निशा जी दो बेटों निमिष और निलेश और दो बेटियों प्रीति और निशि की मां थी।पति राघव सेल्स टैक्स में ऑफिसर थे अच्छा खाता कमाते थे। घर में किसी चीज की कमी नहीं थी। निशा अपने बच्चों पर जान छिड़कते थी। सब को लगता ये इतना बेटी बेटी करती हैं तो पता नहीं कल को इसकी बहुएं आएगी तो उनके साथ कैसे निभाया करेगी।
निमिष पिताजी की तरह इनकम टैक्स में ऑफिसर था।निलेश sbi bank में मैनेजर ।प्रीति 11-12 को कॉमर्स पढ़ाती थीं तो निशि एक एनजीओ में काम करती थी।सब बच्चे सेटल हो गए तो राघव ने कहा नौकरी के 7 साल बाकी है बच्चों की शादी कर देनी चाहिए। निशा बोली पहले प्रीति और निशि की शादी करेंगे फिर निमेष और नीलेश की राघव बोले कि बेटे बड़े है
पहले उनकी कर देते है।निशा बोली नहीं पहले बेटियों की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है।राघव ने कहा जैसा तुम कहो प्रीति और निशि के लिए एक ही घर के दो रिश्ते आए चाचा ताऊ के बच्चे विवेक और नमन ।नमन इंजीनियर था उसकी शादी प्रीति से हुई और विवेक डॉक्टर था उसकी शादी निशि से हुई दोनो अपने घर में खुश थी।अब बेटों की शादी की बारी थी
निमिष के लिए रति का रिश्ता आया जो इंटीरियर डिजाइनर थी और निलेश के लिए श्रद्धा का रिश्ता आया जो एक स्कूल में अध्यापिका थी दोनो बेटों का विवाह एक ही मुहूर्त में धूम धाम से हुआ।शादी में प्रीति निशि भी आई थी तो वो और दिन रुक गई उन्होंने देखा निशा बहुओं का बड़ा ध्यान रख रही है घूमने जाते हुए भी बहुओं के हाथ में पैसे रखे की बेटा जो लेना हो वो ले लेना।निमिष और निलेश के जाने के बाद घर में अब 4 प्राणी रह गए।
निशा बोली प्रीति आज तुम सबके लिए दाल चावल बना लो बस।प्रीति बोली मम्मी अभी तक तो आप इतना अच्छा खाना बना रही थी अब दाल चावल क्यों ? राघव बोले थक गई है इसलिए ऐसा कह रही हैं तुम्हे कुछ खाना है तो बाहर से मंगवा दूं।निशा बोली नहीं जी आज साधा खाना खाते है।शाम को देखेंगे। दो चार दिन बाद वो दोनों भी अपने घर चली गई।10 दिन बाद बच्चे लौट आए और अब उन्हें काम पर जाना था।
अगली सुबह श्रद्धा जल्दी उठी तो देखा रसोई में निशा और महाराज जी खाना बना रहे थे।श्रद्धा बोली मां आपने मुझे बता दिया होता मै करवा लेती ।निशा बोली बेटा तू तैयार हो स्कूल जाने का टाइम हो रहा है और जा निलेश को भी उठा पहले दिन तुझे छोड़ आएगा।
श्रद्धा ऊपर गई तैयार होने तब तक रति भी नीचे आ गई बोली मां क्या करवाना है बताइए निशा बोली तू यहां डाइनिंग टेबल पर बैठ और गरम गरम चाय पी नहीं तो तेरे सिर में दर्द होता हैं।रति बोली मां आपको कैसे पता निशा बोली ऐसे ही मां नहीं बनी बेटा अपनी बेटियों के बारे मे पूरी जानकारी है मुझे ।
रति ने चाय पी और बोली मां कुछ काम हो तो बताईए।निशा बोली ऊपर जाओ और तैयार हो जाओ निमिष को भी उठा देना।सब नाश्ता करने टेबल पर आए सबसे पहले श्रद्धा ,राघव और निलेश क्योंकि श्रद्धा को 6:30 बजे घर से निकलना होता था।
श्रद्धा बोली मां इतनी सुबह खाने की आदत नहीं है।निशा ने उसका नाश्ता और लेकिन लंच पैक किया और श्रद्धा को साथ में दिया एक कप चाय और बिस्कुट खिला कर ही उसे भेजा।श्रद्धा निलेश को बोली मां बहुत अच्छी है।निलेश बोला हा अब निशा और राघव ही थे।राघव बोले अकेले काम करोगी बहुएं है ना आराम करो निशा बोली वो भी तो काम पर जाती हैं क्या पहले नहीं करती थी मैं प्रीति निशि और निलेश निमिष के लिए।
तब तक निमिष और रति भी आ गए ।निमिष और रति ने नाश्ता किया और उनका लंच पैक रखा था।रति बोली मां मै 6:00 बजे तक आ जाऊंगी।निशा का व्यवहार देख दोनो बहुएं उससे जुड़ती जा रही थी।कुछ दिन में निशा ने उनकी रसोई छुआई की रसम करवा दी। उस दिन प्रीति और निशि भी अपने पतियों के साथ आईं थी।सबको खाना परोसा गया सबके साथ निशा को भी खाने के कहा गया पर उसने मना कर दिया।फिर सबका खाना होने पर अपने तीनों की थाली लगाई और पहले
बहुओं को खाना खाने बिठाया और प्रीति को बोली बेटा कुछ लगे तो हमे परोस देना।निशि और प्रीति देख रही थी निशा खाना खाते हुए भी बहुओं का ध्यान रख रही हैं।फिर सबका खाना होने पर राघव और निशा ने दोनो को कानों के टॉप्स और 1100 rs नकद दिए।जिस प्रकार निशा रति और श्रद्धा का ध्यान रखती वो भी पूरा ध्यान रखती थी
राघव और निशा का उनकी एनिवर्सरी उन दोनों ने बड़े ही धूम धाम से मनाई और सबको यही कहती रही कि ऐसा परिवार सबको मिले खास कर मां जैसी महिला तो सबको मिलनी चाहिए। निशा ने राघव से कह कर चारों बच्चों के लिए दुबई की टिकट करवा दी और उन्हें घूमने भेजा।
उन्हीं दिनों में निशा की बहन सौम्या और भाभी प्रिया मिलने आई । प्रिया बोली क्या जीजी आपको तो हमारी याद नहीं आती बहुएं आ गई फिर भी घर में लगी रहती हो।मुझे देखों मैने सारी जिम्मेदारी पूजा पर डाल दी अब मै आजाद हूं।निशा चुप रही फिर बोली काजल कैसी है? प्रिया बोली ठीक है बिचारी कितना काम करती हैं ससुराल में वो तो मै ही उसे यहां आराम करने बुला लेती हूं। सौम्या बोली भाभी क्या काम रहता है
काजल को दो लोग घर में है ससुराल वाले उसके साथ रहते नहीं।पति सुबह जा शाम को आता है तीन तीन क।मवाली है। अरे बच्चे भी तो है तो वो कौन सा छोटे हैं सौम्या बोली।प्रिया बोली हा तो क्या हुआ? निशा बोली भाभी बस यही फर्क तो हम रखते है आज आप काजल काजल करती हो।पर क्या पूजा के बारे में आपने सोचा वो आपका सारा घर संभालती है सब काम करती है ।कभी उसके बारे में भी सोचिए तभी निशा का फोन बजा फोन बच्चों का था वो 8 लोग मस्त एंजॉय कर रहे थे।
पर रति और श्रद्धा दोनो ही निशा को कह रही थी मां हम आप को बहुत मिस कर रहे है।आप और पापा दोनो होते तो मजा आता।आप ज्यादा काम तो नहीं कर रही आराम कीजिए और आपके और पापा के लिए शाम की मूवी टिकट और डिनर की टेबल बुक है।
मां कल सब्जी और फल भी आजाएगी सुबह आप आराम कीजियेगा ।ok bye मां। निशा बोली बेटा एंजॉय योर ट्रिप।निशा ने फोन रखा प्रिया बोली कौन था जीजी बोली बच्चों का था श्रद्धा और रति थी दोनो ने हमारे लिए डिनर और मूवी प्लान की है शाम को। वाह दीदी तुम्हारी बहुएं तुम्हारा बहुत ध्यान रखती है।सौम्या बोली हा वो तो है मेरी बेटियां है दोनो जैसा प्यार हम उन्हें देते है वैसा ही वो हमे देती हैं।
कल को ना बेटा सेवा करेगा ना बेटी जो करेगी वो बहु ही करेगी।उसी से बना के रखनी चाहिए कल को हम नहीं रहे पर बेटियों का मायका तो बहुएं ही आबाद करती हैं।इसीलिए उन्हें प्यार और अपनापन देना चाहती है।वो भी तो अपना घर छोड़ हमे अपनाती है तो हमे भी अपनाना चाहिए उन्हें ये प्यार का रिश्ता है
उसे प्यार से निभाओ।आज मै रति और श्रद्धा का ध्यान रखती हूं तो वो भी मेरा पूरा ध्यान रखती है शाम का सारा खाना पीना वो बनाती है बाजार सब्जी सब वो देखती हैं सुबह का काम रति करती है क्योंकि वो लेट ऑफिस जाती हैं और शाम का श्रद्धा मुझे अपने साथ मूवी ,शॉपिंग ले जाती हैं।हम भी उन 4 को घूमने फिरने जाने देते है वो अब हमसे ऐसे जुड़ गई है कि वो अपने घर भी कम जाती हैं। प्रिया भाभी आप भी पूजा को प्यार दीजिए उसे अपना बनाकर देखिए आप दोनों सुखी हो
जाएगी।एक महीने बाद एक फैमिली फंक्शन में सारा परिवार मिला तो देखा आज पूजा बहुत चहक रही थी और बार बार प्रिया भी उसे पूछ रही थी।निशा अपने परिवार के साथ पहुंची तो प्रिया उसके पास आई बोली जीजी धन्यवाद आपने मेरा और मेरी बहु का असली परिचय करवा दिया आज पूजा खुश है
तो मेरा पूरा परिवार खुश है।अब मोहित भी मेरे पास बैठता है क्योंकि अब उसे मेरे व्यहवार से कोई शिकायत नहीं है।तभी वहां मोहित और पूजा वहां आए बोले थैंक्यू बुआजी आपकी सीख ने हमारे परिवार को जोड़ दिया और मां को सही समझ आ गई।तभी वहां श्रद्धा और रति आई और बोली हमारी मां है ही ऐसी जो सबको जोड़ दे।
चलो डांस करे सब स्टेज पर गए और राघव और निशा एक तरफ बैठ बच्चों को देख रहे थे। राघव बोले निशा तुम्हारी सूझ बूझ से हमारा तो हमारा दूसरों का भी परिवार स्वर्ग बना दिया।निशा बोली ये स्वर्ग बनाना नहीं आज कल के समय की मांग है कि जो घर में आपके सामने है उसे मान ना देकर जो बेटी अपने घर में खुश है उसे इंपॉर्टेंस देना बहु से उम्मीद है
कि वो हमारी जिम्मेदारी उठाए पर हम उसके लिए कुछ ना करे ये तो गलत है ना।राघव बोले सच कहा तभी निलेश और निमिष आए मम्मी पापा खाना खाने चलिए ।निशा और राघव वहां पोहचे तो उनकी प्लेट्स लगी थी सब बच्चे उनका ही इंतजार कर रहे थे।
सबने खाना खाया और रति ,श्रद्धा सबको यही गीत गा रही थी सौ सौ साल जिए हमारी सासू मां जिनके कारण आज हमे ये परिवार मिला ।जो है प्यार की मूर्ति जिनके बिना है घर अधूरा प्यार हमे ऐसे की करना मां क्योंकि आप है हम सबकी जान।
सब रिश्तेदार भी निशा के भाग्य पर रश्क कर रहे थे कि कैसा परिवार है जहां सिर्फ प्यार है।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी