करवाचौथ का व्रत – लतिका श्रीवास्तव

बहुरानी पहले करवाचौथ की बधाई सदा सौभाग्यवती रहो खुश रहो सुमित्रा जी ने नवेली बहू नीलम को पैर छूने पर आशीष देते हुए गदगद हो गईं ।

आओ यहां बैठो तुम्हारा पहला करवाचौथ है इसलिए तुम्हे कुछ परंपराएं बता दूं।जिसे सुन कर तुम्हे अपार खुशी होगी सुनकर नीलम उत्सुक हो उठी।

जानती हो हमारे घर में केवल पत्नियां ही नहीं पति भी करवाचौथ का व्रत रहते हैं ।सिर्फ पत्नी की ही उम्र क्यों बढ़े दोनों की बढ़े तभी तो जीवन भर का साथ जीवन भर बना रहेगा क्यों  है ना अनोखी बात सुमित्रा ने अचंभित होती नीलम को बहुत खुश होकर बताया।

ये परंपरा बहुत मुश्किल से डाली है मैने गर्वित होतेहुए प्रशंसा की अपेक्षा से उन्होंने बहू की तरफ देखा लेकिन अपेक्षा के विपरीत नीलम के चेहरे पर अप्रत्याशित चिढ़ और खीझ के भाव देख वह विस्मित हो गईं।

जब नीलम बिना एक शब्द बोले उठकर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई तो अनजाने ही सुमित्रा के कदम भी उसके कमरे की तरफ चुपचाप उठ गए थे।

कैसा अजीब घर है सुमित ये सुमित्रा को कमरे के अंदर से नीलम का खीझ भरा स्वर सुनाई पड़ा।

क्या हुआ मेरी प्यारी पत्नी को सुबह सुबह आज के दिन सुमित की लाड वाली आवाज गूंज उठी।

सुमित…मैने तो अपने करवाचौथ की ना जाने कितनी सुनहरी कल्पनाएं संजो रखीं थीं कि मैं तुम्हारे लिए व्रत रखूंगी तुम मेरे नखरे उठाओगे मेरे आगे पीछे घूमोगे सुंदर सुंदर गिफ्ट्स लाओगे मेरे पास बैठ कर मेरे हाथों में मेहंदी लगाओगे दिन भर मेरा ख्याल रखोगे और… रात में चांद पूजन के बाद मेरे लिए सुस्वादु चीजे बना कर खिलाओगे लेकिन सब बेकार तुम भी व्रत रखोगे !!क्यों रखोगे …मेरा ख्याल मेरा नखरा कौन उठाएगा…जाओ तुम्हीं रख लो व्रत मुझे नहीं रखना…  कहती नीलम रुआंसी हो गई और सुमित चकित।

इस तरह की परंपरा मुझे #एक आंख नहीं भा रही जिसे मां जी बड़े गर्व से बता रही थीं। मेरे अधिकारों का हनन है यह नीलम आक्रोश में बोले जा रही थी।

सुमित के साथ सुमित्रा जी अवाक सुन रहीं थीं और देख रहीं थीं तस्वीर के इस सर्वथा अनदेखे पहलू को..!!

लतिका श्रीवास्तव 

 एक आंख ना भाना #मुहावरा आधारित लघुकथा#

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