डा.आरव आर्थोपेडिक थे। उनकी पत्नी नैना ने गणित में एम. एस. सी. किया था । कालेज में लेक्चरर थी। शादी के दो साल बाद ही आपसी विचारों के मतभेद के कारण प्रतिदिन वाकयुद्ध दोनों के बीच चलता रहता था। एक दिन गुस्से में आरव ने उस पर हाथ उठा दिया। नैना की सहनशक्ति जवाब दे गयी। उसी दिन वह घर छोड़कर कालेज के होस्टल में आ गयी थी। दोनों की सहमति होने से उनका शीघ्र ही तलाक हो गया था।
कुछ समय बाद नैना की शादी कालेज के प्रिंसिपल के बेटे सौरभ से हो गई थी। प्रिंसीपल साहब व उनके बेटे ने बहू का बहुत ईलाज करवाया पर वह जीवन की जंग हार गई। प्रिंसीपल जी को नैना का व्यवहार बहुत पसंद था। उन्होंने ही नैना के सामने अपने बेटे सौरभ के लिए प्रस्ताव रखा था।
दोनों की मंदिर में शादी करवा दी गई। उनका जीवन सुखमय था। दो प्यारे बच्चों की मां बन गई थी नैना।
*
एक दिन कालेज से आते समय नैना का ट्रक से एक्सीडेंट हो गया । कुछ अनजान लोग आनन-फानन में उसे अस्पताल ले गये।
इमरजेंसी से तुरंत आपरेशन थियेटर में ले जाया गया। उसके पर्स में रखें मोबाइल से घर खबर कर दी गई। घर वाले सब अस्पताल पहुंँच गये। नैना बेहोश थी। खून बहुत बह रहा था। हाथ पैरों में दो तीन फ्रेक्चर थे। तुरंत आपरेशन किया गया।
उस दिन डा.आरव शादी में जा रहे थे ,तभी हास्पिटल से फोन आया वे सीधे अस्पताल पहुँचे ,पूरी तैयारी थी । वे मरीज की सूरत देखते ही पहचान गये थे ।
चुपचाप आपरेशन करके नर्स व अस्सिटेंट डा.को सारे निर्देश देकर चले गये।
आपरेशन के दूसरे दिन डा.आरव सुबह राउंड पर आये। उन्होंने नैना से कहा,” नैना जी कैसी हैं आप? नैना नींद में थी, आवाज सुन थोड़ा चौंकी उस को डा.का पहचाना सा चेहरा लगा तभी उसकी निगाह डा.के नाम के बैच पर गयी।
उस पर डॉ.आरव (सीनियर आर्थोपेडिक)लिखा था। एक मिनट को नैना अतीत के गलियारे में पहुँच गयी। तलाक के बाद आज ही उसका आरव से सामना हुआ था।
नैना बोली,” धन्यवाद डाॅ.आरव ,आपने मुझे पहचान लिया!
डा.आरव बोले,” जी कल ही पहचान गया था।”
नैना ने पूछा,”कैसे हैं आप? शादी हुई या नहीं?”
आरव बोला,”अपनी गलतियों की सजा मैं स्वयं को दे रहा हूँ। शादी करके उन्हें दोहराना नहीं चाहता,खैर! छोड़िए पुरानी बातें। कैसी हैं आप?”
नैना दर्द से कराहते हुए बोली,” डाक्टर ,आपने मेरा आपरेशन कर दिया। मुझे नया जीवन प्रदान किया है मैं हमेशा आपकी आभारी रहूँगी। नर्स बता रही थी कि आप मेरे कारण शादी में न जा पाये। आपने मेरा तुरंत आपरेशन न किया होता तो मेरे दोनों बच्चे आज बिन मांँ के हो जाते।
डाॅ आरव बोला,” नहीं-नहीं नैना जी धन्यवाद कहने की आवश्यकता नहीं है। मैने तो अपना फर्ज़ निभाया है। मरीज की जान बचाने की पूरी कोशिश करना हर डाक्टर का कर्तव्य है। यहाँ पहचान या रिश्ते नाते का कोई वास्ता नहीं होता।
सुनीता परसाई’चारु’
जबलपुर मप्र