अपने अपने पैमाने – रवीन्द्र कान्त त्यागी

बात कुछ बारह या तेरह वर्ष पुरानी है। मेरे एक रिश्तेदार ने अपनी मेधावी बेटी का रिश्ता दिल्ली में रहने वाले एक अच्छी जॉब और सम्पन्न घराने के लड़के से तय किया था। लड़का और लड़की दोनों एक दूसरे के बिलकुल अनुकूल थे और परिवार के लोग भी इस रिश्ते से बहुत खुश दिखाई दे रहे थे।

एक रवीवार की सुबह जब लड़की पक्ष का परिवार कुछ माह पश्चात होने वाली शादी की तैयारियों पर चाय पीते हुए चर्चा कर रहा था तो अचानक लड़की के मामा घर पर प्रगट हुए। उन्होने आव देखा न ताव, सीधे घोषणा कर दी कि ये रिश्ता नहीं हो सकता।

शुभ कार्य की तैयारियों में ऐसा विघ्न देखकर पूरा परिवार स्तब्ध रह गया और पृश्नवाचक निगाहों से आगंतुक मामा जी की ओर देखने लगा।

मामा जी ने अपना एण्ड्रॉयड फोन खोला और लड़के की फेसबुक प्रोफाइल सब को दिखाई। “देखिये लड़के का चरित्र। लगभग दो सौ लड़कियां तो इसकी दोस्त हैं। जी हाँ दो सौ से भी अधिक। जिसकी इतनी लड़कियां दोस्त होंगी उसका चरित्र कैसा होगा ये बताने की आवश्यकता है क्या।

इतना ही नहीं, कितनी लड़कियों ने इसे हाय हॅलो लिखा है। लाइक किया है। किसी ने स्मार्ट बताया है तो किसी ने हैंडसम बॉय। इतना ही नहीं,

लड़का उन्हे लताड़ने की बजाय सब को मुस्कान फेंक रहे हैं। ऐसे चरित्रहीन लड़के से हमारी बिटिया का ब्याह कतई नहीं हो सकता। आज सावधान नहीं हुए तो बाद में पछताना पड़ेगा।”

बाद में लड़के वाले लाख सफाई देते रहे किन्तु रिश्ता टूट गया।

जब हम ने बिल्डिंग बनाने का काम शुरू किया था तो कुछ लोगों ने बताया कि आप के निर्माण में जो सरिया और लोहा लगेगा उस में आप को लाखों ही नहीं करोड़ों का चूना लग सकता है। शहर में लोहा चोर माफिया सक्रिय है।

ये सरिया मिल से चलने वाले माल में से एक आध टन माल गायब कर देते हैं। शहर के सभी कांटे वालों से इनकी सैटिंग है। माल तो हर सूरत में कम आयेगा ही। तब हम ने निर्णय लिया कि हम अपना की कांटा लगाएंगे।

आश्चर्यजनक तथ्य ये है कि एक दिन हमारे कांटे में भी एक डिवाइस लगा हुआ मिला जिसे ट्रक वाले रिमोट से कंट्रोल करके खाली और भरे ट्रक का मनचाहा भार बता सकते थे।

तब हम ने दिल्ली की एक प्राइवेट डिटेक्टिव कंपनी को हायर किया कि ये पता लगाए कि हमारे ही परिसर में घुसकर कौन चोरी की वारदात को अंजाम दे रहा है।

एकडिटेक्टिव मिस्टर चौहान साहब ने हम से संपर्क किया। उन्होने अपना काम शुरू कर दिया और आश्चर्यजनक तथ्य उभरकर सामने आए।

खैर वो बात बाद में। पहले बहुत बातून चौहान साहब का बताया एक किस्सा आप को सुनाता हूँ।

चौहान साहब ने बताया कि हमारे पास सब से अधिक मामले प्री वैडिंग इंवेस्टिगेशन के आते हैं। लोग अपने होने वाले दामाद या बहू की जासूसी कराकर उसकी आय, शिक्षा, चरित्र और बैकग्राउंड जानना चाहते हैं।

ऐसे ही एक दिल्ली के रईस मेरे पास अपने होने वाले दामाद की जासूसी कराने के लिए आए। मोटी आसामी थी। इसलिए हम ने पैसे भी अच्छे खासे वसूल किए और मैं उस लड़के की जासूसी करने में लग गया।

दस दिन बाद मैंने उन सज्जन को रिपोर्ट दी। “लड़का पैसे वाला है और तबीयत से भी रईस है। रोज शाम को अपने ऑफिस से छह बजे निकलता है। उसके बाद एक फेमस क्लब में उसकी टेबल बुक रहती है। वहाँ वो महंगी वाली शराब पीता है। उसके बाद उसकी गर्लफ्रेंड आ जाती हैं।”

“आ जाती हैं मतलब।” उन्होने बीच में ही टोका।

“मतलब सर, अकसर अलग अलग लड़कियां उसकी टेबल पर उसे कंपनी देती हैं। उसके बाद लगभग दस बजे वो अपनी मर्सिडीज़ कार में लड़की को साथ लेकर होटल चला जाता है

जहां उसका कमरा बुक रहता है। हाँ, दो हफ्ते में मैंने नोट किया कि मंगलवार को वो घर पर ही रहता है। माफ करें सर। लड़का डेली ड्रिंकर है और लड़कियां…।”

“ओके मिष्टर चौहान। आप का काम खत्म हो गया। लड़का, लड़ाई झगड़ा या गुंडागर्दी तो नहीं करता है ना। उसका व्यापार तो अच्छा है।

और… धार्मिक प्रवृति का भी है। बाकी ये सब तो अमीरों के शौक हैं भाई। पैसा है तो जिंदगी खुलकर जिएगा ही। गुड। हमारी शंकाएँ दूर हो गईं। सुनो बलवंत। लड़के वालों से अपाइमेंट बुक करो। हम रिश्ता पक्का करना चाहते है।”

सब के अपने अपने तराजू और अपनी अपनी तोल।

विषय से हटकर एक उत्कंठा आप के मन में बची हुई होगी कि हमारे परिसर में हमारे कांटे में डिवाइस किसने लगाई तो पता चला कि जिस कंपनी का वेब्रिज था

उसका सर्विस मैन भी माफिया से मिला हुआ था और उसने ही सर्विस के बहाने डिवाइस लगा दिया था। लोहे के क्षेत्र में बड़ा रैकिट काम करता है और पर्चेजर के पास चुप चाप ज़ख़म खाने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता।

रवीन्द्र कान्त त्यागी

Leave a Comment

error: Content is protected !!