समस्या से बचना समझदारी नहीं है – लतिका पल्लवी

“जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना, जहाँ कुमती तहाँ विपत्ति निधाना” तुलसीदास की यह वाणी मृदुला के जीवन पर एकदम सही बैठती है। मृदुला की शादी के मुश्किल से तीन माह भी नहीं हुए थे पर उसनें अपने व्यवहार से पुरे घर को परेशान कर रखा था। तंग आकर उसके पति नें एक दिन उससे कहा “तुम एक अच्छे घर की बेटी हो जिसका सम्मान पूरे शहर मे है,

अच्छी तरह से जानती हो कि परिवार मे यदि प्रेम भाव नहीं रहे तो उस परिवार से सुख सम्पति दूर हो जाती है फिर भी तुम जब तक दिन मे एकाध बार किसी से उलझ नहीं लेती लगता है तब तक तुम्हे चैन ही नहीं मिलता है। कभी माँ से उलझोगी तो कभी भाभी से।

तुम तो दो चार दिन के लिए आई ननद को भी बर्दास्त नहीं कर पाई उससे भी उलझ गई। माँ -पापा नें तुम्हारे खानदान की बड़ाई सुनकर और तुम्हे प्रतिदिन मंदिर मे देखकर सोचा कि लड़की बहुत ही संस्कारी है और मेरे लिए तुम्हारा रिश्ता माँग लिया, पर जब से तुम इस घर मे आई हो हमारे घर का सुख चैन ही खत्म हो गया है।घर मे सभी तुम्हारे जबानदराजी से परेशान हो गए है।

तुम उसमे सुधार लाओ, नहीं तो फिर हमें कुछ सोचना पड़ेगा।” बस इतना सुनना था कि मृदुला नें ऐसा हंगामा खड़ा किया कि पूरा घर ही दहल गया।इतना शोर मचाने लगी जिससे सभी डर गए कि कहीं पूरा मोहल्ला ना इकट्ठा हो जाए। मृदुला का परिवार बहुत ही अच्छा था।

घर मे पूजा पाठ का माहौल था। उसके पिताजी बहुत ही नेक व्यक्ति थे।समाज मे सम्मान था।इन सब कारण से उन्हें भी कुछ कहना बेकार ही था। शादी हो ही गई है तो निभाना तो पड़ेगा, यह सोचकर परिवार वाले चुप रह गए। मृदुला बचपन से ही बहुत जिद्दी थी। तीन पीढ़ी बाद घर मे बेटी हुई थी इसलिए उसके दादाजी और दादीजी उसे बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे।

वह बचपन से ही जिसे जो मन करता कह देती यदि इसपर उसके पापा, माँ चाचा, चाची या कोई भी उसे डांटता तो उसकी दादी उसे ही बुरा भला कहने लगती और कहती अभी बच्ची है कुछ कह ही दिया तो क्या तुम्हारे उपर चिपक गया?बड़ी होंगी तो अपने समझदार हो जाएगी फिर सोच समझ कर बोलना सीख जाएगी।

दादी का शह पाकर वह बहुत ही जिद्दी और जबानदराज हो गई थी।माँ, चाची और भाभी को तो कुछ समझती ही नहीं थी। पापा, चाचा और भाईयों से भी बात बात पर उलझती रहती थी। उसकी मर्जी का काम नहीं होता तो वह घर मे पूरा कलह मचा देती।

रसोई मे भी कभी उसकी पसंद का खाना नहीं बन पाता तो इतना रोना धोना मचाती कि तुरंत उसकी माँ या चाची को उसकी पसंद का खाना बनाना पड़ता। धीरे -धीरे सभी इसके स्वभाव के आदी हो गए थे घर मे हमेशा कोशिश होती कि उसे नाराज होने का मौका ही नहीं दिया जाए। सब उसकी पसंद का ख्याल रखते ताकि घर मे कलह नहीं हो।

पहले दादी के प्यार के कारण और बाद मे कलह के डर से उसके किसी भी व्यवहार पर डाँटना बोलना बंद कर देने कि वजह से उसकी बदतमीजी दिन पर दिन बढ़ती ही गई। वैसे उसमे और कुछ अवगुण नहीं था बस जिद्दी बहुत थी और अपने मन का नहीं होने पर वह किसी भी हद तक जा सकती थी।

देखने मे सुंदर थी। घर के काम भी कर लेती थी। लेकिन यदि सास या जेठानी उसके किसी भी काम को लेकर कुछ भी कहते तो उनका एक इज्जत नहीं छोड़ती थी। घर मे इतने सदस्य थे तो कोई ना कोई कुछ ना कुछ बोल ही देता, बस उसका झगड़ा शुरू।

यहाँ भी मायके की तरह बचने का ही सहारा लिया गया और ससुर जी नें रोज़ रोज़ के कलह से तंग आकर मृदुला की रसोई अलग कर दी। अलग बनाओ खाओ किसी से कोई मतलब नहीं, जैसे मर्जी रहो। उनकी कोई गलती भी नहीं थी मायके मे तो रोना धोना ही मचाती थी ससुराल मे तो केस मुकदमा की भी धमकी देने लगी थी।

अलग रहकर भी उसे चैन नहीं था जब तब पति के घर के सदस्यों से बातचीत करने पर कलह करती थी।कुछ दिनों बाद उसे बेटा हुआ तब तो और ज्यादा कलह शुरू हुआ। बच्चे को कोई गोद उठा ले तो हंगामा करती थी। थोड़ा बड़ा होने पर वह दादा दादी या घर के किसी सदस्य  बात करता तो उनसे झगड़ा करनें लगती ।

इसके कारण सभी नें उनसे दुरी बना लिया था।अपने बेटे को लेकर इतना ज्यादा पोजेसिव थी कि उसे घर के सदस्यों को तो नहीं ही बात करने देती थी बाहर के लोगो से भी उसे बात नहीं करने देती थी। उसके झगड़ने के डर से सभी नें उसके बेटे राहुल से बात करना बंद कर दिया।

पर मृदुला के इस रवैइये के कारण उसका बच्चा राहुल दब्बू स्वभाव का हो गया।किसी से ना मिलना,ना बोलना बतियाना बस घर मे रहता और वह भी सिर्फ अपने कमरा मे। पिता से भी बात नहीं करता। माँ से भी काम भर ही बात करता। पढ़ने मे ठीक था इसलिए बी टेक करके एक आई टी कम्पनी मे काम करने लगा पर बड़े होने पर भी उसके स्वभाव मे बदलाव नहीं हुआ और ना ही उसकी माँ मृदुला के स्वभाव मे बदलाव हुआ।

वह अभी भी अपने मन के विरुद्ध हुए काम को बर्दास्त नहीं करती थी। घर का माहौल एकदम दमघोटू था।दादा दादी, नाना नानी,दोनों घरो के लोगो नें इन लोगो से किनारा कर लिया था।राहुल की नौकरी लगने के कारण उसके लिए रिश्ते आने लगे। एक अच्छा खानदान और लड़की देखकर मृदुला नें बेटे राहुल का विवाह कर दिया।

लड़की अच्छी थी पर मृदुला के साथ निभाना सब के बस की बात नहीं है।मृदुला बेटा बहु को कहीं भी बाहर नहीं जाने देती थी। हनीमून पर भी नहीं जाने दिया। बहू सास से तो कुछ नहीं कहती, पर अपने पति से तो बाहर ले जाने के लिए कहती ही थी।

बेटा तो अच्छे से जानता था कि माँ की बात नहीं मानने का नतीजा क्या होगा इसलिए वह अपनी पत्नी को कैसे भी करके समझा देता था।पर वह भी कितने दिनों तक पत्नी को समझा पाता।एकदिन ऑफिस के किसी दोस्त की एनवरसरी पार्टी मे जाने के नाम पर मृदुला नें बहुत हंगामा किया बस बहू नें भी कुछ बोल दिया इसपर मृदुला बहू को बहुत ही ज्यादा सुनाने लगी। उस दिन तो बात खत्म हो गई पर आगे सास बहू मे प्रायः तु तु मै मै होने लगी।

माँ बाप किसी की बदतमीजी सह जाएंगे, एकबार के लिए सास ससुर भी बेटे की ख़ुशी के लिए बर्दास्त कर जाएंगे, पति भी घर की शांति के लिए बर्दास्त कर लेगा पर कोई बहू अपने पति के उपर किसी का आवश्यकता से अधिक कंट्रोल चाहे वह सास ही क्यों ना हो सह नहीं पाएगी।

यही राहुल के साथ हुआ।माँ और पत्नी के बीच मे वह पीसने लगा।वह इतना सक्षम नहीं था कि कोई निर्णय ले सके, इसलिए उसने एकदिन इन दोनों के कलह से बचने के लिए अपनेआप को समाप्त कर लिया।

मृदुला की गलती को सुधारने की कोशिश उसके माँ पापा, सास ससुर, या उसके पति किसी नें भी नहीं की।सभी इस समस्या से बचते ही रहे।पर उनकी इस गलती की सजा राहुल को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

विषय –कलह 

लतिका पल्लवी 

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