कीचड़ उछालना – डॉ बीना कुण्डलिया 

मालती को ससुराल आये दो माह भी नहीं हुए, वो ननद गोमती की किच किच से परेशान हो गई थी। गोमती मुंहफट चालाक, बदचलन, उसकी हमउम्र भाभी मालती जो उसकी आँखों में सदा खटकती रहती। क्योंकि जब से वो घर में आई गोमती की आजादी जैसे छीन सी गई। उनकी दो आँखें सदा गोमती को ही तलाशती रहती। इसलिए गोमती मालती को नीचा दिखाने उनके सम्बन्ध में झूठी और बुरी बातें फैलाने के बहाने ढूँढती रहती। उसकी यही कोशिश रहती कैसे भाभी की बदनामी की जाये। माता-पिता की नजरों में गिराया जाये। जबकि ‘मां रेवती तो उसके हर बात पर विश्वास कर लेती मगर पिता राधेश्याम का विश्वास नहीं जीत पाती। उसकी उल्टी-सीधी हरकतों से वाकिफ वो उसे फटकारते रहते। एक दिन हद ही हो गई जैसे ही डोरवैल बजी गोमती ने भाभी को कहा-भाभी जरा देखिए कौन आया है ? मालती ने दरवाजा खोला एक नवयुवक जो गोमती के बारे में पूछ रहा, क्या वो यहीं रहती है ? गोमती आवाज पहचान घबरा जाती है।तभी सासूमां और ससुर जी आ जाते हैं। और वो नवयुवक चलता बनता है। सासूमां बहु से पूछताछ करती हैं.. कौन था ? बहु कुछ बोले उससे पहले ही गोमती बोलती है- “माँ वो भाभी से मिलने आया था। मैंने अक्सर भाभी को उससे बतियाते देखा है। रेवती जी को बहुत गुस्सा आता है। वो बहु को खरी-खोटी सुनाती हैं। देखो बहु ये शरीफ खानदान है और शरीफ खानदान की बहु बेटियां ऐसे ताक-झांक नहीं करतीं। कुछ सीखना है तो मेरी बेटी से सीखों कितनी गुणी,शराफत की मिसाल है। मालती सासूमां की बातें सुनकर असमंजस में पड़, कहती हैं- मांजी लेकिन वो नवयुवक गोमती से मिलने आया था। अपने फंसने का डर गोमती चिल्लाने लगती है…’माँ भाभी अपना इल्जाम मेरे सर पर थोप रहीं हैं। राधेश्याम जो अपनी बेटी गोमती के व्यवहार से अच्छे से परीचित थे । अपनी पत्नी को शान्त रहने को कह,समझाते हैं- ‘बहु पर बिना सोचे-विचारे इल्जाम लगाना सही नहीं है’ ! “वो भी किसी घर की बेटी हमारे घर की इज्जत है”। फिर अंजान व्यक्ति के लिए दरवाजा न खोलने खिड़की से पूछताछ, करने का निर्देश दे सबको शान्त कर देते हैं। और पत्नी से बेटी गोमती को सर न चढ़ाने बल्कि समझाने सुधारने की सलाह देते हैं। मगर वो उसकी ही तरफदारी करतीं हैं। फिर एक दिन जब रेवती का रिश्ता अच्छे खानदान में तय हो जाता है।वो घर से भाग जाती है। साथ ही अपने जेवर कपड़े भी ले जाती है। जिससे पूरी बिरादरी मौहल्ले में बदनामी होने लगती है। धनश्याम जी पत्नी को रोता बिलखता देख कहते हैं- अरे- भागवान अब क्यों पछता रही हो ? जब मैंने तुमको सर्तक रहने को कहा तब तुमने मेरी न सुन,निर्दोष बहु पर ज़ुल्म ढाती रहीं। अरे- दूसरे घर की बेटी पर #कीचड_उछालना बहुत आसान होता है। अपनी बेटी के कारनामों से तब तुम जैसे लोगों की आँखें खुलती होश ठिकाने आते हैं। बहु को दोष देने की बजाय अपनी बेटी पर नजर रखी होती तो आज ये दिन न देखना पड़ता। रेवती जी पश्चाताप के आँसू आँखों में लिए बहु को निहारने लगती है।

 लेखिका- डॉ बीना कुण्डलिया 

    कीचड़ उछालना 

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