लेना देना तो प्रकृति का नियम है

बधाई हो सेठानी,पोता हुआ है इसबार पैसो से काम नहीं चलेगा, सोने का हार लुंगी।आज सेठ रामदयाल जी के यहाँ पोता का बधाई गाने किन्नर समाज के लोग आए थे और इस ख़ुशी के अवसर तरह तरह के नेग न्योछावर की माँग कर रहे थे। सेठानी नें कहा दूंगी,क्यों नहीं दूंगी? भगवान की दया से आज पोता हुआ है और उनकी कृपा से हमारे पास कुछ कमी भी नहीं है। लेकिन ज़रा सोच समझकर मांगो। ठीक है सेठानी वह तो हमने ऐसे ही कहा, हार मांगूगी तब तो कुंडल दोगी, कुंडल ही मांगूंगी तो फिर तो चाँदी ही पकड़ा दोगी, किन्नर समाज की मेठ नें हँसते हुए कहा कहा। बात कान की बाली पर तय हुई। ख़ुशी ख़ुशी उनलोगो नें बधाई गाया बच्चे को आशीर्वाद दिया और साड़ी,कपड़ा, गहना, पैसा आदि नेग लेकर बच्चे को आशीषते हुए चली गईं। सभी बहुत खुश थी आज अच्छा नेग न्योछावर मिला था। समाज मे यही एक अवसर तो होता है जब इस समाज को भी थोड़ी इज्जत और मूल्य मिलता है नहीं तो किन्नर समाज हमारे मुख्यधारा के  समाज से सदा उपेक्षा ही पाता है। सेठ रामदयाल के यहाँ ईश्वर नें खुशियाँ ही खुशियाँ बिखेर दी थी। उनको देखकर लगता था दुनिया मे सिर्फ ख़ुशी का ही अस्तित्व है।उनके यहाँ से निकल कर किन्नरो को लग रहा था कि दुनिया मे हर जगह ख़ुशी ही ख़ुशी है पर इनकी निद्रा तुरंत ही टूट गईं और याद आ गया कि ख़ुशी के साथ ग़म का भी अस्तित्व है। किन्नरो के ठिकाने के रास्ते मे एक सरकारी अस्पताल पड़ता था। जैसे ही वे सभी वहाँ से गुजरे उन्हें रोने की आवाज सुनाई दी।यहाँ से रोने की आवाज आना कोई नई बात नहीं थी क्योंकि अस्पताल मे किसे के जन्मने की ख़ुशी प्राप्त होती है तो यही पर लोग अपने परिवार को रोता बिलखता छोड़कर अपने अंतिम यात्रा पर भी चले जाते है। पर यह आवाज सिर्फ रोने की ही नहीं थी दो लोगो के नर्स के सामने बार बार गिड़गिड़ाने की भी थी। पता नहीं क्या मन मे आया वे सभी वहाँ चले गए। वहाँ जाकर पता चला कि किसी औरत को बच्चा होने वाला है। उसकी स्थिति बहुत खराब है उसकी माँ और पति उसे लेकर आए है पर सरकारी कुव्यवस्था की शिकार वह औरत दर्द से परेशान थी लेकिन कोई अस्पताल कर्मी उसकी मदद नहीं करना चाहते थे।उन्हें पैसे चाहिए था। औरत की माँ रोए जा रही थी और उसका पति कह रहा था कि हम बहुत गरीब है हमारे पास पैसे नहीं है। यह तो सरकारी अस्पताल है।आप उसे भर्ती कर लीजिए नहीं तो वह मर जाएगी पर किसी भी अस्पताल कर्मी को उसपर दया नहीं आ रही थी। किन्नर की मेठ नें यह देखा तो बधाई मे मिले कान की बाली को नर्स को देकर कहा अब इसे भर्ती कर लो। उस औरत की माँ नें उसके पाँव पकड़ लिए और कहा आप तो हमारे लिए देवता बन कर आई हो। कोई बात नहीं माँ जी लेना देना तो प्रकृति का नियम है कही बधाई मे मिलता है तो कही बधाई मे देना पड़े तो हमें संकोच किस बात की? बस आपका लल्ला पढ़े बड़े और आपकी गरीबी दूर करे यही आशीष है हम बहनो की तरफ से।

मुहावरा —ईश्वर की माया, कही धुप कही छाया 

लतिका पल्लवी

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