आज फिर मीनाक्षी ने रो कर अपनी मां को फोन किया था।
मीनाक्षी ने कहा -” मम्मी देखिए ना, आज संदीप फिर से सुबह-सुबह कलह करके ऑफिस गया है और उसके इस रोज-रोज के क्लेश के कारण मेरा मूड खराब हो जाता है। आज भी ऐसा ही हुआ और मैं ऑफिस से छुट्टी लेकर बैठ गई। मम्मी उसे कौन समझाएगा कि ऐसे कलह करना ठीक नहीं। खुद तो ऑफिस चला जाता है और मैं शाम तक गुस्से में भरी बैठी रहती हूं। ”
मम्मी ने पूछा-” आखिर बात क्या हुई थी? जब तक मुझे पूरी बात पता नहीं चलेगी तब तक मैं कैसे कुछ कह सकती हूं। सप्ताह भर में यह तुम्हारा तीसरा फोन है कि संदीप ने कलह की है। आखिर बात क्या है। मुझे तो लगता था कि वह एक बहुत समझदार और सुलझा हुआ इंसान है। मीनाक्षी,तुम ऐसा करो, शाम को संदीप से पूछ कर तीन-चार दिन के लिए रहने यहां आ जाओ। यहीं से ऑफिस चली जाना और आकर पूरी बात भी बताओ। ”
मीनाक्षी -” मम्मी, मैं शाम तक इंतजार क्यों करूं मैं अभी आ जाती हूं और फिर संदीप से पूछना ही क्यों है, मेरा तो उससे बात करने का मन ही नहीं हो रहा। ”
मम्मी ने समझाया -” नहीं बेटा,अगर तुम उससे पूछे बिना और उसे बताए बिना आ जाओगी तो उसका गुस्सा और बढ़ जाएगा, क्या फायदा बात को बिगाड़ने का। ”
मीनाक्षी -” अच्छा मम्मी ठीक है, मैं उसे फोन करके बता देती हूं, लेकिन मैं उससे पूछूंगी नहीं। ”
मीनाक्षी की मम्मी मीनाक्षी के नेचर को अच्छी तरह जानती थीं। वैसे तो मीनाक्षी के मम्मी पापा को उसे पर बहुत गर्व था क्योंकि उसने बहुत मेहनत करके मल्टीनेशनल कंपनी में इतनी अच्छी पोस्ट पाई थी, लेकिन मीनाक्षी कभी-कभी अहंकारी हो जाती थी।
मीनाक्षी ने संदीप को फोन करके बताया-” संदीप, मैं चार-पांच दिन के लिए मम्मी के पास जा रही हूं, वहीं से ऑफिस चली जाऊंगी। ”
संदीप ने कहा-” अच्छा ठीक है। ”
मीनाक्षी 2 घंटे बाद अपने मायके पहुंच गई। रात में खाना खाने के कुछ देर बाद, जब मीनाक्षी के पापा सोने चले गए तब मीनाक्षी की मम्मी ने उसे अपने पास बुलाया और उससे बात की।
मम्मी ने कहा-” जिस दिन तुम्हारी आपस में कलह हुई थी, उस दिन कि मुझे पूरी बात बताओ और उससे पहले की भी। ”
मीनाक्षी – मम्मी, दो-चार दिन पहले संदीप ने अपने कुछ दोस्तों को घर पर बुलाया था। उस दिन मैंने छुट्टी लेकर कुछ खाने की चीज खुद बनाई और कुछ खाना बनाने वाली से बनवाई। संदीप और उसके दोस्तों ने जब खाना खाया, तो संदीप उसमें कमियां निकालने लगा, मुझे बहुत बुरा लगा। तब भी मैं चुप रही। ”
उसके दोस्तों के जाने के बाद मैंने उससे कहा की संदीप तुम्हें सबके सामने ऐसा नहीं कहना चाहिए था।
लेकिन संदीप को कोई फर्क नहीं पड़ा। परसों उसने अपने बॉस को खाने पर बुलाया था। संदीप हमेशा मेरे बनाए खाने की कमियां निकलता रहता है इसीलिए मैंने उस दिन कुछ भी नहीं बनाया, बल्कि मैंने सब कुछ बनवाया।
बातों ही बातों में उसके बॉस ने पूछा, आप कौन सी कंपनी में काम करते हो? मैंने उसे कंपनी का नाम और अपनी पोस्ट बताई तो उसने कहा वह कंपनी तो हमारी कंपनी से भी बहुत बड़ी है, आपकी तो सैलरी बहुत ज्यादा होगी,मैं अंदाजा लगा सकता हूं।
मैंने कहा नहीं सर, इतनी भी ज्यादा नहीं है हां लेकिन संदीप की सैलरी से ज्यादा है। बस इसी बात को लेकर संदीप ने सुबह-सुबह कलह करनी शुरू कर दी। ”
मम्मी पूरी बात समझ चुकी थीं। उन्होंने मीनाक्षी को समझाया-” बेटा तुम्हें यह बात नहीं कहनी चाहिए थी। हमें तुम पर गर्व है। तुम इतनी अच्छी पोस्ट पर हो और तुम्हारी सैलरी भी इतनी अच्छी है लेकिन तुमने संदीप के ईगो को हर्ट कर दिया। कोई भी पुरुष यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि दूसरों के सामने यह बात जाहिर हो कि उसकी पत्नी की सैलरी उससे ज्यादा है। इसमें उसे लगता है कि उसकी पत्नी उसे नीचा दिखा रही है या फिर उसे नीचा महसूस करवा रही है। और रही बाकी खाने की बात, तो हम उसे समझाएंगे की उसे हर समय कमियां नहीं निकालनी चाहिए, लेकिन तुम्हें भी यह ध्यान रखना होगा कि सैलरी की बात से उसका इगो हर्ट ना हो। ” मीनाक्षी-” लेकिन मम्मी, अगर मेरी सैलरी ज्यादा है तो क्या मैं उसे किसी को बता भी नहीं सकती, यह क्या बात हुई? क्या संदीप की सैलरी कम है तो उसमें मेरी गलती है? ”
मम्मी-” नहीं उसमें किसी की गलती नहीं है, लेकिन अपने घर को बचाने के लिए हर लड़की को ही प्रयास करने पड़ते हैं और उसे ही एडजस्ट करना पड़ता है वरना घर टूटते देर नहीं लगती, और मुझे पता है कि तुम बहुत समझदार हो, तुम ऐसा बिल्कुल नहीं चाहोगी। अब जब संदीप के सर खुद एक कंपनी चला रहे हैं और उन्होंने तुम्हें कहा भी कि उन्हें तुम्हारी सैलरी का अंदाजा है तो तुम्हें कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी। “
उसके बाद मीनाक्षी के माता-पिता ने संदीप को बुलाकर उसे समझाया कि मीनाक्षी प्यार से तुम्हारे लिए कुछ भी बनती है तो तुम उसमें कमियां मत निकाला करोऔर मीनाक्षी को हतोत्साहित मत किया करो। वह शुरू से ही पढ़ाई में मगन रही है और खाना कभी-कभी बनती थी इसीलिए उसे इतनी प्रेक्टिस नहीं है। और मीनाक्षी के माता-पिता ने मीनाक्षी को भी फिर से पूरी बात समझाई। दोनों अपने-अपनी गलती महसूस कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को सॉरी बोला और कहा कि हम आगे से इन बातों का ध्यान रखेंगे। कलह होने का कारण समाप्त हो चुका था और बड़ों की समझदारी के कारण उनका परिवार टूटने से बच गया था।
स्वरचित, अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली