रिटायरमेंट – दीपा माथुर

लोग रिटायरमेंट के बाद बीमार क्यों होने लगते है?

गार्डन में बोल उछालते हुए अवि ने धीरज से पूछा

धीरज ;” हु मेरे दादा जी भी बीमार रहते है दादी दिनभर

काम करती है मेरी हर जरूरत का ख्याल रखती है मम्मी,पापा सर्विस पर जाते तो पीछे सारा काम करती है

तो व्यस्त रहती है।

ओर दादा जी बीमार रहते है।

दरअसल दादा साहब रिटायरमेंट के बाद यहां आ गए उनके दोस्त तो राजस्थान में ही रह गए इसीलिए बाहर निकलते ही नहीं है,।

अवि:” ह्म्म म…

हम कुछ कर सकते है क्या?

धीरज :” हम तो छोटे है ना?

हमारी बात कौन मानेगा डॉट कर भगा देंगे।”

अवि ;” हा बात तो तुम एक दम सही कह रहे हो पर हम दादा जी के पास बैठकर होमवर्क करे उनके आस पास ही खेले

तो फर्क पड़ सकता है।

कल दादी साहब भी कह रही थी ;” थोड़ा दादा जी के साथ बातचीत कर लिया करो ।”

धीरज ;” फिर तुम क्यों नहीं बातचीत करती?

अवि बॉल को पैरों से गोल गोल घुमाती हुई बोली ;” ये होमवर्क फिर लर्न करना टाइम ही नहीं मिलता ओर वे लोग सोचते है मम्मी मना करती है।

पर ऐसा नहीं है उन्हें भी रूम से निकल कर हमारे साथ खेलना चाहिए ना?

थोड़ा वो भी तो बच्चे बन सकते है।

पर नहीं उन्हें लगता है की हम सिर पर चढ़ जाएंगे “

धीरज पेड़ की डाली पर झूलते हुए बोला ;” क्या बडबडा रही हो।”

मुझे तो लगता है दादा जी को मेरे दादा जी से दोस्ती करवा देते है।

बराबर के लोग बात करेंगे तो मन लगेगा ।

तो आज मैं अपने दादा जी को तुम्हारे घर लाता हु  क्यों?

अवि ;” हु .. देखती हु गर मान जाए तो?”

दूसरे दिन धीरज अपने दादा जी के साथ गार्डन पहुंचा और अवि अपने दादा जी के साथ आ गई।

 दादा जी ये मेरी फ्रेंड अवि के दादा साहब है धीरज ने अवि के दादा जी से मिलवाते हुए कहा।

अवि के दादा साहब किशोरचंद जी ने हाथ जोड़ कर अभिवादन किया।

दो मिनिट चुप्पी छाई रही फिर अचानक धीरज के दादा जी बोले आइए किशोर जी यहां बैठते है।

अवि बहुत प्यारी बच्ची है।

किशोर जी ;” मुस्कुरा कर बोले इसी की जिद्द से आया था पर अब अच्छा लग रहा है।

तभी अवि बोली ;” दादा जी देखो ये बड़ा सारा पैड आपको सुस्त नहीं लग रहा है।

बेचारा अकेला है बात भी करे तो किससे करे?

धीरज ;” पेड़ है तो क्या मन लगाने के लिए कोई तो चाहिए ना?

हम से समझदार तो ये पक्षी है इसके इर्द गिर्द उड़ कर इसका मन लगाते रहते है।

अवि ;” मै तो समझदार हु तुम्हारा पता नहीं देखो दादा साहब को यहां ले आई ना ?

धीरज;”  हु तो मैं क्या कम हु देखो में भी दादा साहब को लाया हु ना?

अवि ;” बोली बुद्धू में तो मजाक कर रही थी।

हा हा…. हंसते हुए बोली।

दोनों के दादा जी बात करने में व्यस्त थे।

आज दोनों खुश थे।

एक साथी जो मिल गया था।

गार्डन में डेली आने से मित्र मंडली बढ़ गई।

अब तो दादा साहब  घर में नए उत्साह ओर उमंग में अपने मित्रो की बाते बताते वाट्सअप चलाते अपने आपको व्यस्त रखने लगे।

अब सभी मित्रो ने गरीब बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।

गार्डन में ही क्लास शुरू हो गई।

स्वास्थ्य और नॉलेज दोनों दुरुस्त रहने लगे थे।

दीपा माथुर

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