वैभव,वैभव कहते हुए माँ नें वैभव के कमरा मे प्रवेशकिया। बोलो माँ कुछ काम है क्या?तुम्हारी सारी तैयारी हो गईं?तो जाओ अब जाकर सो जाओ।कल सुबह पांच बजे के बस से चलेंगे तो समय पर भोपाल पहुंच सकेंगे और फ्लाइट पकड़ पाएंगे।
सुबह जल्दी उठना पड़ेगा वैभव नें कहा।हाँ सोने ही जा रही थी पर कुछ काम याद आ गया माँ नें कहा। बोलो क्या काम है? तुमसे नहीं बहू से काम है माँ नें वैभव के सवाल का जबाब दिया। विजया तो वाशरूम मे है। जैसे ही निकलती है मै तुम्हारे कमरा मे भेज देता हूँ।
तब तक तुम जाकर आराम करो।वैभव नें माँ को बताया।ठीक है जाती हूँ पर याद करके भेज देना कहकर माँ चली गईं। थोड़ी देर बाद विजया अपनी सास के कमरे मे जाकर पूछी क्या बात है माँ कुछ और सामान रखना है क्या? नहीं बहू सब ठीक है।तो आपने मुझे क्यों बुलाया?
तुम्हे कुछ रखने को देना है।क्या माँ?देखो बहू यह मेरे और तुम्हारे दादी सास के तथा कुछ और खानदानी पुराने सोने और चांदी के गहने है। तुम इसे अच्छे से जब तक मै नहीं आऊं संभाल कर रखना।यदि ऑपरेशन होते वक़्त मै मर जाऊ तो दोनों जेठानी देवरानी आपस मे बाँट लेना।
ऐसा क्यों कहती हो माँ, आपको कुछ नहीं होगा।आपको कोई कष्ट नहीं हो इसीलिए ना आपको भैया के पास इलाज के लिए पूना भेज रहे है। पूना बड़ा शहर है वहाँ आपका पथरी का ऑपरेशन बड़े अच्छे से हो जाएगा।आप जब आओगी तो मै इसे आपको दे दूंगी।
फिर आपकी जो मर्जी सो करना ।विजया नें सास को समझाते हुए कहा।दूसरे दिन वैभव अपनी माँ को लेकर पूना चला गया।उससे गहनो के बारे मे किसी नें नहीं बताया।वहाँउसकी माँ की पथरी काऑपरेशन हुआ,जो सफल रहा।
वैभव फिर अपने घर चला आया। देखते देखते तीन महीना बीत गया। जब वैभव की माँ घर आने को बेचैन हो गईं तब उनके बड़े बेटे बहू उन्हें वैभव के पास लेकर आये।दो चार दिन रहने के बाद जब उनके जाने का समय नजदीक आया तो माँ नें एकदिन बड़ी बहू को बुलाकर कहा
कि बहू अब मेरा शरीर बीमार का शरीर बन गया है।मै चाहती हूँ कि मेरे पास जो गहने है वह तुम दोनों बहूओ मे जीते जी बाँट दूँ। माँ आप ऐसा क्यों कह रही है अभी तो आपको बहुत दिन जीना है। पोता पोती का विवाह करना है परपोता खिलाना है। आप रहने दो।
मै गहने पूना ले जाकर क्या करूंगी। शादी विवाह तो सभी का यही से होना है।नाते रिश्तेदार यही है।मुझे जब पहननी होंगी तब मै आपसे माँग लुंगी।बड़ी बहू नें बात समाप्त करनी चाही।वो तुम सही कह रही हो पर मुझे तो जिसकी अमानत है उसे सौंप देनी चाहिए?
उसके बाद तुम दोनों जानो कि इसे किसे कहाँ रखना है।बीमारी के बाद उनके मन मे यह डर पैदा हो गया था कि पता नहीं कब मर जाउंगी। फिर गहना को लेकर दोनों बहू मे किसी तरह का विवाद ना होने लगे।यह सोचकर वे दोनों को गहने बाँट देना चाहती थी।
बड़ी बहू चुपचाप उनके सामने ख़डी रही। अब सास को जो करने का मन है वह तो करेगी ही।फिर सास नें छोटी बहू को बुलाया और कहा बहू वे गहने लेकर आओ जो मैंने तुम्हे पूना जाते वक़्त दिया था।
इधर छोटी बहू के मन मे तो गहनो का लोभ आ गया था।इसलिए उसने कहा कैसे गहने माँ? आपने मुझे कब दिया? आप शायद भूल रही है। ऐसा तो कुछ नहीं हुआ था। क्या कह रही हो बहू मैंने तुम्हे गहने रखने को दिए नहीं थे? नहीं माँ आपने मुझे कोई गहना नहीं दिया।
आप अपनी पेटी मे देखिए,उसी मे होगा।मै तो आपके गहनो के विषय मे कुछ नहीं जानती। छोटी बहू नें साफ मुँह पर झूठ बोल दिया। इस बात पर दोनों सास बहू मे बहस होने की नौबत आते देख बड़ी बहू नें बीच बचाव करते हुए कहा माँ रहने दीजिए,
आप अभी बीमार है आपके ठीक होने पर इसे देखा जाएगा।आपको भी याद आ जाएगा कि आपने गहने कहाँ रखे है। यह सुनते ही वे बड़ी बहू पर गुस्सा होते हुए बोली तुम्हे क्या लग रहा है मै बीमार हूँ तो पागल हो गईं हूँ। मुझे अच्छी तरह से पता है कि मैंने गहने इसे ही दिया है,
जो अब यह मुझे देना नहीं चाहती। यह सब अपने पास रखना चाहती है जो मै होने नहीं दूंगी,क्योंकि उसपर तुम्हारा भी अधिकार है।बात बिगड़ते देखकर बड़ी बहू नें कहा रहने दो माँ, मुझे नहीं चाहिए।वैसे भी इसने रख ही लिया है तो क्या हुआ,गहनो पर बहूओ का अधिकार होता है।
मुझे तो बेटा है नहीं, इसके पास रहेगा तो इसकी बहू को मिल जाएगा।छोटी बहू नें आपत्ति व्यक्त की तो उसे बड़ी बहू नें समझाया तुम ही मान लो ना।माँ की बेकार मे तबियत खराब हो जाएगी तो फिर इनके बेटों से हमे बातें सुननी पड़ेगी।
ठीक है दीदी आप कहती है तो मै चुप लगा जाती हूँ, पर माँ मुझपर चोरी का इल्जाम लगा रही है। छोटी बहू नें बड़ी बहू पर एहसान जताते हुए कहा, पर मन ही मन खुश थी कि दीदी को माँ की बात पर विश्वास नहीं हो रहा, अब तो सारे गहने मेरे हो गए।
अरे कुछ नहीं माँ बीमार है इनकी बात का क्या बुरा मानना बड़ी बहू नें छोटी को समझाकर बात समाप्त करनी चाही, पर सास नें कहा छोटी बहू याद रखना मैंने तुम पर विश्वास करके गहने रखने को दिया था पर तुमने मेरे साथ विश्वासघात किया है।
तुम उन सारे गहनो को खुद रखना चाहती हो जिसपर की तुम्हारी जेठानी का भी अधिकार है,पर मेरी बात याद रखना भाई से बेईमानी करने वाला कभी सुखी नहीं रहता। फिर बड़ी बहू से कहा बहू तुम अपने साथ मेरा भी टिकट कटवा लो मै अब इसके साथ नहीं रह सकती हूँ।
ठीक है माँ आप जैसा चाहेंगी वैसा ही होगा कहकर बड़ी बहू नें मुद्दे को समाप्त कर दिया। वर्ष पर वर्ष बीतते गए पर सास के मन से गहनो का शोक नहीं मिटा। वैभव बार बार घर चलने को कहता ही रह गया पर उसकी माँ पूना से वापस नहीं आई और नाही बड़े बेटा बहू को ही वहाँ जाने दिया।
वे समझ नहीं पाए कि माँ ऐसा क्यों कर रही है,पर गहनो की बात सिर्फ तीनो सास बहू के बीच मे ही रहा।सास की मृत्यु हो गईं। उनके मरने के कुछ ही दिनों बाद विजया के दोनों बच्चो का स्कूल बस के किसी ट्रक से टकरा जाने के कारण भीषण एक्सीडेंट हो गया।एक बेटा तो तुरंत ही मर गया
और दूसरा बेटा महीनो अस्पताल मे मौत से लडता रहा।उसके इलाज मे सारे पैसे खत्म हो गए। बड़े भाई नें भी काफ़ी मदद की पर अब उनके पास भी पैसे समाप्त हो गए थे तब एक दिन विजया नें उन गहनो को निकाल कर वैभव को देते हुए कहा
कि इन्हे बेच दीजिए और दवा लाइए। गहनो को देखकर वैभव नें कहा कि यह किसके गहने है? तुम्हारे तो नहीं है।तब बड़ी बहू नें कहा कि कही यह गहने माँ के तो नहीं है?मै देखु तो।गहना देखते ही वह उन्हें पहचान गईं।
उसने विजया से कहा यानि कि माँ सही कह रही थी। मै सोच रही थी कि शायद माँ उसे अपने साथ ला रही थी और वे बस मे या फ्लाइट मे छुट्ट गया। पर माँ सही कह रही थी। गहना उन्होंने तुम्हे ही रखने को दिया था।ओह्ह तुमने यह क्या किया थोड़े से गहनो के लिए माँ की आह ले ली।
फिर वह माँ की तस्वीर के पास गईं और बोली माँ इसे माफ़ कर दो।यह इसका बेटा है तो आपका पोता भी है उसे अब कष्ट नहीं दो।कुछ गहनो को बेच दिया गया और बच्चे का इलाज उनसे हुआ फिर बच्चा के स्वास्थ्य मे दिनों दिन सुधार होने लगाऔर बच्चा पूर्णतःठीक हो गया।
बच्चा तो ठीक हो गया पर सारी बातो को जानने के बाद विजया अपने पति,जेठ जेठानी और बच्चो की नजर से गिर गईं। थोड़े से लोभ के कारण उसने एक बेटा भी खो दिया
विषय — विश्वासघात
लेखिका —लतिका पल्लवी