होता है। श्रुति की सास जब जीवित थी तो एक बार उन्होंने कहा था कि “श्रुति तू आदत डाल ले,यह तो ऐसे ही बात करता है।”
तब श्रुति को बहुत बुरा लगा था। भई वाह! यह क्या बात हुई, अपने बेटे को समझाने की बजाय मुझे शिक्षा दे रही है कि अपमान की आदत डाल ले। अगर यही बेटा कल को आपका या आपकी बेटियों का निरादर करने लगे तब आपको कैसा लगेगा। श्रुति कहना तो चाह रही थी लेकिन कहने का फायदा नहीं था।
अगर श्रुति ने इसी तरह रोहन का हर बात में या दूसरों के सामने निरादर किया होता तो क्या यह रिश्ता बचता। बिल्कुल नहीं, रिश्ते को बिखरने से बचाने के लिए श्रुति हर बार चुप रही शायद रोहन ने इसे उसकी कमजोरी समझ और उस पर हावी होता चला गया।
श्रुति और रोहन के दो बच्चे थे। बेटी का नाम हर्षिता और बेटे का अभिषेक। कभी बच्चों की खातिर, कभी गृहस्थी की खातिर, कभी माता-पिता के संस्कारों की खातिर, श्रुति हमेशा चुप रही और फिर भी उसे गालियां मिलती रही, निरादर होता रहा।
वह सोचती थी कि ऐसी कौन से पति होते हैं जो अपनी पत्नी की प्रशंसा करते हैं,उन्हें छोटी-छोटी बात पर उपहार देते हैं। अपनी पत्नी के साथ एक दोस्त की तरह रहते हैं,यहां तो कभी खाना स्वादिष्ट बनाओ या घर को पूरी तरह चमकाओ,तब भी दो शब्द प्रशंसा के कभी सुनने को नहीं मिले, बल्कि कभी नजर उठाकर रोहन ने घर को देखा तक नहीं था, प्रशंसा तो दूर की बात है। सिर्फ घर नहीं श्रुति का भी यही हाल था। जब कभी वह खुशी-खुशी किसी त्योहार पर तैयार होती तो रोहन कभी उसकी प्रशंसा नहीं करता, कभी इतना तक ना कहता कि अच्छी लग रही हो।
हांँ, कभी कमी निकालनी हो तो सबसे पहले तैयार रहता था। अपने ऑफिस की औरतों की और आस पड़ोस की औरतों की तारीफ करता था।
जब नई-नई शादी हुई थी, तब श्रुति को लगता था कि कोई बात नहीं,धीरे-धीरे रोहन मुझे समझने लगेगा, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि धीरे-धीरे वह और ज्यादा क्रोध करने लगा और बात-बात में श्रुति का निरादर करने लगा।
शुरू शुरू में वह लोग एक बार माता वैष्णो देवी के दरबार गए थे। तब रोहन ने कहा-” देखो श्रुति अगर हम लोग लाइन में आगे पीछे हो भी जाएं तो घबराना मत क्योंकि पहुंचना तो भवन में ही है। ”
श्रुति को लाइन से निकलकर वॉशरूम जाना पड़ा, फिर दोबारा लाइन में लोगों ने उसे आगे बढ़ने नहीं दिया।उसने बहुत कहा कि मेरे पति आगे खड़े हैं मुझे उनके पास जाने दीजिए,पर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी,उन्हें लग रहा था कि यह लाइन तोड़कर आगे जा रही है।
और उधर दूर से रोहन उसे आंखें दिखा रहा था। तब उसने लोगों को चिल्ला कर कहा -” उसे आगे आने दो”
तब लोगों ने श्रुति को आगे जाने दिया, जैसे ही श्रुति रोहन के पास पहुंची रोहन ने उसे कहा-” वहां किसके पास जाकर खड़ी थी, क्या दूसरा पति करेगी, मुझे छोड़कर ”
श्रुति की आंखें भर आई, इतनी भीड़ के सामने इतना अपमान, उसने तुरंत आंखें पोंछ ली, लेकिन आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। भरी आंखों से माता रानी के दर्शन भी मुश्किल हो गए थे श्रुति के लिए।
कई बार ऐसा होता है कि अगर कोई बात हमारे दिमाग में क्लिक हो जाए तो वैसा हो भी जाता है। इसी तरह एक वाक्या हुआ। श्रुति के यहां लैंडलाइन फोन था। उसे समय मोबाइल का नया-नया चलन हुआ था। सबके पास मोबाइल नहीं थे।
श्रुति और रोहन को बच्चों को घर पर छोड़कर एक फंक्शन में जाना पड़ा। थोड़ी देर बाद श्रुति ने रोहन से कहा-” अगर मोबाइल होता तो बच्चों को फोन कर लेती”
रोहन के एक दोस्त के पास मोबाइल था। उसने नंबर मिलकर मोबाइल श्रुति को दिया। तभी रोहन बीच में बोल पड़ा-” ध्यान से पकड़ना, गिर मत देना मोबाइल को ”
इतना सुनते ही श्रुति के हाथ से फोन छुटते छूटते बचा और लगा रोहन अपने दोस्त के सामने गंदी-गंदी गालियां देने, उसने उसका बहुत निरादर किया। उस रात भी श्रुति घर आकर बहुत रोई थी। रोहन के दोस्त ने कहा था-” क्या यार जरा सी बात पर इतना गुस्सा कर रहा है,फोन गिरा तो नहीं ना, हो जाता है कभी-कभी। ”
रोहन-” तुझे नहीं पता यह ऐसी ही है जाहिल। ”
श्रुति ने रोहन को बहुत बार समझाया था कि जब आप मेरा अपमान करते हो,तो मुझे बहुत बुरा लगता है। ऐसा मत किया करो। लेकिन रोहन के अपने ही बहाने थे। मेरी राशि वाले लोग ऐसे ही होते हैं।
एक बार श्रुति के सामने वाले घर में रहने वाली पड़ोसन अपने बच्चों को लेकर घूमने जा रही थी, तब अभिषेक भी रोने लगा कि मुझे भी घूमने जाना है।
श्रुति ने शाम को रोहन के आने पर कहा -” आज अभिषेक घूमने के लिए रो रहा था, किसी दिन ले चलते हैं बच्चों को घूमाने। ”
रोहन-” मेरे पास टाइम नहीं है, मैं बहुत थक जाता हूं आइंदा कभी भी मुझे घूमाने के लिए मत कहना और इसके साथ ही ना जाने क्या क्या बोलता जा रहा था। ”
उस दिन श्रुति को भी गुस्सा आ गया और दोनों की लड़ाई हो गई। आखिरकार श्रुति को ही माफी मांगनी पड़ी और रोहन ने उसे कहा कि बच्चों की कसम खाओ कि आगे से तुम कभी भी मुझे घूमाने ले जाने के लिए नहीं कहोगी। श्रुति बच्चों की कसम बिल्कुल नहीं खाना चाहती थी लेकिन रोहन मान नहीं रहा था इसीलिए उसे बच्चों की कसम खानी पड़ी। उस दिन उसका दिल बिल्कुल टूट गया था।
थोड़े दिन बाद अभिषेक बीमार पड़ गया तब रोहन ने उसे कहा-” तुमने बच्चों की झूठी कसम खाई थी इसीलिए अभिषेक बीमार पड़ा है। ”
इसी तरह एक बार रोहन ने श्रुति के माता-पिता और भाई बहन को बहुत गालियां दी और कहा कि उन्होंने हमारे लिए किया ही क्या है। तब से लेकर श्रुति ने अपने मन को हर बात के लिए बिल्कुल मार दिया। वह इसीलिए ज्यादा चुप रहने लगी थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसके मुंह खोलने के कारण और अपमान चुपचाप ना सहने के कारण, उसके माता-पिता और भाई बहन को बिना वजह गलियां पड़े। वह जानती थी कि कोई भी जवाब देने पर यही होगा। उसने अपनी इच्छाएं, अपने सपने, अपनी शिकायतें, अपना प्यार, मन और शरीर का दर्द सब कुछ अपने अंदर समेट लिया था और बस चुपचाप एक मशीन की तरह परिवार की देखभाल में लगी रहती थी।
रोहन पहले उसके दिल में रहता था और अब दिल से उतर चुका था। जब भी वह उसके पास आता था, उसे नफरत होने लगती थी। जमाने को दिखाने के लिए उनकी जोड़ी एक खुशहाल जोड़ी थी। वह उसके साथ खुशी से रह रही थी,उसके सारे काम कर रही थी लेकिन उसने मानसिक तलाक ले लिया था। आखिर कोई कब तक अपने निरादर को, पल पल होने वाले अपमान को सहन कर सकता है।
अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली
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