शर्म नहीं गर्व हूं मैं – रेखा जैन

तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे गरम गरम रोटियां ही पसंद है फिर क्यों ठंडी रोटी ले कर आती हो। एक ही बार में बात समझ नहीं आती है क्या?” आकाश ने रोटी को नीलम के सामने फेंकते हुआ कहा।

“मैं गरम ही रोटियां बना कर ला रही हूं लेकिन ठंड इतनी है कि लाते लाते ठंडी….!” नीलम के शब्द मुंह में ही रह गए और उसकी सास उसकी बात काटते हुए बोली,

“काम कुछ करना नहीं है और बस बहस करवा लो। बेचारा मेरा बेटा दिन भर का थका हारा एक समय तो गरम खाना खाता है, सुबह तो टिफिन का ठंडा खाना ही खाता है लेकिन दिन भर मेहनत के बाद भी उसे गरम खाना नसीब नहीं होता है!” सास ने आग में घी डालने का काम करते हुए बोला।

आकाश खाना अधूरा छोड़ कर उठ गया। नीलम ने रोते हुए घर के बाकी सदस्यों को खाना खिलाया और खुद बिना खाए ही अपने कमरे में आ गई।

तब तक आकाश सो चुका था। उसने नीचे जमीन पर बिस्तर लगाया और सोफे पर सोई अपनी दोनों बेटियों को ले कर सो गई। 

उसकी आंखों से अनवरत आंसू बह रहे थे। वो रोते हुए सोचो में डूब गई।

बारह साल पहले बड़ी धूमधाम से उसकी शादी आकाश से हुई थी। ससुराल में उसका पति आकाश और सास दो ही प्राणी थे। ननद बड़ी थी और उसका ब्याह हो गया था। ससुर उसकी शादी के दो साल पहले ही गुजर चुके थे।

आकाश उसे बहुत प्यार करता था। शादी के एक साल बाद पहली बेटी श्रेया का जन्म हुआ तब आकाश तो बहुत खुश हुआ था लेकिन सास का मुंह लटक गया था।

 श्रेया के जन्म के दो साल बाद वो पुनः गर्भवती हुई। इस बार आकाश ने भी उसे कह दिया था,

“एक बेटी है, अब एक बेटा भी हो जाए तो परिवार पूरा हो जाएगा।”

उसने हंसते हुए कहा,

“अगर इस बार भी बेटी हो गई तो?”

आकाश गंभीर हो गया और चेतावनी भरे स्वर बोला,

“नहीं ऐसा नहीं होना चाहिए, इस बार बेटा ही होना चाहिए। श्रेया तो बड़ी हो कर ससुराल चली जाएगी, बेटा होगा तो हमारे पास रहेगा। हमारे जीने का सहारा बनेगा!”

पति की गंभीर मुख मुद्रा देख कर नीलम सहम गई और आगे कुछ नहीं बोली। लेकिन मन ही मन सोचती थी,

“बेटा बेटी होना मेरे हाथ में तो नहीं है, आकाश इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त करके भी कैसी दकियानूसी बातें करते है!” लेकिन वो सिर्फ मन में ही सोचती रह जाती, जुबान पर अपने दिल की बात नहीं ला पाती थी।

सास तो दूसरी बार उसके गर्भवती होते ही कई मंदिरों में माथा टेक आई, कई मन्नत मांग आई कि इस बार पोता ही होना चाहिए। 

लेकिन दूसरी बार भी नीलम को बेटी हुई और वो भी बहुत कॉम्प्लिकेशन के साथ हुई। डॉक्टर ने कह दिया कि अब ये आगे गर्भवती नहीं हो सकती।

 बस, तब से ही आकाश और उसकी सास का व्यवहार उसके साथ बुरा हो गया। आकाश कई बार उसके ऊपर हाथ भी उठा देता था। उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान बन गए थे।

सास भी उठते बैठते उसे ताने देती रहती थी। और आगे बच्चा न जन पाने की भड़ास निकालती रहती थी।

लेकिन अपनी दोनों नन्ही बच्चियों के खातिर वो सब कुछ सहन कर रही थी।

एक दिन आकाश शराब पी कर घर आया और नीलम पर बरसना शुरू कर दिया। उसे चिल्लाते देख कर उसकी छोटी बेटी डर कर रोने लगी।

आकाश ने गुस्से में उस नन्ही सी जान को भी बुरी तरह से पीट दिया। नीलम उसे बचाने आई तो उसे धक्का दे दिया लेकिन किसी तरह से नीलम ने अपनी बेटी को बचा लिया। 

वो उसी क्षण अपनी दोनों बेटियों को अपने साथ ले कर घर से निकल गई। 

वो सीधे अपनी एक सहेली के यहां गई। क्योंकि मायके में माता पिता उसकी शादी के बाद गुजर गए थे और वहां भाई भाभी ही है जिन पर वो बोझ नहीं बनना चाहती थी।

वो कुछ दिन अपनी सहेली के घर रही और फिर एक किराए का घर ढूंढ कर उसमें रहने चली गई। उसने कुछ पैसों की बचत कर रखी थी, जिनको वो अपने साथ ले आई थी। जिससे घर का किराया निकल गया और घर का सामान भी आ गया।

उसने नौकरी ढूंढना शुरू कर दिया। उसने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया हुआ था इसलिए एक कपड़ों की कंपनी में उसकी नौकरी लग गई।

वो दोनों बेटियों को स्कूल छोड़ कर अपने ऑफिस चली जाती। बड़ी बेटी स्कूल से आ कर छोटी बेटी को संभाल लेती थी। परिस्थितिवश बड़ी बेटी छोटी सी उम्र में ही समझदार हो गई थी। उसने बड़ी सहजता से छोटी बहन की जिम्मेदारी उठा ली थी।

कुछ महीनों बाद नीलम ने आकाश पर तलाक़ का केस दायर कर दिया और तलाक़ ले लिया।

तलाक़ के बाद आकाश ने दूसरी शादी कर ली लेकिन दूसरी बीवी से उसे कोई औलाद नहीं हुई।

समय गुजरता रहा और नीलम समाज में तलाकशुदा हो कर सम्मान के साथ जीने का संघर्ष करती रही। उसका संघर्ष और मेहनत रंग लाई थी।

 उसकी बड़ी बेटी ने इम्तिहान में स्कूल टॉप कर लिया। स्कूल में बेटी को ट्रॉफी देते समय नीलम को भी मंच पर बुलाया गया। तभी उसने एक महिला की फुसफुसाहट सुनी,

“श्रेया की मां तो तलाकशुदा है!” सुन कर नीलम मुस्करा दी।

 मंच पर बेटी की उपलब्धि पर कुछ शब्द बोलने को कहा गया तो उसने माइक अपने हाथ में लिया और कहा,

“लोग कहते है कि मैं तलाकशुदा हूं तो मुझे शर्म नहीं आती क्या? लेकिन मुझे शर्म तब आती जब मैं अन्याय सहती रहती। लेकिन मैने आत्मसम्मान से जिया है। और यही मैने अपने बच्चों को भी सिखाया है। इसीलिए ये सुखद क्षण आज हमारे जीवन में आया है।

मैं तलाकशुदा हूं, ये शर्म नहीं गर्व है मेरे लिए।”

उसकी बेटी मुस्कराकर बोली,

“मेरी मां बहुत हिम्मत वाली है और वो ही हमारी प्रेरणा है।”

रेखा जैन

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