विश्वासघात – के कामेश्वरी :  Moral Stories in Hindi

सौजन्या अपने छोटे बेटे रवि से कह रही थी कि तुम भी अपने बड़े भाइयों की तरह इंजनीयरिंग की पढ़ाई कर ले अच्छी नौकरी मिल जाएगी ।

वह टस से मस नहीं हो रहा था वह कहता है कि मैं पापा की तरह टीचर बनूँगा । पांडुरंगा राव ने कहा ठीक है उससे जबरदस्ती मत कर उसे जो पढ़ना है वही पढ़ने दे नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा । रवि ने ग्यारहवीं के बाद बी एस सी , एम एस सी, बीएड किया ।

सरकारी स्कूल में नौकरी पाने के लिए उसने टीईटी और सीटीईटी की परिक्षाएँ लिखी थीं । उसमें पास होते ही पास के ही गाँव के एक सरकारी स्कूल में गणित के अध्यापक की नौकरी मिल गई ।

उसे उस गाँव में ही रहना था इसलिए वहाँ किराए पर रहने के लिए मकान ढूँढने लगा । एक सहउद्योगी ने नारायण के घर में एक पोर्शन खाली है बताया तो रवि वहाँ जाकर पूछ ताछ करने लगा ।

उनके घर में दो कमरे खाली थे। रवि ने उनसे बात करके उस घर में किराए पर रहने के लिए आ गया । उस घर के मालिक की तीन लड़कियाँ थीं वे खुद वहाँ के पोसटॉफिस में काम करते थे । सुशीला को बेटियों की शादी की बहुत फिक्र थी ।

उसकी नज़र हमेशा नवजवान लड़कों पर रहती थी । उसकी बड़ी बेटी शिखा दसवीं पास करके घर पर ही रहती थी । उसकी शादी के लिए रिश्ते देख रही थी ।

रिश्ते आते जरूर थे परंतु कम पढ़ी लिखी है कहकर वापस चले जाते थे । सुशीला की नजर रवि पर पड़ी पढ़ा लिखा और नौकरी करता था गलत आदतें नहीं थी इससे अच्छा रिश्ता कहाँ मिलता है ।

वह शिखा को कभी सब्जी तो कभी दाल देकर आने के लिए भेजती थी । वह खुद भी उसका हालचाल पूछने लगती थी । वह शिखा के बारे में बताती थी कि वह बहुत गुणी है घर के सारे काम काज करने आते हैं । उसे उदाहरण देकर बताया करती थी कि नौकरी करने वाली लड़कियाँ घर का काम नहीं करती हैं । सोचो वह भी दिनभर काम करके थक कर आती है तो तुम्हें चाय कहाँ से बनाकर देगी । रवि भी धीरे-धीरे उसकी जाल में फँसने लगा सुशीला की बातें अच्छी लगने लगी । अब वह शिखा को भी पसंद करने लगा ।

एक दिन सुशीला ने उससे कहा कि वह शिखा से शादी के लिए तैयार है तो अपने माता-पिता को हमारे घर बुला लो । रवि जब दशहरे की छुट्टियों में घर आया तो माँ ने कहा कि तुम्हारे लिए रिश्ते आ रहे हैं क्या कहते हो? तुम्हारी क्या राय है ? अपने भाइयों के समान नौकरी करने वाली लड़की से शादी करोगे तो अच्छा रहेगा क्योंकि आजकल के इस दौर में दोनों को नौकरी करना चाहिए ।

रवि ने कहा कि माँ मुझे नौकरी करने वाली लड़की नहीं चाहिए । वैसे भी मैं अपने मकान मालिक की बेटी शिखा से प्यार करता हूँ । वह बहुत गुणी है सारे काम काज करना आता है ।

सौजन्या ने कुछ नहीं कहा……. वापस जाते समय रवि ने कहा आप लोग लड़की को देखने कब आ रहे हैं भाइयों और भाभियों को भी बुला लेते हैं ।

पांडुरंगा राव ने कहा कि हम लड़की को देखकर क्या करेंगे क्योंकि देखने के बाद हमें लड़की पसंद नहीं आती है तो तुम उसे मना कर दोगे?

रवि ने कुछ कहा नहीं और चला गया ।

सौजन्या ने शादी का डेट निकाला और रवि को इत्तला कर दिया । रवि का परिवार शादी के लिए लड़की वालों के घर पहुँच गए उन्होंने शिखा को अपनी तरफ से सोने के ज़ेवर चढ़ाए । सुशीला ने सिंपल तरीके से शादी निपटा दी और बेटी की बिदाई कर दी ।

सुशीला खुद भी बेटी के साथ उसके ससुराल पहुँची वहाँ महल रूपी घर को देख कर खुशी से फूली ना समाई कि इतना बड़ा घर कल को उनकी बेटी का ही होगा । शिखा ने देखा कि जेठानियाँ सास के साथ मिलकर सारा काम करा लेती हैं और वे तीनों एक साथ रहते हैं ।

पूरा घर खाली हो गया था और रवि भी अपनी पत्नी को लेकर गाँव पहुँचा । जब सुशीला को पता चला कि वह घर ढूँढ रहा है । वह रवि के पास पहुँच कर कहती है।  हमें छोड़कर मत जाओ यहीं पर मैं एक कमरा और आपको दे देती हूँ ।

इस तरह से सुशीला ने रवि को घर जमाई बना कर रख लिया था । रवि और शिखा की शादी को एक महीना हो चुका था और अभी तक शिखा ने घर में खाना नहीं बनाया क्योंकि सुशीला ही खाना बनाती थी उनके घर में शिखा यहाँ सब कुछ लाकर खिला देती थी तो रवि को भी अच्छा लग रहा था ।

उस दिन शिखा रवि के पर्स से पैसे निकाल रही थी रवि के पूछने पर कहा कि रेंट दे रही हूँ । रवि ने आश्चर्य से कहा तुम्हारी माँ तो मुझसे किराया नहीं लेगी ना । शिखा ने रूठकर कहा वो मना करेगी तो भी हमें अच्छा लगेगा क्या हम मुफ्त में उनके घर क्यों रहेंगे ?

एक हज़ार रुपये उसने माँ को यह कहकर पैसे दिए कि तीन कमरों का किराया है । दूसरे एक बडा सा सामान का लिस्ट तैयार कर के लेकर आई यह कहकर कि हम उनके घर में खाना खा रहे हैं तो आप सामान ले आइए यह हमारा कर्तव्य है ।

रवि ने कहा मुझे यह सब पसंद नहीं है मैं नहीं लाऊँगा तुम घर पर खाना बनाना शुरू कर दो । शिखा रोनी सूरत लेकर कहती है कि ऐसा कैसे कह सकते हैं मेरी माँ को बुरा लगेगा कि आपको दामाद नहीं बेटा समझ रहीं हैं और आप ही ऐसे कह रहे हैं ।

नई पत्नी है उसकी आँखों में आँसू नहीं देख सकता है इसलिए सामान लेकर आया । अब हर महीने सामान लेकर आना उनकी ज़रूरतों को पूरा करना रवि का काम हो गया था । उसने मना किया तो शिखा रोने लगती थी ।

दशहरे की छुट्टियों में रवि माँ के घर जाना चाहता था शिखा भी तैयार हो गई । जब ये लोग निकलने वाले थे कि रवि ने देखा शिखा की दोनों बहनें भी आ रही हैं । उसने शिखा से पूछा ये लोग कहाँ जा रहे हैं तो उसने हँसकर कहा वे कहाँ जाएँगी हमारे साथ आ रही हैं ।

उसने रवि का हाथ पकड़कर प्यार जताते हुए कहा उनकी भी छुट्टियाँ हैं इसलिए आना चाह रही हैं प्लीज़ कुछ मत बोलिए ना!!

रवि घर पहुँचा तो सौजन्या खुश हुई और पीछे शिखा को देखा तो बाँछें खिल गईं परन्तु यह क्या शिखा के पीछे उसकी बहनें भी थीं । सौजन्या को उन्हें देखकर ग़ुस्सा आया पर कुछ कह ना सकी उनके लिए चाय नाश्ता खिलाया और बहू से कहा कि शिखा तुम्हारी बहनों को मेरे हाथ का खाना पसंद नहीं करेंगी इसलिए तुम ही सबके लिए खाना बना दो ।

शिखा ने बड़ी ही चलाकी से कहा नहीं माँ ऐसा कुछ नहीं है मेरी बहनें किसी के भी हाथों से बना खा लेती हैं इसलिए आप ही बना लीजिए ।

सौजन्या ने ही खाना बनाया जब तक कि शिखा और उनका परिवार यहाँ से नहीं गए थे  दस दिनों तक सारा काम करके वह बहुत थक चुकी थी ।

अब जब गर्मी की छुट्टियों में तो शिखा की माँ भी आ गई थी । रवि ने कहा माँ इतने लोगों का खाना अकेले नहीं बना सकती है।  तुम जाकर उनकी मदद क्यों नहीं करती हो ।

मेरी भाभियाँ नौकरी करती हैं लेकिन यहाँ जब भी आती हैं माँ के साथ मिलकर कामों में मदद करती हैं ।

मेरी माँ अकेले ही हमारे घर का काम करती हैं इसमें कौनसी बड़ी बात है। वहाँ रहकर सबने आसपास की देखने लायक़ स्थानों को देख कर आ गए पंद्रह बीस दिन सबने मौज मस्ती की और जाते समय सुशीला ने सौजन्या से आप कभी अपने बेटे के घर को देखने के लिए आइए

सौजन्या ने हँसकर कहा हाँ आएँगे जब हमारा बेटा अलग घर लेकर रहेगा आपने हमसे विश्वासघात किया है बिन हमारी इजाज़त के उसे घरजँवाई बनाकर रख लिया है जब उसका खुद का घर होगा तब ही आएँगे ।

सुशीला तो बेशर्म है उस पर इनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। वह वहाँ से ठहाका मारकर चली गई ।

सौजन्या अपना सा मुँह लेकर रह गई । एक दिन रवि अचानक से घर पहुँच गया । उसे अकेला देखकर खुश हो गई क्योंकि जब से शादी हुई वह घर अकेला आया ही नहीं था । उस खाना खाकर बैठीं हुई थी पांडुरंगा राव बाहर गए हुए थे । सौजन्या की गोद में सर रखकर सोया हुआ था सौजन्या उसे समझाने लगी कि रवि मेरी बात मान बेटा उस घर से निकल कर नया घर ले अपनी जिंदगी खुद चुनकर तू उस लड़की और उसके माता-पिता के जाल में फँस गया है । अपने भाइयों की तरह अपना अलग घर बना कर रह । बात तो निकल गई थी इसलिए वह बोल उठा माँ मैं भी आप से कुछ पूछना चाहता हूँ ।

सौजन्या ने भी कहा पूछ बेटा क्या पूछना है । उसने कहा भाइयों के पास खुद के घर हैं वे सब अच्छा कमा रहे हैं ऐसे में आप लोग यह घर मेरे नाम पर कर दीजिए ना ।

यह सुनकर पहले तो वह शॉक में चली गई फिर कहा देख रवि मैंने तुम्हें बहुत समझाया था कि अपने भाइयों के समान इंजनीयरिंग की पढ़ाई कर तुमने मेरी बात नहीं सुनी कोई बात नहीं है तुम टीचर बन गए ठीक नौकरी करने वाली लड़की से शादी कर ले नहीं एक कम पढ़ी लिखी लड़की से शादी कर ली आज घरजवाँई बनकर भुगत रहे हो ।

तुमने तो कहा था कि लड़की संस्कारी है कामकाज आते हैं पर उसे कुछ नहीं आता है । यहाँ भी तुम फेल हो गए हो तुम्हारी भाभियों को देखो नौकरी भी करती हैं और घर के काम भी करती हैं ।

अब एक बात कान खोलकर सुन ले यह घर तुम्हारे पिताजी ने अपने खून पसीने से बनाया है इसलिए इस पर किसी का हक नहीं है । हम दोनों के बाद हम तय करेंगे इसे क्या करना है समझ गए हो ना उस घर में घरजमाई बनकर कुछ सीखा हो या नहीं पता नहीं पर अपनी सास के समान विश्वासघात करना कभी मत सीखना ।

रवि हताश होकर दूसरे दिन चला गया । सौजन्या ने पति से कहा कि आप जल्दी से बनारस के लिए टिकट कटवा दीजिए हम थोड़े दिन ईश्वर के पास रहकर आएँगे बच्चों को अपना जीवन जीने का मौका देना है  रवि को भी कुछ दिनों का समय देते हैं ।

पति पत्नी एक हफ़्ते बाद काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए चले गए ।

के कामेश्वरी

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