विश्वासघात – रीतू गुप्ता : Moral Stories in Hindi

टी.वी. के हर चैनल पर कैप्टन रूद्र प्रताप की बहादुरी की ख़बरें छाई हुई थी ।

कैप्टन रूद्र और उनकी टीम ने जान की परवाह किये बिना चार आंतकवादी मार गिराए…

इतना ही नहीं सभी बंधी बनाये लोगो को सुरक्षित लेकर आये …

कैप्टन फिर अकेले भीड़ गए आंतकियों से ..

कैप्टन ने फिर निभाया अपना वायदा … सभी साथी सुरक्षित …..

हर और कैप्टन रूद्र .. कैप्टन रूद्र ही थे .. 

मिल्टरी कैंटीन का दृश्य ..

मानव – “कैप्टन हर और आपके ही चर्चे हो रहे है, 

छाये हुए हो आज तो आप।”

अरे नहीं मानव .. मीडिया वाले ऐसे ही चढ़ा देते है.. तुम सब के बिना ये मुमकिन नहीं था।

मेजर राहुल .. “जवान, मीडिया वाले ऐसे ही नहीं चढ़ाते हर किसी को …. तुम्हारी अच्छी लीडरशिप का फल है।”

जय हिन्द सर !

जय हिन्द जवानो।

“मुबारक आपको और आपकी टीम को .. क्या मजा चखाया है दुश्मन को।  

चला था सुसाइड बम बनाने ..

आप जैसे वीरों के होते हुए भारत का बाल भी बांका नहीं हो सकता ।”

कैप्टन आपने भारत में ही नहीं, पाकिस्तान में भी सनसनी फैला दी है ।

वैसे शाम को क्या कर रहे हो कैप्टन … शाम को डिनर पे आओ। …

सर वो .. 

सर वो .. शाम को …

हां बोलो कहीं और का प्लान है।

रूद्र शर्माता है ..

मानव – .सर , छोटा मुँह बड़ी बात ..

कैप्टन को मिलने जाना है किसी स्पेशल से..

मेजर- ओह हो .. कौन है वो …

वही श्यामली सर .. जिनका जिहादियों से रेस्क्यू किया था .. सर ने..

जब से उसे देखा है … कैप्टन दिल हार बैठे है।

मेजर – ओह गुड, पर मेजर संभल कर .. दुश्मन के पहले निशाने पर हो तुम … तो पहले पूरी इन्क्वायरी कर लेना … 

वो सब कर के बैठे है सर ..

रूद्र – मानव…. .. चुप कर यार। 

सर की तरफ से सब तैयारी है .. उसी की हाँ बाकी है….

मेजर .- गुड 

कभी मिलवाओ.. हमसे भी,

ऐसा करो इस संडे घर पे पार्टी रखते है.. श्यामली को भी ले आओ।

जी कोशिश करता हूँ।

शाम को रूद्र श्यामली से मिलने जाता है …

मन ही मन सोचते हुए .. 

उस दिन कितना डरी हुई थी। एक दम सहमी सहमी सी रहती थी। जैसे ही मैंने उसे उस दरिन्दे से छुड़वाया मुझसे लिपट गयी थी ..

उसके बाद सिवाए मेरे किसी की बात नहीं सुनती थी ..

कैंप में भी मेरे कहने पर ही खाना खाती .. मेरे ही कहने से दवाई लेती थी।

मुझे अपना भगवान मानती .. 

हमेशा कहती… तुम ना होते तो मेरा क्या होता?

धीरे धीरे वो ठीक होने लगी ..

और आज एक स्कूल में अध्यापक है .. सभी बच्चे, टीचर्स हमेशा खुश रहते है उससे।

जादू सा है उसमें.. जो हर किसी को अपनी और खींच लेता है। 

तभी श्यामली का हॉस्टल आ गया …

रूद्र ने हॉर्न बजाया।

हॉर्न सुनते ही श्यामली हॉस्टल से बाहर आ गई। 

रूद्र ने गाड़ी में बैठने का इशारा किया और बोले मेरे साथ चलोगी संडे को…

 मेजर सर के यहाँ पार्टी है तुम्हे भी आना है…

श्यामली- पर मैं वहां क्या करुँगी?

चलो न यार .. मेरे साथ रहना … प्लीज ।

श्यामली- ओके ओके .. 

संडे शाम को रूद्र श्यामली को लेने आता है। 

काले गाउन में श्यामली बेहद खूबसूरत लग रही थी..

रूद्र तो जैसे थम सा गया ..

श्यामली- कैप्टन कहाँ खो गए आप… चलना नहीं है क्या …यही रात गुजारने का इरादा है क्या ….. 

रूद्र- ओह..हाँ… 

वैसे बेइंतहा खूबसूरत लग रही हो।

श्यामली .. शुक्रिया …

जी चाहता है .. तुम्हे हमेशा के लिए अपना बना लूँ 

बनोगी मेरी ….

श्यामली- कैप्टन .. मैं कहाँ … आप कहाँ ..

आपका मेरा कोई मेल नहीं 

 मेरे बारे में सब पता होते हुए भी आप … ऐसे कह रहे हो ..

हां श्यामली, मैं पुरे होशोहवास में कह रहा हूँ ..भारत माँ मेरा पहला प्यार है और तुम दूसरा …

श्यामली शरमाते हुए …  

इतने में मेजर का घर आ जाता है .. सब श्यामली से मिलकर बेहद खुश होते है।  

डिनर लगभग समापत हो जाता है ।

मेजर – रूद्र ..आगे आओ और कहो … 

सर क्या कहूं

अरे अपने दिल की बात कहो … 

सर …..

 यह मेरा आर्डर है … रूद्र। 

जी सर ..

घुटनो के बल आकर ….

श्यामली .. क्या तुम मुझसे शादी करोगी …

श्यामली एक दम सी हैरान ….

रूद्र, तुम यह क्या कर रहे हो …

श्यामली .. मुझसे और इंतज़ार नहीं होता 

आज बस हाँ या ना …

जो भी तुम्हारा फैसला होगा … मुझे मंजूर होगा 

तुम्हारी हाँ होगी तो तुम्हारा साथ जीवन भर निबाहुंगा 

ना होगी तो कभी तुम्हारे सामने नहीं आऊंगा। 

शयामली .. उसके होंठो पे हाथ रखते हुए.. तुम्हारे बिना मैं अधूरी हुं रूद्र, 

मेरा कोई वजूद नहीं.. 

 मेरी हाँ है …

सब और तालियां बजती है ।

1सप्ताह में ही दोनों की शादी हो जाती है ।

श्यामली तुम्हारे आने से मकान घर बन गया है ..

शुक्रिया … 

शादी के 1 साल बाद टी.वी पर न्यूज़ … 

कैप्टन रूद्र की यह तीसरी नाकामयाबी है .. 

क्या रूद्र पहले जैसे जांबाज नहीं रहे … 

कहाँ गयी उनकी बड़ी बड़ी बातें ..

देश से बढ़ कर कुछ नहीं …

 रूद्र की टीम और मेजर आज फिर इकट्ठे हुए है …

मेजर – “रूद्र, लगता है कोई गद्दारी कर रहा है .. हमारे सारे प्लान लीक कर रहा है .. तभी तो बार बार हार हो रही है ।”

रूद्र -“जी सर मुझे भी लग रहा है

और मैंने इस पर काम शुरू कर दिया है … 

जो भी गद्दार हुआ उसे छोड़ूगा नहीं मैं ।”

कुछ देर बाद…

कैप्टन भेष बदल अपने खबरी से मिलने जाता है ।

वहां सामने के घर पे उसे बुर्के में एक जानी पहचानी सी लड़की किसी से बात करते हुए दिखती है।

वो एक पेन ड्राइव उस आदमी को देती है ।

कैप्टन .. उसके हाथ की अँगूठी देख कर .. 

अरे श्यामली क्या कर रही यहाँ??

वो उसे आवाज देने ही वाला होता है कि खबरी आ जाता है ..

 रूद्र- बुर्के वाली मैडम को जानते हो क्या?

खबरी – सर, जानता तो नहीं ,पर यह तो रोज शादाब से मिलने आती है।

क्यों ?

पता नहीं सर …

पर जब से यह मिलने आने लगी है 

सामने शदाब के हाथों तो मानो कुबेर का खजाना लग गया हो। चंद महीनों में अमीर हो गया है।

रूद्र- अच्छा ..

मुझे इन दोंनो की पुरी डिटेल्स चाहिए। 

एकञपेपर देते हुए.. इनकी भी..

खबरी- जी सर, हो जाएगा ।

रूद्र .. वहां से घर जाता है .. देखता है लॉक है …

वही बाहर बरामदे में बैठ श्यामली का इंतज़ार करता है। 

1 घंटे बाद ..

रूद्र को देख .. श्यामली हैरान होकर …

अरे, आज आप जल्दी आ गये।

रूद्र .. हां, सर दर्द हो रहा है .. 

तुम कहाँ गयी थी …

सहेली के घर..

रूद्र – [(मन में) झूठ क्यों बोल रही है। कहीं मुझ से विश्वासघात तो नहीं कर रही ।

नहीं, मेरी शयामली ऐसा कर ही नहीं सकती।]

रूद्र- कौन सी सहेली …

मीना..

मीना कौन…

वो जो मानव की शादी में मिली थी। 

क्या हुआ .. आप ऐसे बार बार क्युं पूछ रहे हो 

कोई बात है क्या..

अरे नहीं, बस तुम्हारी चिंता होती है। 

मेरी वजह से तुम्हारी जान को भी खतरा है।

तुम टेंशन ना लो… कैप्टन की बीवी हूं.. किसी से नहीं डरती।

रुद्र- ओ! मेरी शेरनी।

खबरी का फोन बजता है।

उसकी बातों से रूद्र चौंक जाता है..

खबरी- आपसे मिलना.. सब प्लान था..

जब जब यहां यहां आपने रेड मारी .. श्यामली व शादाब का फोन वहां वहां ट्रेस हुआ है सर।

श्यामली की कॉल लाॅग देख रुद्र हैरान हो गया.. 

ये मेरी श्यामली नहीं हो सकती ..

इतना बड़ा विश्वासघात.. वो भी मेरे साथ… नहीं मैं इसे छोड़ूगा नहीं। 

रुद्र श्यामली को रंगे हाथो पकडने के लिए एक फेक प्लान तैयार करता है। 

श्यामली – फिर कोई रेड है क्या? 

रुद्र- हाँ 

कहां ?

.पूंछ के पास .. पता लगा है वहां कुछ घुसपैठिए बैठे है कल उन्हें ही खदेड़ना है। 

तो कब रेड करनी है? 

कल सुबह ..

कल ही …….यूं अचानक ।

हाँ, जैसे खबर मिली वैसे ही प्लान बन गया ….

चलो, मैं थोड़ी देर रेस्ट करता हूं।

श्यामली .. ओके 

रुद्र को सोया जान वो एक कॉल करती है..

रात को ही शादाब और श्यामली उन घुसपैठिओ को निकाल सुरक्षित सथान पर पहुंचाने जाते है।

पीछे से रुद्र की टीम सब को घेर लेती है।

शादाब गोली चलाने लगता है.. रुद्र पहले फायर कर उसे वहीं ढेर कर देता है।

और श्यामली पर बंदूक तान 

जैसे ही बुर्का नीचे करता है .. 

मानव – ये तो भाभी है..

मानव बीच में आते हुए… सर.. क्या कर रहे है.. .

भाभी..पे…बंदूक… 

श्यामली जान जाती है…. उसका खेल खत्म। 

वो फुर्ती से अपनी बंदूक निकाल मानव की गर्दन पर टिका देती है..

मुझे जाने दो रुद्र..

.. वर्ना मानव बे-मौत मारा जाएगा … 

रुद्र.. क्युं श्यामली .. ऐसा क्यों …

श्यामली.. अपने वतन के लिए रुद्र .. तुम कांटा बन गए थे .. 

देखो अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो मानव को छोड़ दो ..

हंसते हुए.. मैं सिर्फ अपने वतन से प्यार करती हूं… 

मेरा पहला और आखिरी प्यार मेरा वतन है, उसके लिए जान दे भी सकती हूं .. और ले भी…

श्यामली ट्रिगर दबाने वाली ही होती है 

रूद्र अपनी पिस्टल से सीधा उसके माथे पर निशाना लगाता है ।

वो वहीं जमीन पर गिर जाती है और मर जाती है। 

मेरे साथ विश्वासघात तक तो ठीक था श्यामली .. पर मेरे देश… मेरे फौजी … के बीच कोई नहीं आ सकता .. कोई नहीं 

आज फिर न्यूज चैनल पर कैप्टन रूद्र ही छाए हुए थे ।

जय हिंद 

रीतू गुप्ता 

स्वरचित

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