आज कई वर्षों के बाद शोभित अपने गांव वापस आया। बी-टेक करने के बाद बैंगलोर में एक कंपनी में जॉब लग जाने के बाद से ही वह बैंगलोर में ही था।बस से उतरकर वह गांव जाने के लिए टैक्सी का इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद टैक्सी उसके पास आकर खड़ी हो गई।अरे शोभित भइया आप कब आए टैक्सी चालक बल्लू बोला। अभी उतरा हूं बस से आओ बैठो फिर। बल्लू बोला हां भाई चलो जल्दी ।शोभित टैक्सी में बैठते हुए बोला।
टैक्सी गांव की पगडंडी पर ढचर-मचर करते हुए आगे बढ़ी।बल्लू भाई ये फार्महाउस तो रघुनाथ चाचा का है। इसकी ये क्या हालत हो गई कोई देखभाल नहीं करता है क्या? शोभित ने दूर से दिखाई दिए फार्महाउस को देखकर बल्लू से पूछा।
तभी किसी की आवाज उसके कानों में पड़ी ।कोई औरत जैसे कह रही हो ।मुझे बाहर निकालो अरे रुको बल्लू लगता है उस फार्महाउस में कोई औरत बंद है शायद। शोभित बोला बिना कुछ बोले बल्लू ने गाड़ी की रफ्तार और तेज़ कर दी थी।
फिर बोला शोभित भाई इस फार्महाउस में कोई चुड़ैल रहती है।इस तरह की आवाज़ें आती रहती है।गांवालों ने तो अब रास्ता ही बदल लिया।लो आ गया आपका घर। हुम्म कुछ थकान भरे शब्दों में शोभित ने सिर हिलाया।
फिर अपना सामान उठाकर घर के अंदर अम्मा-बापू,अम्मा कहा हो कहता हुआ सीधे मां से लिपट गया। मां ने बड़े लाड़-प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। बेटा इतने-इतने दिनों तक अपने मां से दूर कोई रहता है क्या।
और रोते-रोते उसके लिए पानी लेकर आई ।अम्मा अब रोना बंद करों। अब गया हूं न शोभित मां के आंसू पोंछते हुए बोला व बापूजी के गले लग गया। काफी थकान होने के बाद भी उसे नींद नहीं आ रही थी रात काफी हो गई थी ।लेकिन उसके कानों में बार बार उस औरत की आवाज आ रही थी।
मानो वह उसे बार-बार दरवाजा खोलने के लिए कह रही थी। उसने बापूजी से रघुनाथ और उनके परिवार के बारे में पूछा तो पता चला कि रघुनाथ के खत्म होने पर लड़के विदेश में ही रहने लगे और उनकी मां का तो कुछ अता पता नहीं है ।कोई कहता है वह बेटों के साथ चली गई कोई कहता है
वह मर गई। सुबह होते ही शोभित बिना किसी को कुछ बताएं चुपचाप फार्महाउस की तरफ़ चल दिया। वहां पहुंच कर वह खिड़की पर चढ़कर ऊपर रोशनदान से झांकने की कोशिश करने लगा। मन कुछ डर भी रहा था
कि सच में इसके अंदर चुड़ैल हुई तो। लेकिन अपने आप पर काबू रखकर वह झांककर देखने लगा। देखकर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। जिसे लोग चुड़ैल कहते थे वह तो रघुनाथ जी की बीवी शोभा चाची थी इतनी मलिन दशा देखकर उसका दिल भर आया।
वह नीचे उतरा और पत्थर से दरवाजा खोला ।सामने शोभा चाची बेहोश पड़ी थी। उनकी ऐसी दशा देख उसका दिल भर आया।वह जैसे तैसे करके उन्हें गांव लेकर आया गांव वालों की मदद से वह उन्हें अपने घर लाया।पानी के छीटें जैसे ही उनके चेहरे पर डालें वह बड़बड़ाने लगी
मुझे बाहर निकालो शोभित बोला चाची आप बाहर ही है और अपने ही घर में है ऐसा सुनकर वह इधर-उधर देखने लगी कुछ लोगों को पहचानने की कोशिश की फिर शोभित से लिपट कर रोने लगी शोभित ने उन्हें खाना खिलाया
और फिर उनका हालचाल पूछा तो पता चला कि उनके बेटे बहु उन्हें अपने साथ नहीं ले जाना चाहते थे ।इसलिए उन्हें उसी में बंद कर दिया। बेटा आज तुम्हारी मानवता ने किसी की जान जाने से बचा लिया सभी गांव वालों को भी शोभित के मानवता के कार्य पर गर्व महसूस हो रहा था।
निमिषा गोस्वामी
कालपी जिला जालौन उत्तर प्रदेश
मौलिक एवं स्वरचित