग यहाँ कैसे अलग अलग मुखौटे लगाकर घूमते हैं?
एक तरफ तो उसे समधन नेे ये कहा कि उसका प्यार व साथ बच्चों के साथ बना रहे..तो दूसरी ओर अपनी बेटी को ये कहना कि सास को जल्दी से जल्दी अपने घर भेजो।मुँह पर मीठी मीठी बातें करना और पीठ पीछे सास को मुसीबत कहना..समधन की दोगली बातों ने रमा को अंदर तक तोड़ कर रख दिए।
उसके आँखों से आँसू बहने लगे।रमा को ये बात भी समझ आ गई थी,कि श्रुति उसकी सेवा शायद इसलिए कर रही थी क्योंकि उसको पता था ये कुछ दिनों बाद अपने घर चली जाएंगी।लेकिन जब साहिल ने उसे रुकने के लिए बोला तो श्रुति का व्यवहार एकदम से बदल गया।उसने ही शायद अपनी मां के साथ ये बात शेयर की होगी तभी वो बेटी को मैसेज करके सलाह दे रहीं थीं।
उसने बहु बेटे को इस बारे में कुछ नहीं बताया पर मन में ये निश्चय कर लिया कि वो जैसे ही ठीक हो जाएगी अपने घर चली जाएगी।
रमा कुछ ही दिनों में स्वस्थ हो गई और अपने घर जाने की तैयारी करने लगी।साहिल ने बहुत मना किया फिर भी रमा नहीं मानी।श्रुति ने दिखावा करते हुए बोला -“अरे मां,आप रुक जाती तो अच्छा लगता।”
“बहु,थोड़े दिन तुम आराम कर लो,मेरा सेवा करते करते देखो कितनी ढल गई हो?मेरा क्या है फिर आ जाऊंगी।”रमा की बता सुनकर श्रुति का चेहरा ऐसा हो गया जैसे किसी की चोरी पकड़ी गई हो।
रमा के जाने के बाद साहिल बहुत उदास रहने लगा..देर से ही सही पर श्रुति को ये बात समझ आ गई, कि जैसे उसे अपने माता पिता से प्यार है वैसे ही साहिल भी अपनी मां को बहुत चाहता है। साहिल का यूं हर समय उदास रहना उसके दिल को कहीं न कहीं आहत कर गया।उसने रमा को हमेशा के लिए अपने साथ रखने फैसला कर लिया।
रमा सब कुछ भुलाकर बेटे बहु के पास रहने आ गई।कुछ दिन बाद समधन का फोन आया तो पहले रमा को लगा,ऐसे लोगों से क्या बात करना जिनकी फितरत छुपी रहे..नकली चेहरा सामने आए असली सूरत छुपी रहे..!!फिर उसने समधन से बात कर ली ये सोचकर,कि दिखावे के रिश्ते में भी कुछ तो बात है…दिल में कुछ और है तो क्या जुबां पे तो मिठास है।
दोस्तों रिश्तों में दिखावा नहीं अपनापन और प्यार होना चाहिए।क्योंकि दिखावटी रिश्ता लोग निभाते तो हैं मगर दिल से नहीं।साथ ही दिखावे के रिश्तों की उम्र भी लंबी नहीं होती वक्त के साथ ये धीरे धीरे मृत प्रायः हो जाते हैं।
कमलेश आहूजा