नीरज जल्दी जल्दी सीढ़ियां चढ़ने लगा। नियुक्ति का प्रथम दिन और कार्यालय पहुंचने में देर हो गई ।बाॅस सहकर्मी उसके बारे में क्या सोचेंगे।
अचानक किसी से टक्कर हुआ और सामने वाला व्यक्ति सीढ़ियों से लुढ़कने लगा। नीरज उन्हें उठाने दौड़ा। उनका सिर फट गया था खून बह चला।
” अरे, आप घबरायें नहीं मैं अभी आपको डाॅक्टर के पास लेकर चलता हूं।”
नीरज अपनी नियुक्ति भूल घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया।वे बेहोश हो चुके थे।
” ये आपके कौन है … इनके सिर में गंभीर चोट आई है और खून काफी बह गया है … इलाज में खर्चा बहुत आयेगा ” डॉक्टर के कहते ही नीरज सोच में पड़ गया। उसके पास जेब में फूटी कौड़ी नहीं थी। नौकरी का पहला दिन था और इस अप्रत्याशित घटना में उलझ गया। मानवता के नाते घायल को अस्पताल ले आया, अब ये कौन है इसके बारे में कैसे पता चले… नीरज सोच में पड़ गया। तभी घायल ने आंखें खोली,” अस्फुट स्वर में मोबाइल नंबर बताकर बेहोश हो गया।
फोन किसी महिला ने उठाया ,” ओह, कैसे क्या और तुरंत पहुंचती हूं ” कह फोन काट दिया।
बदहवास दौड़ती एक महिला अस्पताल में दाखिल हुई,” मुन्ना, मुन्ना कहां है मेरा मुन्ना ” पूछती आपातकालीन चिकित्सा कक्ष पहुंची।घायल को देखते ही उससे लिपट कर रो पड़ी,” यह कैसे हुआ।”
” नमस्कार, मैं ही इन्हें यहां लेकर आया हूं… मुझे आज कार्यभार संभालना था और यह दुर्घटना घट गई… ये कौन हैं? क्या हैं…इनका नाम क्या है… डॉक्टर को बताइए… मैं चलता हूं।”
” यह मेरा छोटा भाई पवन कुमार है…यह आपको कहां मिला ” बहन ने एक साथ कई सवाल पूछ डाले।
नीरज जल्दी-जल्दी सब-कुछ बताकर आटो पकड़ दफ्तर पहुंचा। वहां बाॅस के रुप में एक तेजतर्रार खूबसूरत युवती को देख वह अपनी सफाई देने लगा।
” साॅरी मुझे देर हो गई “
” कारण।”
नीरज अनजान व्यक्ति से टकराने , उसके गिरकर घायल होने, अस्पताल पहुंचाने उसकी बहन को खबर कर बुलाने तक सिल-सिलेवार बताने लगा।
युवती बाॅस तुरंत उठ खड़ी हुई और अपने सहकर्मी से नीरज को ज्वाइन करवाने, रहने खाने की व्यवस्था करने का निर्देश दे, तेजी से निकल पड़ी।
नीरज का भय तिरोहित हो गया। विलंब का भय निकल गया और वह सहकर्मी के साथ घुल-मिल गया।
दो दिनों में उसकी जान-पहचान अन्य सहकर्मियों से हो गई। आफिस के गेस्ट हाउस में रहने खाने का इंतजाम भी हो गया। थोड़ी अग्रिम राशि भी मिल गई। नीरज ने अपने घर फोन कर सारी बातें बताई,” यहां सभी बहुत अच्छे हैं मां, पहली तनख्वाह मिलते ही कुछ पैसे भेज दूंगा।”
मां ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और बोली,” और वह घायल व्यक्ति कैसा है?”
” मुझे क्या मालूम, मैंने फिर उससे मिलने की जरूरत नहीं समझी ” नीरज लापरवाही से बोला।
” इतने स्वार्थी न बनो,वह तुमसे टकराकर घायल हुआ था… दुसरों की मदद ही मौके पर काम आता है।”
” ठीक है मां,कल रविवार है छुट्टी भी है, मैं उससे मिलने जाऊंगा।”
अस्पताल पहुंचने पर नीरज घायल व्यक्ति से मिला।समय पर अस्पताल पहुंचाने वाले नीरज को देख वह हाथ जोड़कर आभार व्यक्त करने लगा,” मेरी जान बचाकर आपने मुझे नवजीवन दिया… मैं आपका ऋणी हूं ” ।
” बचाने वाला भगवान है “।
उसी समय एक युवती ने वहां प्रवेश किया जिसे देख नीरज चौंक उठा,” आप “।
” हां मैं, तुमने मेरे भाई पवन की समय पर मदद कर हम पर जो एहसान किया है उस कर्ज हम आजीवन चुका नहीं सकते।”
युवती उसकी बाॅस थी। नीरज की जुबान जैसे तालू में चिपक गयी… कुछ कह न सका।
धीरे-धीरे परतें खुलने लगी ।पवन की दो बहनें थी एक बड़ी और एक छोटी। माता-पिता किसी दुर्घटना में जब वह पांच साल का था तभी गुजर गये थे।
अपना मकान था।बीमे की अच्छी खासी रकम भी मिली। बड़ी बहन का विवाह हो गया और धन-संपत्ति पर उसके पति की बुरी नजर पड़ चुकी थी।
बहन कुछ विरोध करती तब उसका पति मार-पीट करता।छोटी बहन रैना जो पढ़ने में मेधावी थी उसपर भी जीजा की गंदी दृष्टि पड़ चुकी थी। नीरज भी इंजीनियरिंग के लिये चयनित हो गया था लेकिन जीजा नहीं चाहता था कि उसकी पढ़ाई पर एक कौड़ी भी खर्च हो।
रैना एक साहसी लड़की थी उसने अपनी सहेली जो एक पुलिस अधिकारी की पुत्री थी उससे अपनी व्यथा बताई।
फिर क्या था पुलिस अधिकारी ने अपने स्तर से छानबीन करना शुरू किया। जीजा अचानक हाथ आये संपत्ति को हड़पने की तैयारी कर चुका था।उसकी पत्नी सरिता अपने पति के हाथों की कठपुतली बन चुकी थी।
लेकिन रैना और पवन अब नादान नहीं थे।अपना भला-बुरा समझते थे।
” दीदी, जीजा जी ने अपनी हरकत नहीं छोड़ी तब हम उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत करेंगे ” रैना ने चेतावनी दी।
” ऐसे कैसे… मैं कहां जाऊंगी ” सरिता ने आंसू को अपना हथियार बनाया।
” आप यहीं रहेंगी अपने माता-पिता के घर में लेकिन जीजा जी ने हमारा भरोसा तोड़ा है। अतः वे पहले सुधरें या जेल जाने के लिये तैयार रहें।”
शाम में जब गुलछर्रे उड़ाकर नशे में सरिता के पति घर आये…पवन और रैना के भारी विरोध… कानून के भय से
बाहर से ही वापस चले गए।
सरिता का भरोसा भी अपने पति से उठ चुका था।अपनी मेहनत से रैना की अच्छी नौकरी लग गई।पवन भी इंजीनियरिंग पास कर गया और शुभ सूचना देने रैना के पास जा रहा था कि सीढ़ियों पर गिर पड़ा जिसे नीरज ने अस्पताल में भर्ती कराया।
बड़ी बहन सरिता भी अपने घर में सिलाई सेंटर खोल निर्धन बेसहारा औरतों को प्रशिक्षित करती है और समाज में उदाहरण पेश कर रही है।
सरिता का पति शहर छोड़कर भाग गया। कभी चर्चा चलती है तब तीनों भाई-बहन दिल पर हाथ रख कहते हैं,” टूटा हुआ भरोसा कभी नहीं जुटता… अगर हमने हिम्मत और सूझ-बूझ से उसका सामना नहीं किया होता तो आज दर-दर के भिखारी होते।”
नीरज इस रंग-बिरंगी दुनिया के उतार-चढ़ाव को समझने का प्रयास करने लगा।
मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा
#एक बार टूटा भरोसा दुबारा नहीं जुटता..