विश्वास – एम पी सिंह

मां , एक बार कहा न कि मुझे अंदर नहीं जाना मतलब नहीं जाना, तुम अंदर जाओ। राहुल की मां, राहुल को भोले बाबा के मंदिर में आने के लिए बोल रही थीं, पर वो स्कूटी पर ही बैठा रहा और बोला मैं यहीं इंतजार करता हूँ।

तभी एक बड़ी सी कार से साधारण से कपडे पहने एक व्यक्ति उतरा, जो उन दोनों की बाते सुन रहा था, वो पास आया और बोला, बहन जी, आप बाबा के दर्शन करने जाओ, बेटे को जबरदस्ती मत करो। पाठ पूजा दिलसे होती है,

देखना एक दिन ये अपने आप भोले बाबा के दरबार आएगा और अपने किए का पछतावा भी करेगा। मां के जाने के बाद उस साधारण से दिखने वाले व्यक्ति ने उसका नाम पूछा और भगवान से नाराज़गी का कारण। वो लड़का बोला, मेरा नाम राहुल है, कुछ समय पहले मेरे पिता जी का देहान्त हो गया।

वो एक गाड़ी के शोरूम में मेकेनिक थे। जमा पूंजी कुछ भी नहीं है, मैने बढ़ी मेहनत करके इंजीनियरिंग का एंट्रेस परीक्षा क्लियर कर ली पर एडमिशन के लिए पैसे नहीं हैं। मेरा तो कैरियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया, सारे सपने चकना चूर हो गए। वो व्यक्ति बोला, तुम्हारे तो पिता जी गुजरे हैं, पर तुम्हारी मां के तो पति थे, उनको भगवान से कितना नाराज होना चाहिए?

अगर तुम्हारी फीस ओर एडमिशन का इंतजाम हो जाए, तो क्या फिर भी भगवान से नाराज रहोगे? राहुल बोला, कौन देगा मेरी फीस, वो भी 4 साल तक? घर का भाड़ा ओर बाक़ी के खर्चे अलग ? वो व्यक्ति राहुल से बातें सुनकर मुस्कुरा रहा था

कि राहुल की मां वापस लौट आई। वो व्यक्ति बोला, बहन जी, मेरा नाम पुरूषोतम दास है, इस मंदिर की एक संस्था है, जो जरूरत मंद लोगों की सहायता करती हैं।

मैं रोज शाम को 7 से 8 बजे तक उसके ऑफिस में रहता हूं, आप राहुल को एडमिशन के सारे पेपर देकर कल मेरे दफ्तर भेज देना, बाबा इसका काम अवश्य कर देंगे, अच्छा, अब मैं चलता हूं, नमस्ते।

राहुल ने मां से पूछा, क्या आप पुरषोत्तम दास जी को जानती हैं? मां ने कहा, नहीं। तुम सारे कागज लेकर उनके दफ्तर में जाकर  मिल लेना, शायद इसमें भी भोलेनाथ की मर्ज़ी होगी। अगले दिन राहुल सारे कागज़ लेकर पुरषोत्तम दास जी के दफ्तर में पहुंच गया।

पुरुषोत्तम जी ने राहुल को बहुत सम्मान से बैठाया और सारे पेपर देखकर अपने सेवादार गोलू को बुलाया और कहा, कल तुम राहुल के साथ कॉलेज जाकर इनका एडमिशन करवा देना। फीस के अलावा बस, हॉस्टल और जो भी चाहिए, सब का पैसा जमा कर देना।

फिर राहुल से बोले, गोलू भईया से बात करके कॉलेज में कब ओर कहां मिलना है, देख लो, ये तुम्हारा काम करवा देगा। फिर गोलू से बोले, बी एम कॉलेज में तो ममता जी प्रिंसिपल हैं न? लो में फ़ोन ही कर लेता हूं, ये कहते हुए फोन निकाला और नं लगा दिया।

उधर से ममता जी की आवाज आई, भाईसाब नमस्ते, कैसे याद किया? नमस्ते ममता जी, पुरषोत्तम जी बोले, आपको फिर एक कष्ट दे रहा हूं, कल गोलू आपके कॉलेज आयेगा, एक बच्चा है राहुल शर्मा, उसका एडमिशस करवाना है, देखिए कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

अरे भाई साब, आप इतना बड़ा धर्म का काम करते हैं, इतना सा सहयोग तो हम दे ही सकते हैं, आप निश्चित हो जाए ओर समझे कि आप का काम हो गया। अगले दिन राहुल सुबह 10 बजे कॉलेज पहुंच गया जहां गोलू भईया मिलने वाला था,। गोलू भईया ने सारी औपचारिकता पूरी करके कॉलेज में

एडमिशन करवा दिया। गोलू भईया को धन्यवाद देकर राहुल अपने घर की और चल दिया। राहुल को ये सब कुछ एक सपने जैसा लग रहा था, वो कब घर पहुंच गया, उसे पता ही नहीं चला। घर आकर वो अपनी मां से लिपट गया और बोला, मां,

शाम को पुरषोत्तम जी से मिलने चलेंगे और धन्यवाद बोलकर आयेंगे। मां ने मुस्कुरा कर सिर हिला दिया और मन ही मन भोले बाबा का शुक्रिया अदा किया। शाम को राहुल अपनी मां के साथ मंदिर गया ओर स्कूटी पार्क करके मंदिर की तरफ चल दिया। मां बोली पुरषोत्तम जी का दफ्तर तो उधर है,

राहुल बोला, पहले भोले बाबा का शुक्रिया करेंगे फिर पुरषोत्तम जी का। बेटे की बात सुनकर मां मुस्करा दी पर आंखों में आंसू भी आ गए। मन्दिर से निकल कर, दोनों पुरषोत्तम जी से मिलने गए ओर उनका बहुत बहुत धन्यवाद दिया। पुरषोत्तम दासजी बोले, भोले बाबा ने अपना काम कर दिया, अब

तुम दिल लगा कर पढ़ाई करना और अपने मां पिता जी का नाम रौशन करना। फ़िर पुरषोत्तम दास जी बोले, बहन जी, आप का घर कहां हैं? राहुल की मां बोली, बजरंग नगर में सेठ रामदास जी के घर पर किराए पर रहते हैं। ये सेठ रामदास जी वही तो नहीं जिनका बड़ौदा बाजार में कपड़े का

शोरूम है? हां भाईसाब, वहीं हैं। फिर पुरषोत्तम जी बोले,वो तो बाबा के बहुत बड़े भक्त हैं, बहुत सेवा करते हैं, कभी मिले तो कहना मैं याद कर रहा था। दोनों मां बेटा अपने घर आ गए और मन ही मन पुरषोत्तम जी को दुआएं देते रहे। कुछ दिन बाद सेठ

रामदास जी मंदिर से बाहर निकल रहे थे कि पुरषोत्तम दास जी मिल गए और दोनों दफ्तर में चले गए। पुरषोत्तम दास जी ने राहुल ओर उसकी मां के बारे में बात की तो सेठ रामदास जी बोले, बहुत होनहार बच्चा हैं, कुछ समय पहले ही उनके पिता जी का देहान्त हो गया । तब पुरषोत्तम जी बोले कि राहुल की पढ़ाई का जिम्मा हमारी संस्था ने लिया है, कुछ सालों में

राहुल इंजीनियर बन जायेगा, तो सब ठीक हो जाएगा, तब तक मकान का भाड़ा, आप उनसे मत मांगिए, आपको भाड़ा हमारी संस्था दे देेगी। सेठ रामदास जी बोले, आप ये क्या गजब कर रहे हैं, आप दुनिया भर में दानपुन का काम करो और मैं आपसे पैसे लूं, तौबा तौबा। तब पुरषोत्तम जी बोले अगर आपको मंज़ूर नहीं है तो ठीक है, हम भाड़ा राहुल की मां को दे देंगे, वो आपको दे दिया करेंगी।

पुरषोत्तम जी, आप क्यों मुझे नरक में धकेलना चाहते हैं, मैं न आपसे पैसे लूंगा और न ही राहुल की मां से। भोले बाबा की बहुत कृपा हैं, जब तक राहुल की पढ़ाई पूरी नहीं होती, मै कोई भाड़ा ही नहीं लूंगा, अब ठीक है? पुरषोत्तम दास जी बोले,

अब राहुल की मां के लिए कोई छोटी मोटी नौकरी का इंतजाम करवा दो, इज्ज़त की रोटी खा लेगे। इसपर सेठ रामदास जी बोले, अगले महीने मैं  साड़ी का नया शोरूम खोल रहा हूं, अगर वो चाहें तो वहां काम दे सकता हूं, वर्ना कोई दूसरी जगह देख लूंगा,

अच्छा,अब मैं चलता हूं, फिर मिलेंगे, नमस्ते बोलकर रामदास जी खड़े हो गए। घर जाते समय सेठ रामदास जी राहुल के घर चले गए और पुरषोत्तम जी से हुई मुलाक़ात के बारे में बताया और कहा कि पुरषोत्तम जी ने राहुल की पढ़ाई पूरी होने तक मेरे मकान भाड़े का इंतजाम भी कर दिया है, अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

जाते जाते सेठ रामदास जी बोले, अगले महीने मेरा साड़ियों का नया शोरूम खुल रहा है, आप चाहो तो वहां काम कर सकती हो। राहुल की मां ने सोचने के लिए थोड़ा समय मांगा और सेठ रामदास जी अपने घर चले गए। कुछ दिन बाद राहुल की मां ने साड़ी के शोरूम में काम करना शुरू कर दिया, समय बीतता गयाा और राहुल की पढ़ाई पूरी हो गई ओर कैंपस मे ही नौकरी भी मिल गई।

राहुल को जन पहली तनख्वाह मिली तो वो पैसे लेकर मां के साथ मंदिर गया और फिर पुरषोत्तम जी से मिल कर अपनी तनख्वाह उन्हें दे दी और बोला कि इसपर पहला अधिकार आपका है। ये देख कर पुरषोत्तम जी बहुत प्रसन्न हुए और बोले, बेटा, ये पैसे अपनी मांता जी को देदो। अब तुम इस काबिल हो गए हो कि अपनी और अपने परिवार की देखभाल कर सको। पर एक बात हमेशा याद रखना, कि

कभी भी किसी बेसहारा जरूरतमंद की मदद करने में पीछे मत हटना, मगर कभी किसी को पैसो की मदद भी मत करना। पैसे लेकर इंसान उसका गलत इस्तेमाल करते हैं। तुम अगर चाहो तो कुछ दान हमारी संस्था को भी दे सकते हो, तुम तो जानते ही हो की हमारी संस्था क्या क्या कार्य करती हैं।

इतना कहकर पुरषोत्तम दास जी खड़े हो गए और बोले, अच्छा,अब में चलता हूं, आगे भी कभी कोई समस्या हो तो जरूर याद करना, भोलेनाथ सब ठीक कर देंगे। समय बीतता गया, राहुल अपने काम में व्यस्त रहने लगा पर पुरषोत्तम दास जी की सीख ओर भोले बाबा को कभी नहीं भूला।

फिर राहुल का तबादला भोपाल हो गया ओर जाने का दिन भी आ गया। जाने से पहले राहुल पुरषोत्तम जी से मिलने गया, पर वो कही बाहर काम से गए थे। उसने सोचा कि चलो गोलू भईया से ही मिल लेते हैं। राहुल बाहर निकल रहा था कि उसने देखा कि एक बालक फटे हाल मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा रो रहा है, उम्र कोई 13 – 14 साल की रही होगी,

राहुल ने उसे अपने साथ लिया और गोलू भईया से मिला लिया और बोला, भईया, हो सके तो इसकी कुछ मदद कर दो, मैं जरा जल्दी में हूं, गाड़ी पकड़नी है, भोपाल जा रहा हूं और कुछ पैसे गोलू भईया को देकर चला गया। 

गोलू भईया ने उसका नाम ओर रोने का कारण पूछा, तो वो जोर जोर से रोने लगा और बोला में राजू हूं, 2 दिन से कुछ नहीं खाया, मेरी चाय की टपरी और सारा सामान किसी ट्रक वाले ने एक्सीडेंट करके तोड़ दिया, मैं और मेरी मां मरते मरते बचे। गोलू,

  राजू को पास के ढाबे पर ले गया और पेट भर खाना खिलाया और कुछ खाना मां के लिए भी बंधवा दिया। उसका पता पूछा ओर कहा, में कल आकर मिलता हु, भोले बाबा कुछ समाधान निकाल देंगे। अगले दिन गोलू भईया राजू के बताए पते पर गया ओर सब कुछ देख समझ कर उसकी नई टापरी बनवा दी ओर जरूरत का सारा सामान भी दिलवा दिया।

गोलू ने जाते जाते राजू को बोला, अब तुम फिर से अपने लिए 2 वक्त की रोटी कमा सकते हो। पर ध्यान रहे, अगर कभी कोई लाचार बेसहारा तुम्हारी दुकान पर आता है तो चंद पेसो के लिए उसे भूखा मत जाने देना। भोलेनाथ ने ये सब कुछ दिया है, आगे भी ओर बहुत कुछ देगा।

समय बीतता गया ओर एक दिन राहुल का तबादला वापिस अपने शहर मे हो गया। एक शाम राहुल बाजार जाते समय एक तेज रफ्तार कार से बचने के लिए जल्दी से सड़क से फुटपाथ पर कूद गया और रेलिंग से टकराकर चोटिल हो गया।

माथे से खून बहता देख एक नौजवान पास आया ओर एक ऑटो वाला भी रुक गया। दोनों ने पकड़ कर ऑटो में बैठाया ओर पास के डाक्टर के पास ले गए। डाक्टर राहुल की ड्रेसिंग कर रहा था  तभी नौजवान ने ऑटो वाले को पैसे देते हुए जाने के लिए बोला, पर ऑटो वाले ने पैसे न लेते हुए बोला, साब को घर पहुंचाने के बाद। ड्रेसिंग के बाद दवा लेकर राहुल बाहर आया

और तीनों फिर ऑटो में बैठ गए। ऑटो वाला बोला, साब, आप का घर किधर है? राहुल बोला, पहले मंदिर जायेंगे, भगवान का शुक्रिया अदा करने। ऑटो वाला झट से बोला, भोले बाबा के मंदिर चलते हैं, पास में है हैं

और बिना जवाब सुने ऑटो चला दिया। मंदिर पहुंच कर राहुल के साथ वो दोनों भी मंदिर के अंदर गए, माथा टेका ओर बाहर आने पर उन्हें पुरषोत्तम जी मिल गए।  राहुल ओर उन दोनों ने पुरषोत्तम जी को नमस्ते किया। राहुल को देखकर पुरषोत्तम जी बोले, ये माथे पर चोट कैसी? राहुल ने सारी आपबीती बताई। फिर पुरषोत्तम जी बोले, राजू, इसे पहचाने हो?

फिर राहुल से बोले, तुम राजू को पहचाते हो? दोनों ने एक दूसरे को पहचानने से इनकार कर दिया। तब पुरषोत्तम जी बोले, राहुल, तुम्हें याद है, जिस दिन तुम भोपाल जा रहे थे, तुम एक बालक को मंदिर की सीढ़ियों पर रोते हुए देख कर गोलू भईया के पास छोड़ गए थे, ये वही लड़का राजू है।

कल तक जो बालक चाय की टपरी लगाता था, आज एक रेस्टोरेंट का मालिक है। पुरषोत्तम जी ऑटो वाले को देखकर बोले, ओर किशन, तुम अपना परिचय खुद दोगे या मैं बताऊं? किशन बोला, राजू भईया, मुझे माफ कर दो, तुम्हारी टपरी को जिस ट्रक ने कुचला था, वो मैं ही चला रहा था। एक्सीडेंट के बाद में वहां से भाग गया था

ओर अपने सेठ जी को जाकर सब बता दिया। गाड़ी में काफी नुकसान हो गया था इसलिए मेरे सेठ ने पुलिस को बुला कर मुझे थाने में बंद करवा दिया।  मेरी पत्नी सेठजी के पास जाकर रोई, हाथ पैर जोड़े, तो सेठ को दया आई और मुझे एक हफ्ते

बाद थाने ले बाहर निकलवाया। बाहर तो मैं आ गया पर सेठ ने मुझे नौकरी पर नहीं लिया। मै काम कि तलाश में दर दर भटकता रहा और बाबा के दरबार तक आ पहुंचा।परेशानी की हालत में मैने भोले बाबा को बहुत बुरा भला कहा, तभी गोलू भईया ने मुझे देखा और सारा माजरा समझा। गोलू भईया बोले, तुम दूसरों की गाड़ी चलाते हो,

इसलिए उसकी कद्र नहीं करते। तुम अपनी गाड़ी चलाओ तब तुम्हें पता चलेगा कि गाडी की रिपेयर कैसे होती हैं । किशन बोला, इतने पैसे नहीं हैं कि खुद की गाड़ी ले सकूं। गोलू भईया बोले, चिंता मत कर, कल इसी समय यही पर मिलना,

भोले बाबा जरूर कोई रास्ता दिखाएंगे। अगले दिन जब मैं आया तो गोलू भईया ने पूछा, ऑटो चलाना आता है? मैंने बोला चला लेता हूं। तब गोलू भईया ने मुझे एक पुराना ई रिक्शा ले कर दिया ओर कहा अगर ध्यान से नहीं चलाएगा तो बार बार खराब होगा और बार बार रिपेयर करवाना पड़ेगा,

इसी लिए नया नहीं लेकर दे रहा हूं। भोले बाबा के आशीर्वाद से उस ई रिक्शा ने मुझे बहुत  कमाकर दिया ओर मैने ये एक  नया ऑटो भी ले लिया है और अब जिन्दगी पहले जैसी नही रही। राजू ओर किशन एक दूसरे का मुंह देखते रहे, और सोचते रहे कि एक्सीडेंट की वजह से राजू की जिन्दगी सुधरी या गुमटी टूटने की वजह से किशन की जिंदगी? 

राहुल, राजू और किशन की इस मुलाक़ात ने तीनो को आपस में एक दूसरे से जोड़ दिया। अब ये तीनो मिलकर अपने स्तर पर ही लोगों की छोटी मोटी सहायता स्ववं हल करने लगे। 

कुछ समय से पुरुषोत्तम जी की सेहत ठीक नहीं रह रही थी, और राहुल की सेवा भावना को देखते हुए पुरुषोत्तम जी ने संस्था की जिम्मेदारी उसे देने का फैसला संस्था के अन्य सदस्यों के सम्मुख रखा जिसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। 

 तीनो राहुल, राजू और किशन इस बात को अच्छी तरह समझ गए थे कि इंसान को वो सब नहीं मिलता जो वोे चाहता है बल्कि वही मिलता है जो उसके लिए उपयुक्त होता है। इसलिए हमारे साथ जो भी होता है वो भगवान की मर्जी से ही होता है, इसके लिए किसी को दोष नहीं देना चाहिए और भोले बाबा पर विश्वास रखना चाहिए। 

पुरुषोत्तम जी से पहले कोई और था, और राहुल के बाद कोई और होगा, बस कर्मो का चक्र तो चलता ही रहता है।

जय भोले बाबा 

वाक्य कहानी प्रतियोगिता

कर्मो का चक्र तो चलता ही रहता है।

रचना

एम पी सिंह 

(Mohindra Singh )

स्वरचित, अप्रकाशित

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