विश्वासघात – उमा वर्मा

अजी सुनती हो,शोभा का रिश्ता तय करके आया हूँ “राघव जी ने पसीना पोछते हुए अपनी पत्नी गीता को पुकार कर कहा ।”कहाँ तय कर दिया? कुछ बताया भी नहीं “गीता अचानक खुशी से अकबका गई ।”अरे वो शुक्ला जी हैं न,

रामपुर वाले,उन्ही का बेटा है श्याम उसी से बिना लेनदेन के बात पक्की हो गई है “।बहुत भले मानुष है।—शुक्ला जी राघव जी के बचपन के दोस्त थे ।एक ही गांव के ।साथ पढ़े लिखे।और नौकरी पर फिर दूर हो गये ।फेसबुक के जरिए फिर नजदीकी बढ़ती गई ।और आज शोभा का रिश्ता भी तय हो

गया ।गीता बहुत खुश थी आज।शोभा देखने में सुन्दर थी और हर विधा में पारंगत भी ।शुक्ला जी का बेटा श्याम अपने माता पिता का इकलौता बेटा ।थोड़ा बिगड़ैल भी ।शुक्ला जी ने बहुत कुछ अपने पुत्र का छिपा लिया था ।

सोचा कि शादी हो जायेगी तो अपने आप सुधार हो जायेगा ।शुक्ला जी की पत्नी भी तेज तर्रार ।शुक्ला जी दो भाई थे ।सो बड़े भैया से लड़झगड़ कर अपना हिस्सा अलग करके अलग रहने लगे थे ।बड़े भाई की बेटी सुनीता और श्याम मे बहुत पटती थी ।

सुनीता भी अपने ससुराल में खुश थी।श्याम की शादी पर आने की तैयारी होने लगी उसकी ।समय पर पूरी तैयारी हो गई ।नयी बहू के लिए कपड़े और कान के झुमके भी रखा गया ।चाचा चाची के लिए कपड़े वगैरह रख लिया ।शादी में जा रही है तो थोड़ा तैयारी तो होना ही चाहिए ।

टिकट हो गया ।अचानक सासूमा की तबियत खराब होने लगी ।अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा उनको ।अब कैसे जाये? एक तरफ सासूमा की तबियत की चिंता, एकतरफ शादी में न जा पाने से मन मे मलाल भी ।

जाना कैन्सिल हो गया ।फिर समय भागता रहा ।अपनी गृहस्थी में समय भी कहाँ मिल पाता है ।श्याम की शादी हो गई ।शोभा दुलहन बन कर आ गई ।शादी के जोड़े में पति का इन्तजार करती रही शोभा ।रात के दो बजे नशे में धुत पति लौटा।

शोभा डर गई ।मायके में कभी किसी को शराब पीने की आदत नहीं थी ।पति से सवाल किया “इतनी देर लगा दी? कहाँ चले गये थे? “”मैं कहीं भी जाउँ तुम पूछने वाली कौन?  अब तुम को मेरे हिसाब से चलना होगा ।और सुनो, यह गहने कपड़े उतारो मेरे पास आ जाओ”

पति के मुँह से शराब की बदबू शोभा बर्दाश्त नहीं कर पायी ।दूर हट गई ।तभी पति का झन्नाटेदार थप्पड़ गाल पर पड़ा ।”साली , दूर भागेगी हमसे? “पहली रात, ऐसा ही था शोभा का सुहागरात ।फिर तो रोज रोज का यही दस्तूर बन गया था ।

शोभा फिर भी सुबह तड़के उठकर सब काम निबटाती ।खाना बनाती ।सबको समय पर देती ।झाड़ू पोछा निबटाती ।बरतन धोती।बहुत थक कर चूर हो जाती ।एक दिन सास से कहा “अम्मा जी कोई काम वाली मिले तो ठीक था”सुनते हो भड़क गई सास

“हम इतने अमीर नहीं है “बाप को देख सुन कर शादी करना चाहिए था बेटी का ” ।फिर शोभा ने अपना मुंह सी लिया ।मायके में अम्मा का दिया हुआ संस्कार था” बेटा, बड़ो का आदर सम्मान करना ।मुँह मत खोलना कभी ” ।और शोभा ने एकदम मौन धारण कर लिया ।बस मशीन की तरह लग गई ।

रात में पति के आगे बिछ जाने का हुक्म भी था।वैसे तो बात बेबात कभी भी पति का हाथ उठ जाना अब रोज का नियम बन गया था ।अपने घर की बात मायके में कह कर माता पिता को दुखी भी नहीं करना चाहती थी ।सोचती कभी तो सुधार होगा ।

वह अपने को नार्मल बनाए रखती ।लेकिन आखिर तो आदमी थी ।कभी सहन शक्ति जवाब दे देती तो थोड़ा बहुत बोल देती।घर में अक्सर झगड़ा बढ़ता ।काफी दिन बीत गए ।राखी का त्योहार आ रहा है ।सुनीता इस बार अपने भाई को राखी बांधने जरूर जायेगी ।मन ही मन गुनगुनाते हुए

सुनीता जाने की तैयारी कर रही थी ।पति ने बहुत समझाया कि “छोड़ो भाई भी तो नहीं पूछता है ” पर वह टस से मस नहीं हुई ।शोभा की तारीफ सुन सुन कर एक बार उससे मिलने का मन हो रहा था ।

मन मे खुशियों की आमद हो रही थी कि शोभा की मृत्यु का समाचार मिला ।”कैसे हो गया? कब हुआ? “के प्रश्नों से उलझती अपनी माँ को फोन लगाया तो माँ ने जो बताया, सुनकर सुनीता अवाक रह गई ।” ऐसा भी हो सकता है? ” माँ ने बताया कि रोज रोज झगड़ा होता था तो शोभा भी अब बोलने

लगी थी ।एक रात सोते हुए में शोभा को बोरे में बन्द करके पीट पीट कर मार डाला गया और हल्ला मचा कि पागल हो गई थी ।पागल पने में रात को न जाने कहाँ घर से भाग गई ।सुनीता यह सब सुनकर बहुत दुखी थी।माँ से तो सुना था कि शोभा बहुत अच्छी लड़की है।फिर पागल कैसे हो गई?

श्याम के बारे में तो मालूम ही था कि बहुत बिगड़ैल बेटा हैं ।उधर राघव जी और गीता का भी रो रो कर बुरा हाल था ।कैसा विश्वास घात  किया था उन लोगों ने ।बचपन के दोस्त थे ।तिलक दहेज न लेने का बहाना बनाकर छल किया ।

हमारी तो बेटी चली गई ।समय रफ्तार से भाग रहा था ।पैसे देकर मामला सुलझ गया था।अगले साल सुनीता को शादी का कार्ड मिला ।श्याम की फिर शादी हो रही है ।लेकिन अब सुनीता के मन में जाने का कोई उत्साह नहीं है ।अम्मा से ही मालूम होता रहा कि श्याम की शादी हो गई ।लड़की सुन्दरता के

साथ दहेज भी पूरा लेकर आयी थी।तो पैसे के घमंड में सास ससुर की खूब बेइज्जती कर देती।और श्याम तो एकदम सीधा हो गया था ।नयी बहू अपने दहेज में मिला हुआ सामान अपने कमरे में रख बन्द कर दिया था ।सास ससुर को किसी चीज को छूने की इजाजत नहीं है।श्याम भी चुप हो गया है ।

काम धाम करने में कभी उसका मन लगा ही नहीं ।दिन भर शराब में डूबा रहता है ।माता पिता को समय पर खाना भी नसीब नहीं हो रहा है ।घर का सबकुछ पलट गया ।सुनीता को यह सब सुनकर अच्छा लगता है ।ठीक हुआ ।किसी कन्या के पिता के साथ किया गया विश्वास घात की यही सजा होनी

चाहिए ।सुनीता ने उधर से अपना ध्यान हटा दिया है ।अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत व्यस्त हो गयी सुनीता ।बेटा आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहा है ।उसी की तैयारी कर रही है वह।सब तैयारी करके थोड़ा सुस्ताने बैठी तो

आफिस से पति का फोन आया “सुनीता, तुम्हारे श्याम भैया को रात में किसी ने गोली मार दिया है “अभी अभी खबर मिली है ।रात में खूब शराब के नशे में किसी से झगड़ा हो गया था और फिर गुंडो ने चादर में लपेट कर खूब मारा और बाद में गोली मार दिया ।

“ठीक हुआ ।झूठ बोल कर , दहेज न लेने का ढोंग कर किसी मित्र के साथ किया गया विश्वास घात की यही सजा होनी चाहिए ।”किसी की बेटी को झूठ मूठ का पागलपन मे भाग जाने का तोहमत लगाने की सजा तो होनी ही चाहिए ।पता नहीं क्यों सुनीता को अच्छा लगा।बुरे कर्म का बुरा नतीजा ।वह अपने बेटे के जाने की तैयारी में लग गई ।

—-उमा वर्मा ।राँची ।झारखंड ।स्वरचित ।मौलिक ।

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