पलक की शादी पक्की हो गई थी। घर में खुशी का माहौल था। लड़के वालों ने उसे पहली बार में ही पसंद कर लिया था। पलक के चेहरे पर वह खुशी साफ झलक रही थी जो किसी भी लड़की के मन में शादी तय होते ही आ जाती है।
उसका ज्यादातर समय अब फोन पर बातें करने या शॉपिंग में ही बीतने लगा था। होने वाले पति सुबीर के साथ गप्पे लगते हुए घंटे कैसे बीत जाते, पता ही नहीं चलता।
पलक के घरवालों को उनका शादी से पहले ज्यादा मिलना-जुलना पसंद नहीं था, इसलिए जब पलक शॉपिंग या किसी काम के लिए बाहर जाती तो वहीं सुबीर को बुला लेती और दोनों मिलकर बातें कर लेते। इन मुलाकातों में ढेर सारी हॅंसी-मज़ाक, छोटी-छोटी नोकझोंक और साथ में भविष्य के सपने बुने जाते। यह समय पलक के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
ससुराल में भी सब बहुत अच्छे थे। आये दिन उसके लिए तोहफे और उसकी पसंद की खाने-पीने की चीजें भेजते रहते थे।
बस, एक चीज जो पलक को अटपटी लगती, वो ये कि सारी बातें होती सबसे, पर कोई शादी के लहंगे के बारे में बात नहीं करता। उसकी छोटी से छोटी पसंद पूछी जाती पर शादी के लहंगे को लेकर कोई उससे कुछ चर्चा ही नहीं करता।
आप सोचेंगे कि इसमें क्या अटपटा है? हमारे और आपके लिए कुछ अटपटा नहीं है, पर पलक के लिए था क्योंकि उसने अपनी शादी के लहंगे को लेकर बहुत सपने संजो रखे थे।
छोटेपन से उसे किसी भी शादी में जो चीज सबसे ज्यादा आकर्षित करती थी वह था दुल्हन का लहंगा। वह तो बचपन से लेकर अब तक खुद को कई बार अपने सपनों में अलग-अलग डिज़ाइनर शादी के लहंगों में निहार भी चुकी थी।
आखिरकार, उससे नहीं रहा गया और एक दिन वह सुबीर से पूछ ही पड़ी “शादी का लहंगा कब पसंद करेंगे? अगर अभी बनने नहीं देंगे तो टाइम पर नहीं मिल पायेगा।”
“अरे! तुम्हें पहनना है, तो तुम ही पसंद कर आर्डर कर दो” सुबीर ने लापरवाही से कहा।
पलक बहुत खुश हुई, उसने अपनी पसंद के डिज़ाइन सुबीर को दिखाकर लाल रंग का फिश कट शादी का लहंगा बनने दे दिया।
कुछ दिन बाद सुबीर ने अचानक फोन किया –
“पलक, तुम्हारे लहंगे का आर्डर कैंसिल हो गया है।”
पलक चौंक गई –
“लेकिन क्यों?
“यह तो माँ ही बता सकती हैं। लहंगे का आर्डर उन्होंने ही कैंसिल किया है।” सुबीर ने कहा।
पलक ने तुरंत सासू माँ को फोन लगाया –
“माँ प्रणाम। सुबीर कह रहे थे आपने लहंगे का आर्डर कैंसिल कर दिया है। क्या उसका कलर या डिज़ाइन पसंद नहीं आया?”
सासू माँ ने प्यार से समझाया –
“नहीं बहू, तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है। लेकिन सुबीर की दादी की इच्छा है कि तुम उनकी शादी का लहंगा पहनो। हमने उसमें आजकल के फैशन के हिसाब से थोड़ा बहुत चेंज करवा दिया है। तुम्हें, कोई एतराज तो नहीं है ना?”
“नहीं माँ।” पलक ने धीरे से कहा।
“वैसे भी बाकी सभी चीजें तो तुम्हारी पसंद की ही हो रही हैं| सिर्फ, शादी का लहंगा हमारी पसंद का पहन लो।” कहते हुए सासूमाँ ने फोन रख दिया।
फोन रखते ही पलक चुपचाप बैठ गई। उसका दिल भारी हो गया। उसने सोचा –
“यह कैसी शादी है जिसमें दुल्हन अपनी पसंद का शादी का जोड़ा भी नहीं पहन सकती? बचपन से जिस लहंगे का सपना देखा, वो पहनने का मौका भी नहीं मिलेगा।”
लहंगे को लेकर यह कसक पलक के मन में घर कर गई। शादी की तैयारियां चलती रहीं, वह मुस्कुराती भी रही, लेकिन उसके दिल में यह बात चुभी रही।
शादी के दिन जब उसने सासूमाँ के दिए अपनी दादी सास के लहंगे में खुद को सजाया, तो सबने तारीफ की –
“वाह! कितनी सुंदर लग रही हो पलक।”
पलक भी मुस्कुरा दी, पर उसके दिल में वह खुशी की खनक नहीं थी। शादी के फोटोज़ में भी उसकी ऑंखों में हल्की उदासी थी जो केवल वही देख सकती थी।
समय बीतता गया। पलक अपने ससुराल में रच-बस गई। सालों बाद उसके बेटे की शादी पक्की हुई। घर में शादी की तैयारियाॅं जोर-शोर से चल रही थी। तभी एक दिन पलक की सासू माॅं ने उसे बुलाकर कहा “बहू, मैं चाहती हूॅं कि मेरी पोता बहू अपनी शादी में मेरी शादी का लहंगा पहने, ठीक उसी तरह जैसे तूने अपनी शादी में अपनी दादी सास का लहंगा पहना था।”
यह सुनते ही पालक की ऑंखों में पुरानी कसक उभर आई। इस बार उसने ठान लिया कि जो कमी उसने अपनी शादी में महसूस की थी, वह अपनी बहू को नहीं महसूस करने देगी। इसलिए उसने बहुत ही आदर से अपनी सास से कहा “माॅं, मैं आपकी भावना की बहुत कद्र करती हूॅं।
इसलिए आपकी शादी का लहंगा आपके आशीर्वाद स्वरूप आपकी पोता बहु नीति के पास रहेगा। लेकिन, माफ कीजिएगा नीति अपनी शादी में आपकी शादी का लहंगा नहीं पहन सकती क्योंकि मुझे जितनी कद्र आपकी भावनाओं की है ,उतनी ही नीति के अरमानों की भी है।
हर लड़की अपनी शादी और अपनी शादी के लहंगे को लेकर हजारों सपने बुनती है। मैं नहीं चाहती कि नीति के सपने भी उसी तरह चकनाचूर हो जैसे मेरे हुए।”
ये कहकर पलक खुद अपनी होने वाली बहू नीति को लेकर शॉपिंग के लिए गई।
“नीति, तुम्हें कैसा शादी का लहंगा पहनना है, तुम खुद पसंद कर लेना। यह तुम्हारा दिन है और मैं चाहती हूँ कि तुम उसी तरह सजो-संवरों जैसा तुमने हमेशा सपना देखा होगा।”
यह सुनते ही नीति की आंखों में चमक आ गई। उसने खुशी से अपना मनपसंद डिजाइन चुना। यह सब देखकर पलक के दिल को एक अजीब-सी तसल्ली मिली। उसे लगा जैसे उसने अपनी अधूरी ख्वाहिश को नीति के जरिए पूरा कर लिया।
धन्यवाद
लेखिका-श्वेता अग्रवाल,
धनबाद झारखंड
कैटिगरी- लेखक/लेखिका बोनस प्रोग्राम
शीर्षक-शादी का लहंगा