कीचड़ उछालना – खुशी

नमिता एक पढ़ी लिखी लड़की थी जो बैंक में नौकरी करतीं थी।उसकी शादी राघव से हुई जो बैंक में मैनेजर था दोनो का प्यार वही परवान चढ़ा और  नमिता के माता पिता का एक्सीडेंट में निधन हो जाने के कारण सिर्फ उसकी एक मौसी ही थी उनकी रजामंदी से राघव के माता पिता मोहन और कमला जी जो मुरादाबाद में रहते थे सबकी खुशी से ये विवाह हो गया।दोनो अपने जीवन में बहुत खुश थे दो साल घूमना फिरना जिंदगी प्यार के रंगों में डूबी थी। दोनो ने अपने लिए फ्लैट बुक किया और इसी बीच उनके बीच तीसरा आने की भी आहट आ गई।दोनो बहुत खुश थे इसी खुशी को सेलिब्रेट करने वो दोनों शिमला गए।वहां से लौटते हुए बहुत तेज बारिश हो रही थी और उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया।राघव की ऑन द स्पॉट डेथ हो गई और नमिता का miscarrige हो गया।नमिता की पूरी दुनिया खत्म हो गई वो अपने सास ससुर के पास चली गई। सास उसको दिन रात ताने देती मेरा बेटा खा गई।नमिता वैसे ही दुख में थी इन बातों से वो और छलनी हो जाती।नमिता के ससुर बोले बेटी तू यहां से चली जा। तभी तू जी पाएगी और उसके ससुर उसे उसकी मौसी के यहां छोड़ गए।नमिता को संभलने में बहुत वक्त लगा।धीरे धीरे वो जिंदगी की तरफ लौटने लगी और तभी उसे पता चला कि उसका और राघव का सपना पूरा हो रहा है उन्हें घर का possession मिलने वाला था । नमिता ने बैंक जाना शुरू कर दिया और  तो वो रेंट के फ्लैट में शिफ्ट हो गई।वो अकेली रहती थी सुबह जाती और शाम को आती तो उसके पास आस पड़ोस वालों के लिए समय नहीं था अगर कोई निकलते बढ़ते सामने पड़ता तो मुस्कुरा देती। धीरे धीरे वहां के लोगों ने उसे घमंडी कहना शुरू कर दिया।उसकी पड़ोसन रेवती से कभी कभार उसकी बात हो जाती।रेवती और उसका पति राजीव दोनों ऐसे पति पत्नी थे जिन्हें आस पड़ोस वालों में बड़ी दिलचस्पी थी।राजीव जरा दिल फेक किस्म का आदमी था।वो औरतों पर गंदी नजर रखता था।रेवती एक दिन इतवार को सुबह नमिता के घर पहुंच गई और उसे जबरदस्ती अपने घर दिन में खाने के लिए बुला लाई।रेवती बड़ी मीठी मीठी बातें करती और नमिता की टोह लेती।नमिता को लगा ये लोग उसके अपने है।राजीव भी बड़े अच्छे होने का दिखावा है कर रहा था।और जब उसे पता चला कि नमिता बेवा है तो उसने नमिता पर डोरे डालने की सोची। नमिता घूमने जाती तो वो पहले से पार्क में पहचा होता।बाजार जाता तो उससे जरूर पूछता कुछ चाहिए तो नहीं रेवती भी बड़ा अपनापन दिखाती और अपनी किट्टी पार्टी में सोसायटी की औरतों से उसके बारे में बाते करती।एक दिन रेवती अपनी बेटी के साथ अपने मायके गई हुई थी।शाम को नमिता ऑफिस से आई तभी थोड़ी देर में बेल बजी दरवाजे पर राजीव था राजीव बोला सॉरी नमिता रेवती घर पर नहीं है क्या तुम मुझे डिनर बना कर दे दोगी।एक्चुअली मेरा बाहर से खाने का मन नहीं है।रेवती बोल रही थी तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो।नमिता  चाहती तो नहीं थी पर राजीव और रेवती उसके काम आते थे इसलिए वो तैयार हो गई।नमिता बोली डिनर रेडी होगा तो मैं बुला लूंगी।राजीव घर आया एक दो पेग लगाए और फिर नमिता के कॉल पर उसके घर पहुंचा।नमिता ने खाना लगाया राजीव खाना खाते हुए तारीफ कर रहा था और अचानक उसने नमिता का हाथ पकड़ लिया।नमिता सकपका गई बोली ये क्या कर रहे हो।राजीव उसकी तरफ बढ़ा।नमिता ने एक जोर का थप्पड़ उसे रसीद किया और अपने घर से निकल जाने को कहा।वो  दरवाजा खोल कर खड़ी थी बोली अगर तुम यहां से ना गए तो मै शोर मचाऊंगी।राजीव वहां से चला गया ।राजीव ने घर आते ही रेवती को फोन कर बोला अरे नमिता कितनी आवारा है मुझे जबरदस्ती डिनर पर बुलाया और मेरे साथ फ्री होने की कोशिश करने लगी।मै अपनी जान बचा के भागा।अगले दिन रेवती वापस आई और पूरी सोसाइटी में नमिता के ऊपर कीचड़ उछालना शुरू कर दिया। सोसाइटी में लोग नमिता को अजीब तरीके से देखने लगे औरते उसे देखते ही अपने पतियों को ले जाती।नमिता ने एक दो बार लेडीज को उसके बारे में पति चोर डाकिन शब्दों को सुना था।अगले दिन नमिता पार्किंग से गाड़ी निकाल रही थी तभी उसके पास ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाला विवेक आया बोला कभी हमे भी डिनर पर बुला लो हम राजीव से अच्छी सर्विस देंगे।shutup नमिता चिल्लाई।दफा हो जाओ यहां से अब वो कही से भी निकलती तो आदमियों का झुंड उस पर फब्तियां कसता।नमिता को सोसायटी के नंबर से कॉल आते जिसमें गंदी गंदी बाते होती। हर तरफ उसकी बदनामी हो रही थी उसे इसी बीच सोसायटी का नोटिस आ गया फ्लैट खाली करने के लिए की हम लूस कैरेक्टर लोगो को सोसायटी में नहीं रहने दे सकते माहौल खराब होता है। नमिता परेशान थी क्योंकि पड़ोस में रेवती के घर किटी पार्टी में लेडीज आई और वो सब मिल कर नमिता पर कीचड़ उछाल रही थी।नमिता वहां से कुछ दिन अपनी मौसी के घर चली गई।वही से उसने दूसरा घर ढूंढना शुरू कर दिया इसी बीच उसे अपने फ्लैट का possession मिल गया और वो अपने फ्लैट में सामान पैक करवाने आई ।तभी बाहर बड़ा शोर सुन वो गैलरी में आई देखा रेवती की काम वाली लक्ष्मी शोर मचा रही है बोली ये आदमी कितना बदमाश हैं मेरी बेटी  कल मेरी जगह काम करने आई तो दीदी स्कूल मीटिंग में गई और ये मेरी बेटी को छेड़ने लगा हाथ पकड़ कर बोला तू मुझे खुश कर मैं तुझे खुश करदूंगा ये आदमी घटिया है पहली कामवाली भी इसलिए गई थी और अब मै भी जा रही हूं।दीदी अपने पति का इलाज करवाओ।रेवती सिर झुकाए खड़ी थी सारे लोग आस पास खड़े उनके बारे मे बात कर रहे थे।नमिता का सामान लोड हो गया वो सोसायटी के गार्ड को चाबी दे बाहर आई और सामने नमिता और राजीव को देख वहां आई बोली दूसरों पर कीचड़ उछालना आसान होता हैं ।अकेली औरत सोच कर आपने मेरे चरित्र पर  कीचड़ उछालl और मुझे पूरी सोसाइटी में बदनाम कर दिया पर शुक्र है भगवान का उसने सही समय पर तुम्हारे पति की सच्चाई सामने ला दी यदि आपका अपनl चरित्र खराब हो तो वो  दूसरों पर कीचड़ नहीं उछालते।पहले अपने पति का किरदार संभालो फिर दूसरों को संभालना।सब लोग देख रहे थे।नमिता चली गई और लोगों के लिए एक सवाल छोड़ गई की कितना आसान है अकेली औरत पर तोहमत लगाना।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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