रिश्ते अहंकार से नहीं त्याग और माफ़ी से टिकते हैं – दिव्या मिश्रा

सच्चा रिश्ता वही कहलाता है जिसमें अपनत्व की भावना हो

कुछ गलतफहमियों के दस्तक देने पर भी उसमें कोई कड़वाहट न 

फैले बल्कि वह अपने रिश्ते में मिठास बने रहने के लिए हर गलतफहमियों को भी नजरअंदाज कर देता है वहीं सच्चा रिश्ता होता है रिश्तों को अमीरी या ग़रीबी के तराजू में नहीं तौला जाता है 

रिश्तों को अपनेपन के भाव से परखा जाता है रिश्ता वही मजबूत होता है जो तकरार होने के बाद भी सिर्फ़ एक बार खिलखिला देने पर प्रेम भाव पहले जैसा हो जाये 

रिश्ते दिल के हर एहसास से जुड़े होते हैं और जहां एहसास नहीं होते वहां शायद रिश्ते भी अपने सगे नहीं होते 

रिश्तों की बगिया तभी गुलज़ार होती है जब सब लोग दिल से रिश्ते निभाने लग जायें कुछ अनबन हो जाने पर माफ़ी मांग लेना रिश्तों को और क़रीब लाना होता है

इसलिए बिना किसी झिझक या अहंकार के अपने रिश्ते को बरकरार रखने के लिए माफी मांग लेना उचित होता है रिश्ते को संजोए रखने के लिए त्याग भी करना पड़ता है लेकिन इससे रिश्ता बना रहता है 

सब जानते हैं कि एक न एक दिन सबको ये जगत छोड़कर जाना है फ़िर कैसा घमंड कैसा लोभ जब तक जीवन है अपनों के संग जी लो

खुशियों के पल साथ मिलजुलकर बिता लो क्या पता फ़िर वक्त भी वक्त दे या न दे इसलिए जहां रिश्ते की बात हो वहां दिल लगाना चाहिए दिमाग़ नहीं 

जो लोग रिश्तों को बनाए रखने के लिए हर जगह झुक जाते हैं वे हमेशा गलत नहीं होते और न ही गलत होने के कारण झुकते हैं जबकि झुकते हैं वह इसलिए क्योंकि उन्हें रिश्तों की परवाह होती है 

रिश्ते बरकरार रखने के लिए हमें एक दूसरे को समझना ज़रूरी होता है एक दूसरे का सम्मान करना ज़रूरी होता है साथ में समय बिताना ज़रूरी होता है साथ मिलजुलकर हर आपसी समस्या को एकजुट होकर सुलझाना जरूरी होता है 

यदि हमारा कोई अपना किसी वजह से तनावग्रस्त रहता है तो हमारी ये जिम्मेदारी होती है कि हम उसके दुःख को जाने समझे और उसे दूर करने का प्रयास करें

यही सच्चे रिश्ते की पहचान होती है हमें अपने रिश्ते में विश्वास बनाए रखने के लिए हर बातें एक दूसरे से शेयर करनी चाहिए इससे मन भी हल्का लगने लगता है 

हमारा रिश्ता कभी टूटे न उसके लिए हमें एक दूसरे की जरूरतों व भावनाओं का सम्मान करना चाहिए 

रिश्तों में आपस में खुलकर बात करने से सामंजस्य बना रहता है

रिश्तों के टूटने का सबसे बड़ा कारण हमारा अकड़पन वाला स्वभाव होता है जबकि कहा गया है कि जो पेड़ अकड़ दिखाते हैं

वो आंधी का झोंका आने पर टूट जाते हैं पर जो नरम मुलायम घास हमेशा सिर झुकाए रहती हैं वो आंधी आने पर भी वैसे की वैसे बनी रहती हैं उन घास का कुछ नहीं होता इसलिए अपने आप को और अपने रिश्ते को यदि बेहतर बनाना है तो हमें अकड़पन वाला स्वभाव त्याग देना चाहिए 🙏🙏

कहानी रिश्ते अहंकार से नहीं त्याग और माफी से टिकते हैं।

दिव्या मिश्रा

error: Content is protected !!