बाँझ – रीतू गुप्ता

“संध्या,संध्या जल्दी आओ यार… डॉक्टर के पास जाना है ना आज…सारे टेस्ट होने है ना आज  … भूल गई क्या?”~ तैयार होते हुए मेहुल बोला।

संध्या~ “आ रही हूं जी।”

संध्या और मेहुल की शादी को 5 साल हो गए थे । दोनों के कोई औलाद नहीं थी। आज डॉ. के कहने पर सभी टेस्ट करवाने जा रहे थे।

संध्या मन ही मन  .. अगर मेरा कोई भी टेस्ट सही ना आया तो मेहुल की मां तो…. 

मां जी तो मेरा तलाक ही करवा देगी…वो अंदर ही अंदर बहुत डर रही थी।

पर उसे यकीन था कि मेहुल उसका साथ कभी नहीं छोड़ेगा… रात भर मेहुल ने यही  यकीन दिलाया था उसे..  

तभी तो पति के भरोसे डॉक्टर के पास चलने को राजी हो गई थी। 

मांझी पहले तो बिफर हो गई थी .. मेहुल के टेस्ट क्यों… उसमें थोड़ा कोई कमी होगी …

पर डॉ ओर मेहुल के कहने पर ही रही हुई थी वो।

मेहुल ~”अरे मां …  देखना… मुझमें कोई कमी नहीं होगी… देख लेना तुम।”

मेहुल की मम्मी ~ “हां, हां  मेरे बेटे में न कोई कमी.. जो दिक्कत आएगी वो तुम में ही आएगी बहु ।”

संध्या यह सब सुन हैरान हो गई … ऐसा कैसे बोल सकते है यह लोग ….हद है….  इनकी सोच की ।

संध्या और मेहुल के सारे टेस्ट हो जाते है।

 टेस्ट की रिपोर्ट अगले दिन मिलनी होती है .. संध्या की सारी रात करवटें  बदल _बदल निकलती है।

 अगली दोपहर दोनों अपने कमरे में बैठे होते है .. संध्या के आंसू थमने का नाम नहीं लेते। 

वहीं मेहुल तो सुन्न हो जाता है ….उसे कुछ होश नहीं रहता।

नहीं ऐसे नहीं हो सकता …

मेरे में कोई कमी नहीं हो सकती

वो इस बात को दिल पे लगा लेता है … रोने लगता है।

संध्या उसके पास  आकर .~”आप क्यों घबराते हो… मैं आपके साथ हूं… कल आप कह रहे थे न.. चाहे कुछ भी हो मैं तुम्हारे साथ हूं … आज मैं कहती हूं …मैं हमेशा आपके साथ हूं।”

मेहुल~”संध्या, वो तो ठीक है …पर सब क्या सोचेंगे मेरे बारे में… 

मै बाप बनने के काबिल नहीं।”

संध्या~ “सबसे क्या लेना … हम एक दूजे के साथ है काफी है 

मेहुल~ “नहीं संध्या, मैं यह जिल्लत बर्दाश्त नहींकर पाऊंगा।”

संध्या~ “अच्छा ऐसे करते है …अकेले मां को बता देते है..  कोई ओर पूछेगा तो मैं बोल दूंगी मुझमें कमी है … बस।”

मेहुल~ “पक्का संध्या।” 

संध्या~ “हां”।

मेहुल~ “तुम कितनी अच्छीपत्नी हो।”

मेहुल अपनी मां कोई सारी बात बताता है ।

उसकी मां को यकीन नहीं होता कि मेरे बेटे में कमी हैं…

कुछ दिन ऐसे ही निकल जाते है ..

इधर मेहुल मानसिक रोगी होने लगता है … वो चुप चुप बैठा रहता है…. उसकी जीने को इच्छा खत्म हो जाती है।

संध्या के समझाने का भी उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता… 

एक दिन मेहुल की मां दोनों को  तैयार होकर अपनी सहेली के क्लीनिक चलने को कहती है… यहां उनके दुबारा टेस्ट होगे …क्योंकि उनको यकीन नहीं होता उसका बेटा बाँझ है। 

सारे दुबारा टेस्ट होते है …

लेकिन इस बार…

इस बार रिपोर्ट कुछ ओर कहती है।

सहेली के क्लीनिक अनुसार बाँझ मेहुल नहीं संध्या निकलती है।

जिसे सुन मेहुल हैरान हो जाता है खुश भी 

उसके सिर से बाँझ का धब्बा जो हट गया था।

मांजी~  “मै न कहती थी .. मेरे बेटे में कोई कमी हो ही  नहीं सकती… 

कमी इस कलमुंही में है… जब से आई है एक दिन सुख का नहीं देखा।”

संध्या ने मेहुल की तरफ देखा .. मेहुल चुप खड़ा रहा ।

अब तो रोज अध्या के साथ दुर्व्यवहार होने लगा 

धीरे धीरे मेहुल की मानसिक स्थिति ठीक होने लगी। जिससे संध्या बहुत खुश थी। पर यह खुशी कुछ ज्यादा दिन ना टिक पाई।

एक दिन मेहुल ने मां के पीछे लग संध्या को खूब बुरा भला कहा … यहां तक कि बांझ की गाली दी और दूसरी शादी देने की धमकी देने लगा।

संध्या हैरान रह गई… 

“मेहुल .. क्या तुम भूल गए … तुमने तो मेरा साथ देना था… . वादा किया था तुमने।

मांजी~ “कौन सा वादा … मुझे घर में बच्चा चाहिए… वो मेहुल की दूसरी शादी से आयेगा …समझी तुम ।

संध्या~ “मेहुल कुछ तो बोलो।” 

मेहुल~ “मां ठीक कह रही है … मुझे और  इस घर को वारिस चाहिए..  हमारा अपना वारिस….  अब तुम देख लो तुमने क्या करना है?”

संध्या हैरान होते हुए यह क्या बोल रहे हो तुम होश में हो…

“हां मैं अपने पूरे होशो हवास में हूं…. जल्दी ही तुम्हे तलाक दे दूंगा।” ~मेहुल

चटाक … यह थप्पड़ संध्या ने मारा था मेहुल के।

तुम क्या तलाक दोगे मुझे…. मै ही छोड़ रही हूं तुमको.. हमेशा के लिए… और हां …तुम्हारा अपना वारिस हो तो मिलवाना जरूर मुझे… समझे तुम।

कह कर संध्या ने अपने कपड़े पैक किए और निकल गई घर से हमेशा के लिए।

2 साल बाद…

एक दिन ट्रेन में एक 35 साल की औरत गोद में बच्चा और अपने पति के साथ ट्रेन में चढ़ती है।

मेहुल जो कि ट्रेन में पहले सेबैठ होता है उससे देख हैरान होता है.. 

संध्या तुम…

संध्या मेहुल की ओर देखती हुई 

मेहुल तुम … कैसे हो?

अपने पति से मिलवाती है… 

कैसे हो मेहुल ? (व्यंग में) तुम्हारा वारिस कहां है?

मेहुल सिर झुकाते हुए .. मुझे तुम्हारी बददुआ लग गई .. मैने तुम्हारी कदर नहीं की ..  कभी चैन से सो नहीं पाया मैं .. 

तुम्हारे जाने के बाद दूसरी शादी कर ली… पर बच्चा न हुआ 

फिर पता चला मै ही बांझ हूं। 

यह सुन दूसरी पत्नी तभी छोड़ गई । एक तुम थी जिसने मेरी मानसिक हालत ठीक हो जाए इसलिए क्लीनिक वाले से भी झूठ बुलवा दिया… और खुद को दोषी बना दिया। 

और मैने तुम्हारे साथ क्या किया… 

मुझे माफ करदो…  अगर तुमने मुझे माफ कर दिया तो शायद मुझे  चैन की नींद आने लगे… 

(हाथ जोड़ कर) प्लीज़… अपनी बद्दुआ वापिस लेलो  शायद तब  मै चैन से नहीं सो  पाऊं।

संध्या~ “मै कौन होती हूं… तुम्हे बदुआ देने वाली… तुम्हे तुम्हारे अपने कर्मों की सजा मिली है।

फिर भी अगर तुम्हे ऐसा लगता है… मेरी बद्दुआ लगी है तुम्हे तो… मैं अपने शब्द वापिस लेती हूं… और तुम्हे माफ करती हूं ।”

जैसे मैं खुश हूं अपनी जिंदगी में… तुम भी खुश रहो हमेशा… 

कह कर वो पति संग दूसरे केबिन में चली गई।

रीतू गुप्ता

स्वरचित

#बद्दुआ

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