भाभी अब ना कहना की दीदी लालची है – बीना शर्मा

राखी जब से अपने मायके से आई थी तब से उसके मन को बेहद सुकून था। उसे अपने निर्णय पर बेहद गर्व महसूस हो रहा था उसने भले ही अपने हिस्से की जमीन अपने भाई के नाम करके गवां दी थी परंतु ऐसा करके उसने अपने भैया भाभी की नजरों में बेहद सम्मान पा लिया था।

पिछली बार जब वह अपने मायके से आई थी तब उसके कानों में बार-बार उसकी भाभी के शब्द गूंज रहे थे ‘देखना तुम्हारी बहन एक दिन अपना हिस्सा जरूर लेगी।’

दरअसल राखी के मम्मी-पापा उससे बेहद प्रेम करते थे। जब भी उनका राखी से मिलने को दिल करता वे राखी को मिलने के लिए बुला लेते थे। एक बार जब राखी अपने मायके आई तो वह अपनी भाभी रंजना के लिए चॉकलेट भी लेकर आई थी, क्योंकि उसकी भाभी को चॉकलेट बेहद पसंद थी। जब वह चॉकलेट देने के लिए भाभी के कमरे की तरफ गई तो कमरे के अंदर से आती हुई आवाज को सुनकर उसके कदम वही दरवाजे पर रुक गए थे। उसकी भाभी रंजना उसके भाई रवि से कह रही थी- ‘पापा के नाम जो जमीन जायदाद है। उसे पापा के जीते जी आप अपने नाम करा लो और जो दीदी का हिस्सा है उसे भी उतरवा लो। कहीं ऐसा ना हो यदि कल को पापा को कुछ हो जाए तो दीदी पापा की जमीन पर अपना हिस्सा मांगने लगे। उनके मन में लालच है तभी तो हर महीने यहां मिलने चली आती हैं देखना एक दिन तुम्हारे बहन अपना हिस्सा जरूर लेगी।’

तब उसके भाई रवि ने उसे समझाते हुए कहा-‘दीदी ऐसी नहीं है वे तो बस प्यार की भूखी है इसलिए हम से मिलने आती है उन्हें किसी का हिस्सा नहीं चाहिए तुम बेवजह उनके बारे में गलत सोच रही हो वेहम से बेहद प्यार करती हैं इसलिए पापा के बुलाने पर मिलने चली आती हैं।

तब उसकी भाभी उसके भैया की आवाज को काटते हुए बोली- ‘यह प्यार व्यार कुछ नहीं है बस दिखावा है जिस दिन पापा को कुछ हो गया ना उस दिन दीदी का असली रंग देख लेना।

भाभी की बात सुनते ही राखी चुपचाप अपने मम्मी पापा से मिलकर अपनी ससुराल लौट आई थी। तब बार-बार उसके कानों में भाभी के स्वर गूंज रहे थे। उसने काफी सोच-समझकर निर्णय लिया। अगली बार जब उसके पापा ने उसे मिलने के लिए बुलाया तो उसने अपने पापा और भाई से जमीन के कागज लेकर कोर्ट चलने के लिए कहा तब उसके पापा आश्चर्य से बोले- ‘बेटी कोर्ट चल कर क्या करोगी”? मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। तुमने शादी के बाद आज तक मुझसे विदा में ₹100 भी नहीं लिए फिर तुम जमीन लेकर क्या करोगी?’

‘पापा मैं नहीं चाहती जमीन के हिस्से के पीछे मैं भैया और भाभी के दिल से अपना प्यार और सम्मान खो दूं। इसलिए उनके मन की शंका मिटाने के लिए मुझे आपकी जमीन से अपना नाम उतरवाना जरूरी है।’ रवि ने उसे बहुत मना किया की जमीन मेरे नाम मत करो मुझे आप पर पूरा विश्वास है।

तब राशि बोली-‘भैया मैं जमीन के कागज पर साइन करके आपके विश्वास को और मजबूत करना चाहती हूँ क्या पता कल को मेरे ससुराल में किसी का मन बदल जाए? इसलिए मैं आज ही अपने हिस्से की जमीन आपके नाम कर दूंगी”? यह कहते हुए उसकी आंखें भर आई थी वह रोते हुए रवि से बोली -‘भैया बहन हिस्से की नहीं प्यार की भूखी होती है।’

राखी की बात सुनकर रंजना को अपनी कही बातों पर पछतावा हो रहा था वह शर्म के मारे राखी से नज़रें नहीं मिला पा रही थी। वह हाथ जोड़कर राखी से बोली-‘दीदी मुझे माफ कर दो आप को समझने में मुझसे भूल हो गई’ परंतु ,राखी अपने निर्णय पर अड़ी रही। उसने अपने हिस्से की जमीन अपने भाई के नाम लिखवा दी थी और हाथ जोड़कर अपने पापा मम्मी से बोली-‘पापा अब जब भी आपका और मम्मी का मुझसे मिलने को मन करे आप मेरे ससुराल आ जाना अब मैं यहां कम आया करूंगी।’

यह सुनकर रंजना बोली-‘दीदी हमें इतना कठोर दंड मत दो। यदि आपने यहां आना छोड़ दिया तो मैं सबकी नजरों से गिर जाऊंगी। मुझे माफ कर दो।  आज से मेरी नजरों में आपका सम्मान और ज्यादा बड़ गया है। आपका हृदय तो निश्छल प्रेम से भरा हुआ है। आपने साबित कर दिया कि बेटी हिस्से कि नहीं प्रेम की भुखी होती है।’

इतना कह कर जब वह राखी के सामने हाथ जोड़ने लगी तो राखी ने रंजना को गले से लगा लिया था और रोते हुए बोली-‘अब ना कहना दीदी लालची है’।  आप जब भी मुझे प्यार से बुलाओगे मैं दौड़ी चली आऊंगी। इतना कहकर वह अपने ससुराल आ गई थी।

बहन बेटी सिर्फ प्यार और सम्मान की भूखी होती हैं जमीन के हिस्से की नहीं। अपने प्यार और सम्मान को बचाने के लिए वे बड़े से बड़ा त्याग कर सकती हैं इसलिए बहन की भावनाओं को समझना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

बीना शर्मा 

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