आग में घी डालना – डॉ कंचन शुक्ला

“प्ररेणा तुम हमेशा किताबों में क्यों घुसी रहती हो??  कभी-कभी घर के कामों में भी हाथ बटा दिया करो दिन भर कॉलेज में रहो और जब घर आओ तो क़िताब लेकर बैठ जाओ, घर के काम के लिए  मैं और तुम्हारी बड़ी बहन तो है ही बस तुम महारानी की तरह बैठ कर राज करो” प्रेरणा की मां सरला जी ने  व्यंग्यात्मक लहजे में कहा|

“मां मैं आ रही हूं!! कुछ लिख रही थी, बस खत्म हो गया है” प्रेरणा ने जल्दी से कहा और लिखना बंदकर अपनी मां के पास आ गई।

“क्या काम है मां??” उसने मुस्कुराते हुए पूछा|

“मेरा सर फोड़ना है फोड़ दे ” सरला जी ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा|

“मां आप प्रेरणा पर क्यों चिल्ला रहीं हैं ये तो चिकना घड़ा है इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा इसे तो कलेक्टर बनना है ये घर का काम क्यों करेंगी पिताजी ने इसे सिर पर चढ़ा लिया है इसलिए ये आपकी बात नहीं सुनती

” प्रेरणा की बड़ी बहन कुसुम ने व्यंग से कहा कुसुम ने अपनी मां के गुस्से को और भड़का दिया इस समय उसने आग में घी डालने का काम किया।

अपनी बहन की बात सुनकर प्रेरणा को भी गुस्सा आ गया जबकि वो बहुत शांत स्वभाव की है। आज अपनी बहन के कारण उसे  ससुराल छोड़कर मायके में रहना पड़ रहा है इसलिए वो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सकीं।

“दीदी आप हमेशा आग में घी डालने का काम क्यों करतीं हैं ऐसी बातें करके आप को क्या मिलता है आप आए दिन अपनी ससुराल से लड़कर यहां आ जाती हैं और यहां भी सबसे लड़ती झगड़ती रहतीं हैं?”

” तू कैसी बातें कर रही है मैं क्यों मां को भडकाऊंगी जो सच है मैंने वही कहा है अब पढ़-लिखकर तू कलेक्टर नहीं बन पाएगी समझी अब पढना लिखना छोड़कर मां का घर के कामों में हाथ बटा ” कुसुम ने मुंह बनाते हुए कहा”आपको पढ़ने लिखने का शौक नहीं था, इसलिए तुमने मां को भड़का कर  मुझे भी आगे पढ़ने नहीं दिया।
मैंने जब विरोध किया तो आपने और मां ने कालेज गांव से बहुत दूर है, उसपर गांव के माहौल का वास्ता देकर आप दोनों ने मेरी पढ़ाई छुड़वा दी जबकि ऐसा कुछ नहीं था आप लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए मुझे आगे नहीं पढ़ने दिया।

क्योंकि कालेज दूर था मुझे आने में देर हो जाती यहां घर में आप लोगों को काम करना पड़ता।आपकी कलह के कारण पिता जी भी चुप रहें जिसका उन्हें आज भी अफ़सोस है  उन्होंने मेरी इच्छा पूरी नहीं की, फिर आप लोगों ने झूठ बोलकर मेरी शादी करवा दी, मेरी ससुराल वालों से आप लोगों ने कहा  मैं बहुत पढ़ी-लिखी हूं ” प्रेरणा ने गुस्से में अपनी बहन से कहा।

“देखा मां !! प्रेरणा कैसे हम दोनों को दोषी बना रही है जबकि हम लोगों ने तो इसका भला किया था इतने अमीर खानदान में इसकी शादी करा के” प्रेरणा की बहन ने मुंह बनाते हुए अपनी मां से कहा!!

“आपने मेरा भला नहीं मेरे जीवन का सर्वनाश कर दिया है। जब आप लोगों को पता था  मेरी ससुराल वालों को पढ़ी-लिखी लड़की चाहिए तो आप और मां ने उन लोगों से झूठ क्यों बोला की मैं बहुत पढ़ी लिखी हूं??  आप दोनों ने पिता जी को भी अंधेरे में रखा मेरी ससुराल वाले आपके दूर के रिश्तेदार थे इसलिए आपने जो कहा पिताजी ने उसे सही समझा आपने पिताजी से कहा था  उन्हें घरेलू और सुन्दर लड़की चाहिए” प्रेरणा ने गुस्से में अपनी बहन से कहा

“तुम मुझ पर क्यों इल्ज़ाम लगा रही हो?? तेरी ससुराल वालों ने तुझे पढ़ाई के कारण घर से नहीं निकाला होगा बल्कि तेरी कामचोरी के कारण  घर से निकाल दिया होगा” प्रेरणा की बहन ने उसी को दोषी करार दे दिया।

“कुसुम तुम चुप रहो  तुम्हारी गलती की सज़ा मेरी मासूम बच्ची प्रेरणा भुगत रही है तुम ने झूठ बोल कर शादी न कराई होती तो ये नौबत ही नहीं आती। वो लोग बहुत अच्छे हैं उन्हें तो गुस्सा इस बात का है कि, हम लोगों ने उनसे झूठ बोला की प्रेरणा बहुत पढ़ी लिखी है। जबकि प्रेरणा ने सिर्फ इंटरमीडिएट तक ही पढ़ाई की है

प्रेरणा के ससुर ने जब प्रेरणा से अपने स्कूल की प्रिंसिपल बनने के लिए कहा तो यह घबरा गई और इसने उन्हें बता दिया इसने कहा ये इतनी  पढ़ी लिखी नहीं है की वो किसी स्कूल की प्रिंसिपल बन सकें ये सुनकर उन लोगों ने कहा तुम्हारी बहन ने बताया था कि , तुम एम ए बी एड है

इसलिए हम लोगों ने ये शादी की थी जिससे हमारी बहु हमारे स्कूल के प्रिंसिपल का पदभार संभाल सके ” प्रेरणा के पिता ने गुस्से में  कुसुम से कहा फिर वो अपनी पत्नी से बोले

“तुम कैसी मां!? हो जो अपने स्वार्थ के लिए अपनी बेटी का जीवन बर्बाद करने पर तुली हो? प्रेरणा की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं इसलिए वो पढ़ाई कर रही है उसके ससुराल वालों ने उसे एक मौका दिया है  अगर वो अपनी पढ़ाई पूरी कर ले तो वो लोग सब भूल जायेंगे उनकी बात सुनते ही प्रेरणा ने सबसे पहले मुझे बताया था

तब मैं प्रेरणा की ससुराल गया मैंने उसकी ससुराल वालों से माफ़ी मांगी उन्हें वचन दिया कि अब प्रेरणा अपनी पढ़ाई पूरी करेगी और आपके स्कूल के प्रिंसिपल पद को सुशोभित करेंगी एक तुम हो 

तुम्हें घर का काम न करना पड़े इसलिए तुम प्रेरणा को बुरा भला कह रही हो? आज के बाद कोई भी  प्रेरणा को काम करने के लिए बाध्य नहीं करेगा जब-तक उसकी परीक्षाएं नहीं हो जाती। ईश्वर ने उसे दूसरा मौका दिया है वो अपने मन की इच्छा परी करे तो प्रेरणा इस मौके को हाथ से नहीं जाने देगी।

वह अपने पति और ससुराल वालों के विश्वास पर खरी उतरेगी कुसुम तुम भी कान खोलकर सुन लो अपनी मां को प्रेरणा के खिलाफ भड़काना बंद करो वरना मैं तुम्हारा मायके आना बंद कर दूंगा समझी ” प्रेरणा के पिता ने गुस्से में अपनी पत्नी और बेटी से कहा

अपने पति की बात सुन प्रेरणा की मां ने बुरा सा मुंह बनाया और वहां से चली गई| कुसुम ने भी वहां से जाने में ही अपनी भलाई समझी।

पिता की बात सुन प्रेरणा ख़ुश होकर उनसे लिपट गई और मुस्कुराते हुए कहा “थैंक यू पिताजी मेरा मतलब धन्यवाद पिता जी ” प्रेरणा की बात सुनकर उसके पिता के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश
3/10/2025

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