हमे बस आपका आशीर्वाद चाहिए – विनीता सिंह

एक गांव के ए्क मध्यवर्गीय किसान राजकुमार की है वह खेती करते लेकिन उनके मन एक दुख था की वह ज्यादा पढे लिखे नहीं है लेकिन उनके दिल की इच्छा की वह अपने बच्चों को पढ़ाने शहर भेजे। राजकुमार जी और संध्या जी की दो संताने हैं उनका एक बेटा अनिल और  आरती दोनों बच्चों को स्कूल में पढ़ने बैठते हैं

अनिल ने जब 12वीं पास कर ली तो आगे की पढ़ाई के लिए शहर में जान जाता है राजकुमार जी उसके शहर में जाने के लिए व्यवस्था करते हैं अपनी जमीन के कुछ हिस्से को साहूकार के पास के गिरवी रखकर पैसा देकर अनिल को पढ़ने शहर में भेजते हैं अनिल शहर में पढता है

और कई वर्ष की मेहनत के बाद उसकी  एक मल्टीनेशनल कंपनी में बहुत अच्छे पद पर नौकरी जाती है वहीं मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी भी कर लेता है गांव कभी-कभी साल में एक दो बार आता और आकर शहर की बातें करता।

 उधर आरती भी आठवीं क्लास में आ गई थी वह गांव में के पास के स्कूल में पढ़ती थी उसे गाना गाने का बहुत शौक था एक दिन आरती जब स्कूल में गाना गया तो उसका सिलेक्शन शहर की स्कूल में हो गया प्रतियोगिता में जाने के लिए उसने यह बात अपने माता-पिता को बताएं तो राजकुमार जी संध्या जी बहुत खुश हुए तभी उसने राजकुमार जी के पास से बटन वाला फोन लेकर अपने भाई अनिल को फोन किया।

 बोली भैया मेरा सिलेक्शन शहर की स्कूल में गाने के लिए हो गया है मैं आ रही हूं अनिल उस समय मीटिंग में बिजी था उसने ज्यादा बात ना की बधाई देते हुए।

 बोला कि मेरे पास समय नहीं है मैं नहीं आ पाऊंगा आरती कुछ नहीं बोली लेकिन है सब बात सुनकर राजकुमार जी और संध्या जी निराश हो गए बोल बेटा कोई बात नहीं हम तेरे साथ चलेंगे जब प्रतियोगिता का समय पास आ गया तो एक दिन पहले राजकुमार जी और संध्या जी ने आरती को अपने पास बुलाया और कहां बेटा इधर आओ तभी संध्या जी ने अपनी पुरानी बनारसी साड़ी में से कुछ पैसे निकाल कर दिए और का बेटा लो तुम्हें कुछ पैसे जरूरत होगी।

आरती ने कहा नहीं। मम्मी पापा आप मेरे साथ होंगे मुझे खुशी पैसे की जरूरत नहीं है ।् दिन पर प्रतियोगिता होता थी  सारे स्कूलों के बच्चे आए हुए थे और जहां पर प्रतियोगिता हो रही थी वह पूरा हॉल दर्शकों की भीड़ से भरा हुआ था वहां एक को दो कुर्सी पर राजकुमार जी और उनकी पत्नी संध्या जी बैठे थे जब आरती ने गाना गाना शुरू हुआ तो उसने अपने मां-बाप के चेहरे पर देखा कितने सरल कितने सीधे लोग हैं ।

और जब उसने गाना गाना शुरू कर जब उसने आंखें खोली तो देख पूरा ऑडिटोरियम तालियों की आवाज से गूंज उठा था सब लोगों को आरती का गाना पसंद आया आई गाना पसंद आया तभी प्रतियोगिता का इनाम दिया गया उसमें आरती को प्रथम ना मिला इनाम पकड़ जब नाम दिया था तब उन्होंने कहा कि बेटा आप किसे बुलाना चाहोगे तो आरती ने अपने मां-बाप को स्टेज पर बुलाया और कहा आज जो कुछ भी हूं मैं उनकी ही कारण हूं मेरे मां-बाप बहुत सीधे सरल है इन्होंने अपने जीवन की सारी पूंजी हमारे ऊपर खर्च कर दी अब हमारा फर्ज बनता है कि हम इनका सम्मान और इनका मान बढ़ाएं तो इस प्रोग्राम की चीफ गेस्ट जो उसे शहर के कलेक्टर थे वह आरती की बातों से प्रभावित हुए और बोल बेटा मैं चाहता हूं कि तुम्हें यह इनाम तुम्हारे माता-पिता प्रदान करें।यह सुनकर आरती को बहुत खुशी हुई आरती ने कहा कि मुझे मेरे मां-बाप ने सब कुछ दिया है । कलेक्टर साहब ने मैसेज राजकुमार जी और संध्या जी के हाथों में देता उन्होंने जब श्री लेडिस होती तो आरती की खुशी से आंसू निकल।और अब हमें कुछ  मां-बाप का आशीर्वाद चाहिए अगले दिन अखबार में जब यह खबर निकली तो अनिल ने जब अखबार पढ़ तो उसे अपने मन में बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई मैं भाग अगले दिन गाड़ी लेकर अपने गांव गया और जहां जाकर अपने मां-बाप से माफी मांगने लगा राजकुमार जी और संध्या जी तो कुछ नहीं बोले आरती बोली मां पिताजी आप भैया को माफ कर दीजिए उनकी कोई गलती नहीं है उसे समय की व्यस्तता के कारण हमारे पास नहीं आ पाए कोई बात नहीं भैया को जो कुछ चाहिए आप उन्हें दे दीजिए मुझे कुछ नहीं चाहिए हमें बस आपका आशीर्वाद चाहिए तभी अनिल ने मां पिताजी के पैर पकड़ते हुए बोला की मां पिताजी हमें भी अब हमारी गलती पर हमें क्षमा कीजिए हमें आपका आशीर्वाद चाहिए।

 हमे बस आपका आशीर्वाद चाहिए 

इस बात से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें अपने बड़ों का हमेशा सम्मान करने चाहिए चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो हमारे माता-पिता तो हमारे माता-पिता ही होते हैं वह हमेशा अपने बच्चों की खुशी का ध्यान रखते हैं और हमेशा उनके ही खुशी के लिए अपना जीवन पूरा कुर्बान कर देते हैं

विनीता सिंह

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