चाकलेट  की हिस्सेदारी – उपमा सक्सेना

“नीरू! नीरू चल मामा जी को सारी बोल दे!”मेघा अपनी तीन साल की बेटी को थोड़ा धमकाकर बोल रही थी।

मेघा अजीब सी स्थिति मे अपने-आप को फंसा पा रही थी।

रक्षाबंधन पर भाई के घर बहुत ही चाव से आई थी।पति नैतिक को भी बहुत मनुहार करके लेकर आई थी।

पिता जी दस महिने पहले दिल का दौरा पड़ने से नही रहे थे।पापा के जाने के दुख से माँ उबर नही पाई थी।इसीलिए मेघा हर मौके पर मायके आ जाती।एक ही भाई अखिल और एक ही बहन मेघा थी।छोटा सा परिवार था।

अखिल मेघा से नौ साल बड़ा था।उसकी शादी को आठ साल हो गए थे।पिता का मोटर पार्ट का कारोबार था।उसी को अखिल स्नातक करने के बाद से संभालने लगा था।अच्छा खासा खाता पीता खुशहाल परिवार था।

अखिल के पापा पुराने ख्यालो के थे।बेटे को काम-धंधे मे जमा देख उसके घर बसाने की सोचने लगे।मम्मी को भी यही चाह थी कि जल्द-से-जल्द बहू घर ले आए।

घर के पंडित ही ऋचा का रिश्ता लाए थे।घर पैसे वाला नही था।मेघा के मम्मी -पापा ने सोचा था कि गरीब घर की लड़की दबकर रहेगी। पर हुआ इसका उल्टा इतनी शान-शौकत देख उसको घमंड हो गया।मायके मे अपने अमीर ससुराल की धौंस दिखाती और ससुराल मे हाथ भी न हिलाती।पर फिर भी सब खुश थे।ऋचा के सब नखरे सिर माथे।तीन  साल बाद मेघा का विवाह भी खूब धूमधाम से हो गया।भाई अखिल के दो बेटे थे,अन्नू और मन्नू।अन्नू नीरू से दो साल बड़ा था।मन्नू सिर्फ चार महिने बड़ा था।पर नीरू खूब गोरी गुलाबी लंबी थी।उसके सामने दोनो भाई का रंग और भी दबा लगता।

हुआ कुछ यूँ कि एक बड़ी सी चाकलेट रखी थी।नीरू ने उठा ली।मन्नू ने देख लिया।अब वो उससे छीनने की कोशिश मे लग गया।

एक बार ,दो बार बस फिर जोर की आवाज चटाक! चटाक!

नीरू जो कि सिर्फ तीन साल की थी उसने मन्नू को दो चांटे गाल पर लगाए।

एकदम सन्नाटा छा गया।

मन्नू भी कुछ सेकेंड एकदम चुप रहा जैसे सदमे मे हो।

तभी ऋचा तेजी से अपने कमरे से निकल कर आई और मन्नू के लाल गाल देख सुबुकना शुरू हो गई। 

किसी की कोई प्रतिक्रिया न देख ऋचा का पारा चढ़ गया।”हाँ,हाँ मै तो गरीब घर की बेटी,ये नीरू तो शहजादी है,राजकुमारी है।हमारा बच्चा तो बस पिटने को है।”ऋचा की बाते सुनकर सब हतप्रभ रह गए। पर ऋचा की भड़ास अभी निकली नही थी वो बिना रुके चीख-चीख कर बोलती जा रही थी,” ये मन्नू के पापा नही घर के नौकर है।इनके सामने जरा सी छटांक भर की लौंडिया इनके लाड़ले को मारती रही इनसे कुछ न कहा गया।”

अखिल ने ऋचा को शांत करने की कोशिश करते कहा,” अरे! अभी ये बस तीन साल की है।”

अखिल की बात आग मे घी के समान साबित हुई। ऋचा छाती पर हाथ मार कर बोली,”हाँ! हाँ!

हमारा मन्नू तो बहुत बड़ा है।ये भी इसके बराबर है।”

मेघा नैतिक के सामने और शर्मिंदा होना नही चाहती थी।उसने नीरू से सख्ती से कहा,” माफी माँगो!मन्नू से तुरंत माफी माँगो!”

नीरू माँ के ये नया रूप देखकर डरी नही बल्कि हाथ बाँधकर गुस्से से मुँह फुलाकर खड़ी हो गई। 

मेघा ने फिर कहा,”माफी माँगो!मन्नू से तुरंत माफी माँगो!”

नीरू भी तेज आवाज मे बोली,” नही माँगूगी माफी!”

उसका ये रूप देखकर मेघा की माँ भी बोल पड़ी,” नीरू गलती करते है तो साॅरी बीलते है न।”

“मैने कोई गल्ती नही करी।”नीरू और भी जोर से बोली।

“अन्नू और मन्नू कमरे मे चाकलेट खा रहे थे।मैने माँगी तो मन्नू मुझे अंगूठा दिखाने लगा।”नीरू के इस खुलासे से अखिल भी चौक गया।

“चाकलेट तो यही है,और कोई चाकलेट नही है।”अखिल ने नीरू से कहा।

इस पर ऋचा आँखे झुकाकर बहुत धीमी आवाज मे बोली,” वो तो इनके मामा मामी लाए थे। आप नहा पूजा कर रहे थे तो मैने गुड्डू भैया और भाभी को अपने कमरे मे बैठा लिया था।”

सुनते ही अखिल खड़ा हो गया,” अरे सब यहाँ बैठे है उनको भी यही बुलाओ।”

ऋचा भागती हुई अंदर गई और पाँच मिनट मे ही अपने भैया भाभी के साथ बैठक मे आ गई। 

अखिल ने तीनो बच्चो को बुलाया और बड़े प्यार से कहा,” आज रक्षाबंधन है आज के दिन भाई-बहन एक दूसरे से प्यार करते है भाई बहन की रक्षा करता है और बहने उनको रक्षा सूत्र बाँधती है।रही बात चाकलेट की तो नीरू ने सही न्याय किया,अन्नू -मन्नू के लिए उनके मामा चाकलेट लाए वो नीरू को नही मिली।तो ये चाकलेट नीरू के मामा लाए है तो ये चाकलेट भी किसी और को नही मिलेगी।”

“मामा! मामा! “कहते नीरू अखिल की गोद मे चढ़ गई।

तनाव के बादल की गर्जन हँसी के ठहाको मे बदल गई।

नीरू ने अपनी चाकलेट खोली और सबको एक-एक टुकड़ा बांटने लगी।

-उपमा सक्सेना

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