“बचपन में, हमारे बड़े कहा करते थे —“किसी पर कीचड़ उछालोगे, तो उसके छींटे अपने ऊपर भी पड़ेंगे।” किन्तु कुछ लोग भ्र्म में जीते हैं ,जैसे वो सही हैं ,और हमेशा ही ऐसे रहने वाले हैं किन्तु उन्हें सच्चाई का एहसास तब होता है जब उन पर स्वयं उस कीचड़ के छींटे पड़ते हैं।
चारु शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल की अंग्रेज़ी की अध्यापिका थी। तेज़-तर्रार, आत्मविश्वासी और बेहद खूबसूरत,इस बात का उसे अभिमान भी था, स्कूल में हर कोई उसकी तारीफ किया करता था, लेकिन उसके अंदर एक कमजोरी थी—दूसरों से आगे निकलने की अंधी चाहत।
उसी स्कूल में नया शिक्षक आया —” रोहित वर्मा” जो भूगोल का अध्यापक था , शांत, सुलझा हुआ, और छात्रों का चहेता,उसका पढ़ाने का तरीका इतना अच्छा था ,सभी छात्र उसकी प्रशंसा किया करते थे , कुछ ही महीनों में वह सबका इतना प्रिय हो गया कि चारु को उसका बढ़ता प्रभाव खटकने लगा। धीरे-धीरे उसके मन में, रोहित के प्रति ईर्ष्या बढ़ने लगी।
एक दिन स्टाफ रूम में चारु ने अपनी दो सहकर्मियों के सामने कहा—“पता है, रोहित पर, पिछले स्कूल में किसी छात्रा से ज़्यादा नज़दीकी की वजह से,केस चला था,उसका चरित्र ठीक नहीं है।
सहकर्मियों ने उसे हैरानी से देखा -क्या “सच में ?”उन्होंने आश्चर्य से पूछा।
“हाँ, मैंने सुना है, तभी तो वो अचानक ट्रांसफर लेकर यहाँ आया है,” आर्या ने आधे सच, आधे झूठ में डूबी मुस्कान के साथ कहा।
ये गॉसिप स्कूल के गलियारों में’जंगल में आग की तरह फैल गई।” छात्र फुसफुसाने लगे, स्टाफ ने भी उससे दूरी बना ली। रोहित ने महसूस किया कि कुछ तो गड़बड़ है—लोगों की नज़रें,बदल रही हैं ,उनका व्यवहार बदल गया है। उनकी खामोश नजरें उसे बहुत कुछ कहती नजर आ रही थीं।
कुछ ही दिनों में यह बात प्रिंसिपल तक पहुँच गयी, रोहित को बुलाया गया और उन्होंने ,उससे पूछा -रोहित !ये क्या चल रहा है ?
रोहित ने शांत स्वर में पूछा -क्या हुआ ?सर !
#कीचड़ उछालना
✍️ लक्ष्मी त्यागी