“अरे सीमा तू….तू तो पहचान में भी नहीं आ रही….तेरे तो चाल–ढाल, रंग– रूप सब बदल गया….” निम्मी (नमिता) ने जब सीमा से कहा तो सीमा प्रत्युत्तर में सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई।
सीमा और नमिता (निम्मी) सौतेली बहनें थीं जो आज बहुत वर्षों बाद बुआ के बेटे की शादी में मिली थी। सीमा की मां सीमा के जन्म के समय ही परलोक सिधार गई अतः सीमा के पिता राजेश ने अपनी मां के कहने पर वसुधा से दूसरी शादी कर ली जिससे सीमा को एक मां मिल जाए और उसकी अच्छे से परवरिश हो जाए। लेकिन सौतेली मां सौतेली ही होती है अतः सीमा का ध्यान अधिकतर उसकी दादी ही रखा करतीं…..सीमा के 2 साल का होते ही वसुधा ने एक बेटे विवान को और 5 साल के होते ही नमिता को जन्म दिया…..विवान और नमिता के जन्म के बाद तो वसुधा जैसे भूल ही गई कि उस पर सीमा की जिम्मेदारी भी है….वह तो बस विवान और नमिता में ही लगी रहती और बेचारी सीमा मां के प्यार को तरसती….दादी उसका बहुत ध्यान रखतीं जिससे वह थोड़ा बहुत मां की कमी को भूल भी जाती लेकिन दुर्भाग्यवश उसके 10 साल का होते ही उसके सिर से दादा और दादी का साया भी उठ गया, राजेश अपने कार्य में व्यस्त रहते…..अब तो वसुधा को उसके मनमानी व्यवहार पर कोई रोकटोक करने वाला भी नहीं था अतः वह सीमा से घर का अधिकांश कार्य करवाती, अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी उस पर डाल देती….विवान और नमिता आपस में खेलते जिन्हें देख सीमा को भी खेलने का मन करता लेकिन वसुधा उसे बहाने से किसी न किसी कार्य में उलझाए रखती….बस उसकी जिंदगी में कुछ अच्छी बात थी तो यह कि उसकी पढ़ाई नहीं छुड़वाई गई थी…जैसे जैसे वह बड़ी होती जा रही थी उसकी जिम्मेदारियां बढ़ती ही जा रहीं थीं …वह काम करने के बाद कॉलेज जाती और कॉलेज से आते ही काम पर लग जाती ….विवान और नमिता का व्यवहार भी उसके प्रति बदल गया वह उसे बड़ी बहन कम ही समझते वह तो बस उनकी जिम्मेदारियों को पूरी करने वाली थी….घर में किसी को कोई काम होता वह सीमा को ही आवाज लगा देता….
एक दिन सीमा छत पर कपड़े सुखा रही थी कि मधु की नजर उस पर पड़ गई जो अपनी बहन अनीता के यहां आई थी….मधु ने जब अनीता से सीमा के बारे में पूछा तो उसके बताने पर उसने सीमा के गुण और व्यवहार से प्रभावित हो उसे अपनी बहू बनाने का निश्चय किया और अनीता से सीमा के माता पिता से उनकी इच्छा जानने के लिए कहा।
मधु ने अपने बेटे अनूप को जिसका मन पढ़ाई में कम ही लगता था जैसे तैसे इंटर करवाई और फिर घर में ही जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दी थी
अनूप के पिता का 2 साल पहले ही देहांत हो गया था, एक बड़ी बहन थी जिसका विवाह हो चुका था।
अब घर में मधु, अनूप और एक छोटी बहन कामना ही थे।
जब अनीता ने सीमा के माता पिता के सामने अनूप का प्रस्ताव रखा तो राजेश तो सहमत नहीं थे किन्तु वसुधा के आगे उनकी एक न चली ….एक तो बिना दहेज का विवाह जिसमें कोई ज्यादा खर्च भी न करना पड़े और दूसरे घर बैठे बिठाए उस लड़की के लिए रिश्ता आया जो उसे फूटी आँख न सुहाती थी भला हाथ से कैसे निकल जाने देती….बस हां कर दी।
कुछ ही दिनों बाद सीमा और अनूप का विवाह हो गया। कुछ वर्ष तक सीमा तीज त्यौहार पर्व आदि पर मायके भी आती लेकिन फिर वसुधा के व्यवहार के कारण उसने विवान और निम्मी के विवाह के बाद मायके आना बंद कर दिया क्योंकि विवान की बहू के सामने वसुधा का रुखा व्यवहार उसे नागवार गुजरा….विवाह और निम्मी दोनों के ससुराल वाले संपन्न थे, कई बार वसुधा ने सीमा को निम्मी और विवान की बहू के सामने छोटी छोटी बातों पर जलील किया था …..एक बार तो हद ही हो गई जब किसी पर्व पर वसुधा ने निम्मी और अपनी बहू के लिए लाई महंगी साड़ी दिखाते हुए कहा कि देखो अच्छी है न लेकिन तेरी किस्मत में कहां ऐसे महंगे कपड़े और सामान पहनना, तुम तो बस इन्हें देख लो वही बहुत है, लाने को तो मैं तेरे लिए भी ले आती लेकिन अगर तुम्हे इतने महंगे कपड़े पहनने की आदत पड़ गई तो फिर अनूप के लिए तो तुम्हारे शौक पूरे करने में मुश्किल हो जाएगी उसकी तो इतनी कमाई भी नहीं है..। वसुधा की इस बात को सुन वहां बैठी निम्मी और विवान की बहू भी हंस पड़ीं बस तभी से सीमा ने मायके जाना बंद कर दिया….वैसे भी वसुधा तो चाहती थी कि सीमा मायके न आया करे कहीं ऐसा न हो कि उसकी आर्थिक स्थिति देख उसके पिता उसकी आर्थिक मदद करने लग जाएं और इसी वजह से वह उसे जलील करने का कोई बहाना भी नहीं छोड़ती था….इस बात को राजेश भी अच्छे से जानते थे लेकिन उन्हें तसल्ली इस बात की थी कि सीमा अपनी ससुराल में खुश है और कभी कभी उन्हें सीमा की याद आती भी तो वह उससे उसी के घर मिल आते थे।
सीमा की ननद की शादी में भी राजेश के अलावा कोई नहीं गया क्योंकि वह विवान और निम्मी के स्टैंडर्ड का नहीं था।
इन बातों को आज 7– 8 साल हो गए जब सीमा और निम्मी का आमना सामना बुआ के बेटे के विवाह में हुआ था। पहले जो सीमा काम के बोझ और आर्थिक स्थिति की वजह से बहुत ही साधारण सी और परेशान सी दिखती थी आज पहचानने में भी नहीं आ रही थी, रूप रंग जैसे एकदम निखर आया था और पहनावा भी ऐसा कि कोई देखे तो देखता ही रह जाए; सलीके से बंधी हुई सिल्क की सुंदर साड़ी और सुंदर हेयरस्टाइल, उसके दोनों बच्चे भी आजकल के बच्चों से किसी भी बात में पीछे नहीं थे और अनूप को देखकर भी कोई नहीं कह सकता था कि इनके हालात कभी खराब रहे होंगे।
उन सबको देख निम्मी अपनी मां के पास गई, ” अरे मां, आपने सीमा को देखा….बिल्कुल बदल गई है…पहचानने में भी नहीं आ रही…लगता है कोई लॉटरी लग गई है या कोई गढ़ा खजाना हाथ लगा है जिससे इन सबकी ही स्थिति सुधर गई वरना तो पहले तो सस्ती सी साड़ी ही पहनकर चल देती थी लेकिन अब तो सब बदल गया, चेहरे पर भी चमक है…”
“बेटा, सीमा जैसे बदलाव के लिए किसी खजाने की नहीं बल्कि अपनत्व की छांव ही काफी होती है….अब उसके साथ उसके पति का साथ, और मां जैसी सास की छत्रछाया है….माना पहले आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी और उसे ननद की शादी भी करनी थी इसलिए सोच समझकर कर बहुत कम खर्च करती थी लेकिन इतनी खराब भी नहीं थी कि तुम लोगों को उससे रिश्ता रखने में शर्म महसूस हो रही थी…लेकिन अब उस जनरल स्टोर की दुकान के साथ सीमा भी अपने ब्यूटीपार्लर और कॉस्मेटिक की दुकान में मेहनत करती है….इसलिए उन लोगों की ये रंगत उसके परिवार के प्यार भरे साथ के साथ उसकी मेहनत की भी है कोई लॉटरी या गढ़े खजाने की वजह से नहीं…..खैर छोड़ इन सब बातों को….तू ये बता कि अमन(निम्मी का पति) कहां है, अब तो बारात भी निकलने वाली है, आया नहीं अभी तक ….” निम्मी की बातों को सुन पास खड़े राजेश ने कहा जिन पर न तो अभी तक वसुधा का ध्यान गया था और न ही निम्मी का।
“वो….अभी तक उन्हें छुट्टी नहीं मिली….देखो शायद जल्दी फ्री हो गए तो आ जाएं….” निम्मी ने झेंपते हुए कहा।
“ठीक है भई पैसे वालों के हालचाल….” राजेश ने कटाक्ष भरे स्वर में कहा क्योंकि वह अच्छी तरह जानते थे कि उनके घर में उनके भाइयों के बीच सम्पत्ति को लेकर मनमुटाव चल रहा है और निम्मी भी न तो अपनी ननद से कोई संबंध रखना चाहती है और न अपनी सास से और इस वजह से अमन और निम्मी के बीच भी जब देखो झगड़ा होता रहता है, शायद आज भी इसी वजह से अमन नहीं आया था।
आज राजेश की बातों को सुनकर निम्मी अपने को लज्जित महसूस कर रही थी क्योंकि आज उसे महसूस हो रहा था कि परिवार का साथ और अपनत्व की छांव का सफल जीवन में क्या महत्व है…..
प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’