मामा जी ये देखिए मेरा रिपोर्ट कार्ड,मैं क्लास मैं फर्स्ट पोजीशन पर आई हूं । मामा (प्रमोद)जी कुछ बोलते इससे पहले ही वहां मामी आ गई। अच्छा अच्छा ठीक है यहां रिपोर्ट कार्ड लेकर आ गई
दिखाने के लिए मेरे बेटे के कम नंबर आए हैं इस लिए ।अब छोड़ो पढ़ाई लिखाई घर के काम धंधे सीखों,कल के ससुराल जाना है वहां जाकर नाक न कटवा देना मेरी कि ,मामा मामी के घर में रहती थी ,मामी ने कुछ सिखाया नहीं । रश्मि अपना सा मुंह लेकर वहां से चली गई।
सुनीता के दो बेटियां थीं रश्मि और राशि। सुनीता का एक खुशहाल परिवार था । उसकी शादी मोहन से बड़ी धूमधाम से हुई थी। बहुत खुश थी वो मोहन के साथ । सुनीता के सास ससुर गांव में बड़े बेटे के साथ रहते थे। मोहन यहां शहर में , टांसपोर्ट का बिजनेस करता था ट्रकों पर माल लदवा कर इधर उधर भेजना पड़ता था ।
शादी के तीन साल में ही सुनीता के दो दो बेटियां हो गई थी। फिर भी हंसी खुशी से परिवार चल रहा था। बड़ी बेटी रश्मि तीन साल की थी और दूसरी अभी तीन महीने की ही थी कि एक अनहोनी घट गई। मोहन ट्रक पर माल लदवा कर उसको रवाना करने के लिए ट्रक को बैंक करवा रहा था
कि पता नहीं कैसे ट्रक के नीचे आ गया कोई देख ही न पाया और ट्रक उसके शरीर को कुचलता हुआ निकल गया।और एक जोरदार चीख के साथ मोहन के प्राण पखेरू उड़ गए।ये खबर जब सुनीता को मिली तो वो बेहोश हो गई।
कुछ देर बाद उसकी आंख खुली तो देखा पास में ही बैठी मुहल्ले की कुछ औरतें उसके मुंह पर पानी का छींटा मार रही है । होश में आते ही सुनीता दहाड़े मारकर रोने लगी।अरे ये क्या हो गया मेरी तो दुनिया ही उजड़ गई।
गांव से मोहन के माता-पिता और बड़े भाई आए । मोहन का अंतिम संस्कार हुआ।सारे कार्य क्रम निपट जाने के बाद मोहन के माता-पिता और बड़े भाई जब वापस जाने लगे तो सुनीता ने कहा मांजी मैं भी चलती हूं गांव अब यहां किसके सहारे रहूंगी। क्या कहा गांव चलती हूं , मेरे बेटे को खा गई
और अब मेरे साथ चलेगी ।इन दो दो लड़कियों का बोझ कौन उठाएगा।पर मांजी मैं यहां किसके सहारे रहूंगी । मुझे नहीं मालूम हम लोग तुम्हारा बोझ नहीं उठा सकते। अपने मायके चली जा।आप लोगों के रहते हुए मायके ,अब हम लोगों से तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है। जहां मर्जी हो वहां जा। सुनीता के सास ससुर सुनीता को दो अबोध बच्चियों के साथ छोड़कर चले गए।अब सुनीता के पास मायके जाने के अलावा कोई रास्ता न था।
मायके में भी बस भाई भाभी और उनके दो बच्चों के अलावा पिता जी थे बस मां थी नहीं। सुनीता दोनों बच्चों को लेकर मायके आ गई।अब अचानक से अपने ऊपर दो दो बच्चों और ननद का बोझ देखकर भाभी के तेवर बदल गए । कुछ दिन तो सुनीता वहां रही लेकिन अब भाभी ने बात बात पर ताने मारने शुरू कर दिए। सुनीता पढ़ी लिखी भी ज्यादा न थी कि कोई काम धंधा ही कर लें बस घर के कामों में भाभी ने उसे झोंक दिया। दिनभर सुनीता काम भी करती और भाभी के ताने भी सुनती ।
सुनीता के पिता जी जगदीश जी सुनीता की ये हालत देखकर बहुत चिंतित रहते थे । उन्होंने सुनीता के ससुराल में सास ससुर से कई बार बात की की सुनीता उनके घर की बहू है अपने पास रख लें लेकिन वो लोग तैयार नहीं हुए । फिर जगदीश जी ने घर के ऊपर के हिस्से में सुनीता के अलग रहने की व्यवस्था कर दी ।और अपनी पेंशन सुनीता को खर्चा चलाने को देने लगे । सुनीता भी अब धीरे धीरे संभलने लगी थी। सुनीता अब घर में थोड़ा थोड़ा सिलाई कढ़ाई का काम करने लगी ।जगदीश जी ने अपनी पेंशन में सुनीता का नाम भी मेंशन करवा दिया ।अब सरकार की तरफ से ऐसी व्यवस्था है कि घर में यदि कोई विधवा या बेसहारा बेटी है तो माता पिता के बाद बेटी को भी पेंशन मिलती रहैगी। लेकिन भाभी दिनभर जली कटी सुनातीं रहती थी ।
एक दिन ऐसा आया कि जगदीश जी इस दुनिया से चले गए। सुनीता का आखिरी सहारा भी नहीं रहा । बेटियां बड़ी हो रही थी , साथ साथ भाई के भी दोनों बेटे बड़े हो रहे थे दोनों बेटे बेटियों के हम उम्र ही थे । भाभी ताने मारती शर्म करो तुम्हारे दो दो बेटियां हैं जाने कब मुंह काला करवा दें ।भाई मेरा तो सिर गर्व से ऊंचा है क्योंकि मेरे तो दोनों बेटे हैं। मामा मामी को अपने मां से गंदा बर्ताव करते हुए बेटियां देखती थी और अब सब समझती भी थी लेकिन मजबूरी में चुप रहती थी। रश्मि इस साल भाई स्कूल की परीक्षा दे रही थी। मामा के बेटों का पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था वो रश्मि को बोलता कि सब नकल करके पास होती हो।अब रश्मि छोटे बच्चों को घर पर ट्यूशन भी लेती थी जिससे पढ़ाई के लिए थोड़े पैसे से मदद मिल जाती थी।इसी तरह रश्मि आज इंटर में फर्स्ट डिवीजन में पास होकर आई और मामा को रिजल्ट दिखा रही थी तभी मामी चिढ़ गई थी क्योंकि उनका बेटा बस किसी तरह पास हो गया था।राशि भी अब नौवीं कक्षा में आ गई थी।
रश्मि को ग्रेजुएशन करने को डिग्री कालेज में एडमिशन लेना था लेकिन सुनीता के पास इतने पैसे नहीं थे।आज वह भाई से रिक्वेस्ट कर रही थी भाई रश्मि का एडमिशन करवा दें तभी भाभी चिल्लाने लगी कि अब हम अपने बच्चों को पढ़ाएंगे कि तुम्हारी लड़कियों को।ये लड़कियां पढ़-लिख कर क्या करेंगी।अरे बोझ है लड़कियां तो , बेटियां तो शर्म से सिर झुका देती है मां बाप का । कैसी बात कर रही है भाभी मेरी बच्चियां ऐसी नहीं है । कोई एडमिशन नहीं कराएंगे तुम्हारे भईया समझी तुम। सुनीता ने भाई के पांव पकड़ लिए भाई कुछ पैसे दे दे ,मैं सिलाई करकें आपके सारे पैसे लौटा दूंगी।मैं ज्यादा पढ़-लिख न पाई तो कम से कम बेटियां तो पढ़ लें । कुछ काम करके अपना जीवन तो चला ले ।
बहुत रिक्वेस्ट के बाद प्रमोद जी ने रश्मि का एडमिशन करवा दिया। रश्मि मन लगाकर पढ़ने लगी । मामा का बड़ा बेटा अजय नंबर कम आने की वजह से कहीं भी एडमिशन नहीं ले पाया । फिर प्राइवेट फार्म भरकर किसी तरह ग्रेजुएशन किया।और छोटा अरूण तो बिल्कुल भी न पढता था इस बार हाई स्कूल में फेल हो गया था।एक दिन रश्मि ने छोटे बेटे अरूण को गली के मुहाने पर जुआ खेलते देखा तो उसने घर आकर मामी को बताया तो मामी ने रश्मि को थप्पड़ जड़ दिया तुम लोग जलती हो मेरे बेटों से ।
अब आज सुबह सुबह घर में हंगामा मचा हुआ था मामा के पाकेट से पैसे गायब थे, ये काम दो तीन दिन से हो रहा था जब प्रमोद जी ने पत्नी से पूछा पैसों के बारे में तो वो साफ मुकर गई और भांजियों पर शक डाल दिया। मामा ने रश्मि राशि से पूछा तो उसने कहा नहीं मामा हमलोग तो आपके कमरे मे भी नहीं आते।बेटों पर ही शक गया लेकिन बात आई गई हो गई।
किसी तरह बड़े बेटे अजय ने ग्रेजुएशन पूरा किया तो एक दिन घर में आकर मम्मी पापा से कहने लगा हमारे कुछ दोस्त दुबई जा रहे एजेंट ले जा रहा है । वहां तेल कंपनी में काम करने हमें भी जाना है , वहां जाकर कुछ पैसे कमा लूंगा यहां तो मुझे नौकरी मिलने से रही। लेकिन उसके लिए पैसों की जरूरत पड़ेगी। कितने पैसे लगेंगे मामी ने पूछा ।पांच लाख अजय बोला ,इतने पैसे हां तो एजेंट लेगा टिकट होगा वहां रहने की व्यवस्था करनी पड़ेगी और जबतक काम नहीं मिलता अपने पैसे खर्च करने पड़ेंगे। पापा आप कहीं से इंतजाम करें वहां जाकर नौकरी करूंगा फिर सारे पैसे लौटा दूंगा।
प्रमोद को भरोसा नहीं था बेटे पर लेकिन उसने जिद पकड़ ली पत्नी भी जोर देने लगी।अजय वहां काम करेगा तो हम लोगों के पास भी तो पैसा भेजेगा अजय जाने दे उसको ।अब इतने पैसे तो थे नहीं प्रमोद जी के पास घर गिरवी रख कर कर्ज ले लिया पैसा और अजय चला गया दुबई । शुरूआत में तो एक दो बार फोन आया अजय का फिर फोन आना भी बंद हो गया।इधर से प्रमोद जी फोन लगाते तो लगता नहीं।अब अजय फोन मैसेज किसी का भी कोई जवाब नहीं दे रहा था। धीरे धीरे छै महीने बीत गए।अब चिंता चिता प्रमोद जी की तबीयत बिगड़ने लगी। कर्ज के पैसे कैसे चुकाएं ।इधर छोटा अरूण गलत संगत में पड़ गया था। आदतें बिगड़ गई थी वो घर में छोटी छोटी चोरियां करने लगा था और जुआ खेलने लगा था।
ऐसे ही एक रात मामा मामी सो रहे थे गहरी नींद कि तभी कुछ खटर पटर की आवाज से नींद खुल गई तो देखा अरूण आलमारी खोलकर पत्नी की चार चूड़ियां और गले की सोने की चेन निकाल कर जेब में रख रहा था। तभी प्रमोद जी उठे और अरूण को पकड़ लिया ये क्या तुम चोरी कर रहे हो ।पकड़े जाने के डर से अरूण ने प्रमोद जी को जोर से धक्का दिया और भाग गया।प्रमोद जी का सिर पलंग के पाए से टकराया और खून की धार बह निकली । तभी मामी चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ। आवाज सुनकर सुनीता और दोनों बेटियां नीचे आई ।तब तक खून बह जाने से प्रमोद जी बैहोश हो गए थे। रश्मि ने तुरंत एम्बूलैंस बुलाई और मामा को अस्पताल में भर्ती कराया। प्रमोद जी का तुरंत इलाज चालू हो गया।
दो दिन बाद जब स्थिति नार्मल हुई तो रश्मि ने डाक्टर से पूछा कि अब मामा जी कैसे हैं । डाक्टर बोले अब बेहतर है खतरे से बाहर है आपने समय से अस्पताल में भर्ती करा दिया नहीं तो ज्यादा खून बह जाने से बेहोशी की हालत में वो कोमा में जा सकते थे। फिर तो बहुत मुश्किल हो जाती।ये सुनकर मामी ने रश्मि को गले से लगा लिया। बहुत बहुत धन्यवाद बेटा ।तुम लोगों को मैं दिन-रात भला बुरा कहती रही आज तुमने ही अपने मामा की जांच बचा ली बेटा मुझे माफ कर दो बेटा । नहीं मामी कोई बात नहीं आप परेशान न हों अब मामा जी बिल्कुल ठीक हो जाएंगे हमलोग खूब देखभाल करेंगे उनकी ।
अस्पताल से घर आने पर सुनीता और दोनों बेटियों ने खूब सेवा की मामा की और प्रमोद जी पूरी तरह अब स्वस्थ हैं। आंख में आसूं भरकर प्रमोद जी सुनीता को धन्यवाद बोल रहे थे, नहीं भइया ऐसा न बोलें आपके सिवा हमारा और कौन है। रश्मि और राशि इधर आओ बेटा माफ़ कर देना अपने मामा को। बहुत ग़लत व्यवहार करते रहे हम दोनों पति-पत्नी तुम दोनों को बोझ समझते रहे।पर तुम तो मेरा गर्व हो बेटा शर्मिंदगी नहीं। खूब पढ़ो लिखों बेटा तुम्हारा मामा तूझे पढ़ाएगा।
रश्मि आज एम बीए करके नौकरी कर रही है और राशि अभी पढ़ रही है।पूरे घर का ध्यान रख रही है बेटियां । प्रमोद जी के बड़े बेटे का तो कुछ पता नहीं छोटा कुछ दिन बाद घर आकर मम्मी पापा से माफी मांग रहा था ।बेमन से अरूण को प्रमोद जी ने घर में रहने दिया। लेकिन अब मामा मामी का पूरा प्यार रश्मि और राशि को मिलने लगा।और अब घर में बेटी बेटे का फर्क नहीं है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
3 नवंबर