यशिका को शाह ग्रुप से फोन आता है कि उन्हें ये प्रोजेक्ट मिल गया है और दूसरी तरफ रंधावा कंस्ट्रक्शनस को जो कि इतना बड़ा ग्रुप है उनको प्रोजेक्ट नहीं मिलता ।
अब आगे..
शौर्य तेज़ी से गाड़ी ड्राइव करता हुआ आधे घंटे में एक घर के सामने आकर रुकता है गेट पर बड़े बड़े अक्षरों में रंधावा मेंशन लिखा था शौर्य लगातार हॉर्न बजा रहा था गेट अंदर से खुला और शौर्य गाड़ी की स्पीड तेज करते हुए गाड़ी कोअंदर ले गया ….गाड़ी पार्क करके वो उतरा और आगे बढ़
गया सीढ़ियां चढ़ते हुए तेज़ कदमों के साथ शौर्य घर के अंदर दाख़िल हुआ वहां उसने देखा रघुवीर जी और श्याम जी सामने रखे हुए सोफे पर बैठे हुए है और रघुवीर जी की पत्नी कमला जी और श्याम जी की पत्नी नीलिमा दूसरे सोफे पर …. सबने एक साथ दरवाज़े की तरफ देखा और उठ कर खड़े हो गए ….शौर्य उनके पास गया ।
” शौर्य ये सब कैसे हुआ “? श्याम ने पूछा
शौर्य अपने माथे से पसीना पोंछा और “बोला ” पापा समझ में नहीं आ रहा मै खुद बहुत परेशान हूँ ये सब कैसे हो गया “
तभी एक नौकर पानी ले कर आया और पानी शौर्य को देने लगा
“अरे नहीं चाहिए पानी लेकर जाओ इसे ” कहते हुए शौर्य ने पानी के गिलास पर हाथ मारा तो गिलास गिर गया
“शौर्य “कमला ने कहा
शौर्य ने उस नौकर की तरफ देखा जिस पर गिलास का पूरा पानी गिर गया था ….उसने एक पल अपनी आँखें बंद की और फिर तेज कदमों से चलता हुआ ऊपर की अपने कमरे की तरफ चला गया ।
“तुम जाओ ” कमला ने नौकर से कहा
” परेशान है शौर्य इतना बड़ा प्रोजेक्ट चल गया कोई उसे कुछ नहीं कहेगा मै बात करूंगा जब वो थोड़ा शांत होगा “रघुवीर जी ने सोफे पर बैठते हुए कहा
“परेशानी ये नहीं है कि प्रोजेक्ट निकल गया उससे भी ज़्यादा ये है कि निकल कैसे गया ? ” श्याम ने कहा
” हाँ ये बात तो है लेकिन अब बात सोचने की ये है कि शाह ग्रुप इसे पूरा कैसे करेगा ? जहां तक मुझे पता है वो नहीं कर सकता ” रघुवीर जी ने कहा
“हाँ कह तो सही रहे है आप मतलब वो किसी को तो अपने साथ लेंगे जरूर ” श्याम जी ने कहा
” हाँ और हमें देर नहीं करनी चाहिए उनको ऑफर करने में .. और ये ही बात मुझे शौर्य से करनी है ” रघुवीर जी ने कहा
“लेकिन शौर्य मानेगा ?” श्याम जी ने कहा
“अब एक ये ही रास्ता है श्याम कोलैबोरेट करना होगा ” रघुवीर जी ने कहा
“लेकिन बाउजी शौर्य नहीं मानेगा ” इस बार नीलिमा ने कहा
“देखते है जब वो डिनर के लिए आएगा तब उसका मूड देख कर बात करेंगे ” श्याम जी ने कहा
तभी अभिमन्यु अन्दर आ गया उसने रघुवीर जी और श्याम के पैर छुए
” जीते रहो ” रघुवीर जी ने कहा और अभिमन्यु को बैठने का इशारा किया
“शौर्य कहाँ है बाउजी “? उसने पूछा
“वो ऊपर है “
” तुम क्या कहते हो अभिमन्यु क्या करना चाहिए अब “? श्याम ने पूछा
” ये सब कैसे हुआ समझ में नहीं आ रहा शाह ग्रुप में कोई ऐसा भी है जो इस हद तक काबिल है इसका एहसास भी नहीं था हमें .. ये प्रोजेक्ट हमें ही मिलना था ” अभिमन्यु ने कहा
” अब कोलैबोरेशन के अलावा कोई भी रास्ता नहीं है ” रघुवीर जी ने कहा
“लेकिन उसमें नाम शाह ग्रुप का होगा वो ऐसे तो नहीं छोड़ेंगे इतना बड़ा प्रोजेक्ट है और उनके लिए तो ये किसी जैकपॉट से कम नहीं है कहाँ छोटा सा काम करने वाले वो इतने बड़े प्रोजेक्ट को छोड़ेंगे कैसे और कैसे संभालेंगे “? अभिमन्यु ने कहा
“हाँ ये बात तो है कि वो मानेगा नहीं”
श्याम जी ने कहा
“अभी शौर्य से बात करके कोई फायदा नहीं मै चलता हूँ रात को बात करके देखता हूँ” अभिमन्यु ने कहा
” ह्म्म …ये ही ठीक रहेगा ” रघुवीर जी ने कहा
अभिमन्यु ये कह कर चला गया ।
“रंधावा मेंशन ” मुंबई के जुहू बीच से लगा हुआ खूबसूरत बंगला अस्त होता सूरज का जहाँ बेहद खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता था ।
शौर्य अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा हुआ था उसने अपने हाथ से पर्दा हटाया और देखा तो सूरज डूब चुका था और अब थोड़ा अंधेरा हो गया था शौर्य की आँखों में आंसू छलक आए उसने सामने देखते हुए सोचा
“अस्त हो गया मेरा भी सूरज और मेरी जिंदगी में भी अंधेरा हो गया “उसने आंखों को बंद किया और आंसू उसके गाल पर आ गए । शौर्य ने पर्दा वापस से लगा दिया वो बेड पर लेट गया और उसने अपनी आँखें बंद कर ली जैसे वो कुछ देखना ही नहीं चाहता हो ।
मैरीन ड्राइव
देविका टैक्सी से उतरी और उसने
इधर -उधर देखा इस वक्त काफी लोग थे मैरीन ड्राइव पर देविका ने अपना फोन निकाला और यशिका को कॉल कर दिया
” कहाँ हो मेरी जान दिख नहीं रही “
“अरे इधर दूसरे लाइट पोस्ट के पास “
देविका लाइटपोस्ट की तरफ बढ़ गई,…जब वो वहां तक पहुंची तो यशिका ने उसे देख कर हाथ हिलाया देविका ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और ऊपर चढ़ गयी
देविका ने उसे कस कर गले से लगाते हुए कहा ” बधाई मेरी जान तुमने तो कमाल कर दिया ” और उसके गाल को चूम लिया
“अरे मार डालेगी क्या छोड़ो “यशिका ने उसे दूर करते हुए कहा
देविका उसके गले में हाथ डाला और अपने फोन से एक पिक लेते हुए बोली
“ये पिक हमारी प्यारी से यशिका की कामयाबी के लिए “
यशिका हंस पड़ी और देविका ने फिर उसे एक बार चूम लिया
“अरे क्या कर रही है कोई देखेगा तो क्या कहेगा “
“कोई नहीं देख रहा सब अपने में मगन है “
“अच्छा सुन गुन्नू आ रही है परसों “
“क्या सच में ? कैसे ? घूमने “?
“नहीं उसकी जॉब लग गई है डीटेल्स भेजी है उसने अभी देखी नहीं मैने “
“ये तो बहुत बढ़िया बात है अब हम तीनों मिल कर खूब घूमेंगे एंजॉय करेंगे “
“ह्म्म आज का दिन बहुत अच्छा है ” यशिका ने ये कह कर देविका के सिर पर अपना कंधा रखा दिया
देविका यशिका को ग्रेजुएशन के लास्ट ईयर में मिली थी ऐसे ही एक दिन क्लास देने के बाद यशिका जब ब्रेक में कैफेटेरिया में बैठी थी तभी उसकी एक दोस्त ने देविका से उसको मिलवाया था
दोनों ने बात की तो पता चला देविका यशिका के घर के पास ही रहती है दोनों को साथ मिल गया साथ में आना जान हुआ तो जिस दोस्त ने इन दोनों को मिलवाया था वो तो छूट गई लेकिन इन दोनों की दोस्ती मजबूत होती चली गई
दोनों को जॉब भी मुंबई में मिल गई दोस्त और गहरी हो गई
यशिका और देविका दोनों मैरीन बीच से खाने के लिए एक रेस्टुरेंट में गए और वहाँ से वो यशिका के साथ उसके ही घर आ गयी ।
अभिमन्यु ने शौर्य को रात में फोन किया फोन की आवाज से शौर्य की आंख खुली उसने इधर उधर देखा तो फोन उसके बेड के किनारे पर था उसने हाथ बढ़ा कर फोन देखा और बोला “
” हाँ अभी क्या हुआ “?
“तू ठीक तो है मुझे तो लगा निकल लिया ऊपर “
“बकवास बंद करोगे तुम ?”
“अरे चिल कर होता है ये सब …हम कुछ ना कुछ सोच लेंगे “
“ह्म्म”
“अच्छा चलना है कहीं मै आ जाऊँ “?
“हाँ “
“ठीक है तू रेडी हो मै आ जाता हूँ ” कह कर अभिमन्यु ने फोन रख दिया
अभिमन्यु और शौर्य क्लास मेट होने के साथ साथ बिजनेस पार्टनर भी थे शौर्य ने और उसने क्लास 12th आने तक डिसाइड कर लिया था कि दोनों एम.बी.ए.करेंगे और दोनों पार्टनरशिप करेंगे …. अभिमन्यु का अपना भी गारमेंट्स का बड़ा बिजनेस था और इंडिया का जाना माना ब्रैंड था लेकिन उसे कंस्ट्रक्शन में ज्यादा इंटरेस्ट था इसलिए अभिमन्यु के पापा सिद्दार्थ सिंह ने उसे शौर्य के साथ बिजनेस करने के लिए बोल दिया था और साथ में ये भी कह दिया था कि वो जब चाहे हमें ज्वाइन कर सकता है ।
इन दोनों की वजह से दोनों परिवार एक दूसरे को अच्छे से जानते थे और आना जाना भी बहुत था ।
क्रमशः