शर्मा जी सरकारी स्कूल में अध्यापक थे।उनके परिवार में उनका बेटा रोहनऔऱ उनकी पत्नी रमा जी थी। रमा जी बहुत ही ज्यादा पढ़ी लिखी ,समझदार महिला थी। रमा जी जब शादी करके आयी ,तभी शर्मा जी से बोली की मैं भी कोई नौकरी करना चाहती हूँ।
लेकिन शर्मा जी हर बार टाल जाते, की रमा जी आपको नौकरी करने की क्या जरूरत है, आप घर और बच्चों को संभाले ,औऱ वैसे भी मैं सरकारी नौकरी में हूं। रिटायरमेंट के बाद भी पेन्शन आती रहेगी।
रमा जी घर परिवार में उलझ कर रह गयी।एक रात रमा जी के पीठ में बहुत ज्यादा दर्द हो गया जिस कारण रमा जी रात भर सो नहीं पाई ।सुबह होते ही शर्मा जी से बोली आप हमको डॉक्टर के पास ले चलिए।मेरे पीठ में बहुत ज्यादा दर्द है, शर्मा जी ने बोला,
मैं अभी बाज़ार से दर्द की कोई ट्यूब ला देता हूँ आपको आराम हो जाएगा।हमेशा की तरह आज फिर शर्मा जी ने रमा जी के दर्द को नही समझा। समय बीतता गया बेटा बड़ा हो गया ,रोहन बारहवी करके दिल्ली बी टेक करने चला गया।
शर्मा जी हर महीने ,उसको खर्चे के लिए जरूरत से ज्यादा पैसे भेजते। रमा जी बोलती की आप जितने की जरूरत हो उतना ही पैसे भेजे। लेकिन शर्मा जी ने बोला रमा जी मैंने अपनी सभी जरूरतों को मार मार के पैसे जमा किये है, अपने बेटे के लिए समझी ,ताकि मेरा बेटा मजे से जिंदगी काट सके। रमा जी ने गुस्से में बोला जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज अच्छी नहीं होती पैसा हो या प्यार ।
रोहन ,ने अपनी पढ़ाई पूरी की। उसकी जॉब लग गयी। सभी बहुत खुश थे। रोहन अपने साथ काम करने वाली लड़की सुमन को पसंद करने लगा। और रमा जी को फ़ोन करके बोला माँ मैं शादी करना चाहता हूं।
रमा जी ने बोला ठीक है कर लेना, लेकिन अभी दो महीने हुए तुम्हे नौकरी ज्वाइन किए हुये, दो,चार,साल पैसे कमा लो फिर शादी कर लेना। रोहन ने बोला ठीक है माँ ।अगले दिन जब ऑफिस गया तो उसने सुमन को बताया , सुमन ने बोला अपनी माँ को बोलो इतने दिन नहीं रुक सकते,
रोहन ने बोला , माँ ने बोला है,की शादी में बहुत खर्चे होंगे। शादी के बाद भी घर गृहस्थी में बहुत खर्चे होते है, इस लिए हम लोगो को कुछ साल रुक जाना चाहिए, सुमन ने बोला तुम पैसों की चिंता नहीं करो, मेरे पास एक प्लान है ,रोहन ने बोला क्या प्लान है , मैडम कोई लॉटरी लग जायेगी क्या आपकी? औऱ हँसने लगा
सुमन बोली तुम्हारे पापा मई में रिटायर् होने वाले है, रिटायर होने के बाद उनको कई लाख रुपये मिलेगे। तुम अपने पापा से ले लेना हम लोग उसी से एक छोटा सा घर ले लेंगे और जरूरत का सामान तो मेरे मम्मी पापा दे ही देगे। हम लोग यही दिल्ली मे शिफ्ट हो जायेगे।
औऱ वैसे भी तुम्हारे पापा को पेंशन मिलेगी उनलोगों का गुजारा हो जाएगा। और हा तुम अपने घर जाओ वही अपने मम्मी से बात कर लेना। रोहन ने सोचा सही तो बोल रही है सुमन , रोहन अपने मम्मी पापा से मिलने उनके पास आ गया। और अपनी मम्मी को सुमन के द्वारा बताई गई सारी बात बताया।
रमा जी के चेहरे की हवाई उड़ गई। रमा जी ने बोला,बेटा मेरा औऱ तुम्हारे पापा का भी प्रेम विवाह हुआ था। मैं तुम्हारे पापा के प्रेम में इतनी अंधी हो गयी थी, की मैंने अपनी जिंदगी बहुत तकलीफों में गुजार दिया।
तुम्हारे पापा सरकारी अध्यापक थे। अच्छी तनखाह भी पाते थे। लेकिन कभी उन्होंने मेरे दुख को नहीं समझा, आज भी मैं हाथ से कपड़े धोती हू ,घर मे एक पँखा है, वो भी ठीक से नहीं चलता, औऱ तो और बहुत दर्द में भी वो हमको डॉक्टर के पास नहीं ले जाते।
रोहन गुस्से में बोला माँ आपने कभी पापा को अपनी जरूरत बताया ही नही, इसमे पापा की क्या गलती है, आपको अपनी जरूरत बतानी चाइये, पापा इतना ज्यादा तो कमाते है , की आपकी सारी जरूरत पूरी कर सके। रमा जी ने बोला बिल्कुल सही कहा रोहन तुमने। मैं तुम्हारे मुँह से बस यही सुनना चाह रही थी।
तुम भी तो कमाते हो, सुमन भी कमाती है,तुम भी अपने कमाई से सब करो,तुम्हारे पापा से मैं अपनी बात नहीं कह पाई तुमसे से तो कह सकती हूँ, बेटा आपके पढ़ाई में पापा ने इतना पैसा लगाया, अपने लिए अच्छा घर तक नहीं बनाया,
औऱ आप अभी से पापा के रिटायर होने पर मिलने वाले पैसे को खर्च कैसे करना है ये तुम दोनो सोच रहे हो? रोहन रमा जी का पैर पकड़ रोने लगा बोला ,मैं समझ गया माँ। आपने बिल्कुल सही कहा, मैं सुमन को बहुत प्यार करता हूं लेकिन प्यार मैं आके मैं अपने माँ पापा के साथ गलत नहीं कर सकता। दरवाजे के पीछे खड़े शर्मा जी सब सुन रहे थे।
उनको अपनी गलती का एहसास हुआ। बोले रमा जी आप हमको भी माफ करे मैं आपका भी गुनाहगार हू। रोहन दिल्ली चला गया। और सुमन को साफ साफ बोला दिया मैं दो साल बाद ही शादी करुगा। औऱ अपने कमाई के पैसों से करूंगा।
शर्मा जी के “रिटायर्डमेन्ट ‘का दिन भी आ गया।ऑफिस से घर आते समय शर्मा जी रास्ते में सोचते आ रहे थे, की रमा जी के लिए आज ही वाशिंग मशीन ले आऊंगा,
अपने कमरे में ए सी भी लगवा दूंगा। और रमा जी को हर महीने, डॉक्टर के पास चेकप के लिए ले जाऊंगा। ,यही सब ताना बाना बुनते घर पहुँचे तो देखा रमा
जी बाथरूम में गिरी पड़ी थी। जल्दी से उठाया और डॉक्टर के पास ले गए। थोड़ी देर डॉक्टर चेकप करने के बाद बोले माफ करिये शर्मा जी रमा जी को हार्टअटैक आया था। आपने लाने में देर कर दिया।रमा जी अब नहीं रही।
शर्मा जी जैसे आज भी हमारे समाज में बहुत से इंसान है, जो पैसे तो कमाते है, लेकिन अपने परिवार के सुख सुविधाओं ,औऱ जरूरतों का ध्यान नहीं रखते । पूरी जिंदगी कमाते रह जाते है। आज शर्मा जी को रिटायरमेन्ट के बाद बहुत पैसे मिले । लेकिन शर्मा जी खुश नहीं थे।
कही ना कही शर्मा जी को लगता है कि काश मैं अपनी पत्नी को पहले डॉक्टर को दिखा दिया होता तो, आज रमा जी उनके साथ होती।
पैसों की बचत जरूरी है, लेकिन अपने जरूरतों को मार के नही।
रंजीता पाण्डेय