मैंने इसमें प्यार मिलाया है – बीना शर्मा

आज संध्या की तबीयत बेहद खराब थी सुबह से ही उसे खांसी जुखाम और बुखार हो रहा था जिसकी वजह से उसका बिस्तर से उठने को बिल्कुल भी मन नहीं था इसलिए वह मुंह ढक के रजाई ओढ़ के लेट गई थी आंख बंद करके लेटने के बाद भी उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि उसके मन में बार-बार यही सवाल उठ रहा था आज खाना कैसे बनेगा? उसका तो आज बुखार की वजह से खाने को बिल्कुल भी मन नहीं था परंतु, उसके पति संजय और बिटिया सनाया खाने के बगैर कैसे रहेंगे?

उसने कितनी बार अपने पति को समझाया था आप भी कुछ खाना बनाना सीख लो क्योंकि उसके पति को बाहर का खाना बिल्कुल भी रास नहीं आता था होटल का खाना खाने से उन्हें बदहजमी हो जाती थी इसलिए कभी-कभी हारी बीमारी और मजबूरी में खाना बनाना भी पड़ जाता है परंतु, उसके पति कभी भी उसकी बात गौर से नहीं सुनते थे उस की हर बात को मजाक में उड़ा देते थे आज संध्या को बार-बार यही परेशानी हो रही थी कि अब उसके पति ऑफिस में क्या कर जाएंगे?      यही सोच कर उसकी तबीयत खराब होने के बावजूद भीउसे नींद भी नहीं आ रही थी।

उसके पति संजय ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे कि तभी उन्होंने देखा उनकी बिटिया सनाया के हाथ पैर और कपड़ों में आटा लगा हुआ था और वह एक प्लेट में दो रोटी जो किं टेढ़ी-मेढ़ी और जगह-जगह से जली हुई थी के साथ अचार और चाय लेकर खड़ी थी सनाया को देखकर उसके पापा संजय को हंसी आ गई सारे शरीर में आटा लगने के बाद भी सनाया बिल्कुल मासूम परी जैसी लग रही थी वे हंसते हुए सनाया से बोले बेटा यह तुमने क्या किया?

अगर तुम्हारे हाथ जल जाते तो किसने कहा था तुमसे खाना बनाने को?

मैंने कितनी बार मना किया था तुमसे कि तुम गैस से दूर रहा करो अभी तुम छोटी बच्ची हो जरा सी लापरवाही से तुम जल सकती थी।

इतना सुनते ही सनाया मासूमियत से बोली जानते नहीं आप आज मम्मी की तबीयत खराब है क्या वह आपको कभी भूखे पेट ऑफिस जाने देती थी?यदि आज आप भूख ऑफिस जाते तो उन्हें कितना बुरा लगता और फिर मम्मी को रसोई में खाना बनाते देखकर इतना तो मैंने सीख ही लिया था कि आटा कैसे बनता है? रोटी कैसे बनती है? चाय कैसे बनाते हैं?

तो मैंने सोचा आज क्यों ना मैं आपके लिए खाना बना दूं भला मैं आपको भूखे पेट ऑफिस कैसे जाने देती? मैं अभी-अभी मम्मी को भी जबरदस्ती चाय के साथ एक रोटी खिला कर आई हूं आपको क्या पता मैं आपसे कितना प्यार करती हूं इतना कहकर वह अपने पापा संजय को अपने हाथों से खाना खिलाने लगी सनाया

के मुख से ऐसे बोल सुनकर संजय की आंखें भर आई थी बिटिया के हाथ की रोटी खाते खाते संजय की आंखें मैं गंगा जमुना भर आई वे टेढ़ी-मेढ़ी और जली हुई रोटियां उन्हें बेहद स्वादिष्ट लग रही थी। संध्या भी अपनी आंखों से यह अद्भुत नजारा देख रही थी जब बेटी अपने पिता को खाना खिला रही थी और पिता खुशी के मारे खाना खाते खाते आंसुओं की गंगा जमुना बहा रहा था।

बिटिया के हाथ से खाना खाकर आज उन्हें बेहद आनंद आया उन्होंने सनाया को गोद में उठा लिया और खुशी से सनाया का हाथ हाथ में लेकर डांस करने लगा फिर हंसते हुए सनाया से बोले जिसकी बेटी इतनी प्यारी और समझदार हो उसका पिता भला भूखा कैसे रह सकता है?” बेटी बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया तुमने आज के बाद में भी

तुम से खाना बनाना सीख लूंगा क्या मिलाया तुमने इसमें? सनाया मुस्कुराते बोली “पापा मैंने इसमें बस प्यार मिलाया है।” बेटियां होती ही इतनी प्यारी है माता पिता के हर सुख-दुख का पूरा ख्याल रखती है अपने माता-पिता को वे कभी भी दुखी नहीं देख सकती।

लेखिका : बीना शर्मा 

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