घाव हरे करना – खुशी

रीना की मां का आकस्मिक निधन हो गया।वो छुट्टियों में अपनी मां के पास गई थी और अचानक हार्ट अटैक होने से उनका देहांत हो गया इस समय रीना की दुनिया उजड़ गई वो अपनी मां को बहुत प्यार करती थी उसकी तो दुनिया ही उजड़ गई।वो इस गम से सम्भल ही नहीं पा रही थीं।

पर लड़की का कोई अपना घर नहीं होता इसलिए शादी के बाद ससुराल जाना ही पड़ता है।अपने पिता को छोड़ भारी मन से वो अपने ससुराल आ गई।जहां उसकी सास उसी के इंतजार में बैठी थी कि कब वो आए और उसे जिम्मेदारी सौंप वो आजाद हो।मां के देहांत के कारण रीना की बहुत छुट्टियां हो गई थी

इसलिए उसे आगे छुट्टी नहीं मिल सकती थी।सास का अपनी बहन की शादी में ननद शिखा के साथ जाने का प्रोग्राम बना हुआ था ।पर रीना की बेटी पूजा छोटी थी इसलिए रीना के पति ने अपनी मां से कहा मां आप इस बार मत जाओ फिर चली जाना क्योंकि इस बार रीना को छुट्टी नहीं मिलेगी

और पूजा को संभालने की दिक्कत हो जाएगी।बेटे के सामने तो निर्मला कुछ नहीं बोली पर रीना को आते जाते ताने मारती मै और मेरी बेटी जाने वाले थे तेरी वजह से नहीं जा पाए ।रीना रोती तो नितिन उसे समझता और कहता छोड़ दो ये मां का स्वभाव है।पर हर किसी ना किसी बात पर निर्मला रीना के घाव हरे करती ।

एक बार तो हद हो गई रीना ऑफिस से आई तो उसकी नन्द और उसकी बेटी आई हुई थी। निर्मला अपनी बेटी की तिमारदारी में लगी थी।रीना बोली मां आप  मुझे बताइए क्या बनाना है मै बना देती हूं रात के खाने में। निर्मला बोली तू रहने दे अभी उसकी मां जिंदा है उसे देखने के लिए तेरी तरह नहीं।

रीना दुखी हो अंदर चली गई।बाहर निर्मला बेटी के लिए पकवान बनाती रही पर रीना को पूछा भी नहीं।नितिन आया तो उसे भी खाना खिला दिया उसने पूछा भी कि रीना कहा है तो निर्मला बोली शाम से कमरे में पड़ी है मेरी बेटी जो आई है।नितिन ने रीना से पूछा क्या हुआ  रीना ने सब बताया।नितिन रीना के लिए खाना लाया।

कुछ दिन बाद उसकी सास ने नितिन से कहा तुमने हमे शादी में नहीं जाने दिया मेरा रिज़र्वेशन करवा दो मै अपने माता पिता के पास जाना चाहती हूँ।नितिन ने टिकट करवा दिया।निर्मला पैकिंग में बिजी थी जबकि सब कुछ रीना और नितिन खरीद कर लाए तब भी निर्मला ने नितिन को रीना को सुनाते हुए बोला कि भाई हमारा मायका है मां है जो बुलाती हैं

औरों की तरह नहीं की मायका ही नहीं अब त्यौहार वार कहा से होंगे।कही जाएगी भी नहीं हमारे सिर पर बैठी रहेगी।मायका तो होना चाहिए।नितिन बोला मां क्या बात करती हो ये क्या अपने हाथ में है। हमारे पिता भी तो नहीं है फिर सारी जिम्मेदारी मेरे सिर पर ही तो है मैं और रीना तो तुम्हे किसी चीज को मना नहीं करते

फिर भी तुम उसके जख्म भरने नहीं देती हमेशा उसके घाव हरे कर देती हो ये शोभा देता है क्या?, सोचो उसकी जगह अपनी सपना होती तो। वाह बेटा तू अपनी बीवी के लिए मां को मारने पर तुला है बहुत अच्छे ।मां मैने ऐसा कुछ नहीं कहा तुमसे बात करना फिजूल है और नितिन वहां से आ गया और बोला रीना चलो कुछ दिन तुम्हारे पिताजी के पास हो आए।

रीना और नितिन निर्मला को गाड़ी में बिठा रीना के पिता के घर आए ।घर वीरान था क्योंकि रौनक चली गई थी नौकरानी आती काम करती खाना बनाती चली जाती।रीना बहुत दुखी थी उसने नितिन से बात कर अपने घर के पास ही पिता के लिए घर ले लिया किराए का ताकि उनका ध्यान रख सके और डॉक्टर खाना पीना ठीक हो क्योंकि वो डायबिटिक थे।

इसी बीच नितिन को निर्मला का फोन आया कि उसकी नानी यानी निर्मला की मां का देहांत हो गया।निर्मला रो रही थी फोन पर और रीना सोच रही थी अपना दुख दुख है और दूसरों का दुख दुनिया का चलन ।ईश्वर की लाठी बे आवाज होती है जब पड़ती हैं तो कोई आवाज नहीं होती।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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