एन आर आई – एमपी सिंह : Moral Stories in Hindi

अवतार सिंह और करतार सिंह पंजाब के लुधियाना शहर के पास एक गांव में रहते थे। अवतार का बेटा अर्जुन और करतार की बेटी कुन्ती बचपन से कॉलेज तक साथ साथ पढ़ते थे। दोनों परिवार खेती करते थे, जमीन तो ज्यादा नहीं थी, पर गुजारा हो जाता था। दोनों परिवारों में अच्छा रिश्ता था। अर्जुन

बचपन से ही विदेश जाने के लिए कहता था, पर उसके पिता की इतनी हैसियत नहीं थी कि विदेश जाने और वहां रहने पढ़ने का खर्च उठा सकते। कॉलेज पूरा होने के बाद अर्जुन फिर विदेश जाकर आगे की पढ़ाई और वहीं नौकरी करने की ज़िद पकड़ बैठा। अर्जुन की मां थी नहीं, पिता अकेला हो

जाने के डर से भी मना करते रहता था। एक दिन अवतार ने करतार को बुलाया और अर्जुन को समझाने के लिए कहा। जब अर्जुन ने करतार जी की बात मानने से भी इनकार कर दिया ओर अवतार ने भी जमीन बेचकर पैसा देने से मना कर दिया, तो करतार ने अवतार को समझाया, की बेटे की सारी जिन्दगी पड़ी हैं, हमारा क्या, कुछ सालों के मेहमान हैं, तू चिंता मत कर, हम तेरे साथ हैं, पर अवतार

नहीं माना। फिर करतार ने कहा कि अर्जुन और कुन्ती की शादी करवा दो, जाने का खर्चा मैं दे दूंगा, समझ लूंगा कि दहेज़ दे रहा हूं। अगर मंज़ूर हो तो बता देना, वर्ना जैसा तुम ठीक समझो। अवतार ने अर्जुन से बात की और वो मान तो गया पर शादी अभी न करके, नौकरी लगने के बाद यानि कम से

कम तीन साल के बाद, पर ये बात करतार को पसन्द नही आई। फिर अवतार और करतार ने विचार विमर्श किया और निष्कर्ष निकाला कि अभी दोनों की सगाई कर देते हैं और शादी पढ़ाई पूरी होने के बाद। अर्जुन ओर कुन्ती की सगाई हो गई और अर्जुन पढ़ाई के लिए कनाडा चला गया। अर्जुन साल में

एक बार गांव आता ओर कुन्ती के साथ घूमता फिरता। सारा गांव जानता था कि दोनों की जल्दी ही शादी होने वाली हैं। पंजाब में एन आर आई दामाद मिलना किसी सम्मान से कम नहीं माना जाता था, इसलिए करतार भी कुछ नहीं कहता था। इसी तरह दो ढाई साल बीत गए, फिर एक दिन अवतार

खेतों में पानी देने गया, वहां करंट लगने से उसकी मौत हो गई। अर्जुन गांव आया और पिता के क्रिया करम के बाद भी काफी दिनों तक वापस नहीं गया। फिर कुछ महीनों बाद वो कुन्ती के घर गया और

बोला, कि मैं कल वापस जा रहा हूं। कनाडा पहुंचने के बाद अर्जुन ने कुन्ती को फोन करना बहुत कम कर दिया जिससे वो काफी परेशान रहने लगी, पर अपने पिता जी को कुछ नहीं बताया। कुन्ती नही चाहती थी कि मां पिता जी को पता चले और वो दुःखी हो।

कुछ दिन बाद करतार खेत पर जा रहा था, उसने देखा कोई अनजान आदमी अवतार का खेत जोत रहा है। करतार ने  पूछा कि किस गांव से हो और ये किसका खेत जोत रहे हो? वो आदमी बोला, कि मैं पास वाले गांव में रहता हूं और ये मेरा खेत है। करतार बोला, ये तो अर्जुन का खेत है, तुम्हारा कहां से हो गया? वो आदमी बोला, अर्जुन ने अपना खेत ओर घर दोनों मुझे बेच दिए हैं और खुद बाहर चला गया है, अब मैं ही इसका मालिक हूं।

ये सुनकर करतार को धक्का लगा ओर घर लौट कर उसने अर्जुन को फोन किया और खेत मकान के बारे में पूछा। इसपर अर्जुन बोला कि ये सब सच है, अब मैं इंडिया वापिस नहीं आऊंगा, आप कुन्ती की शादी कहीं और कर दो।  ये सुनकर करतार अपने साथ हुए धोखे को किसी को बता भी न सका और खुद को ही कसूरवार समझने लगा ओर दिल ही दिल घुटता रहा ओर एक दिन दुनिया से चला गया।

करतार के जाने के बाद घर की माली हालत खराब रहने लगी, उधार मांगने वाले तकाजा करने लगे, जमीन गिरवी पड़ी थी, कमाई करने वाला कोई नहीं था। कुन्ती ने स्कूल में नौकरी कर ली, जमीन साहूकार ने रख ली। आज सालों बाद भी अर्जुन की कोई खबर नहीं है, कुन्ती ने भी कभी शादी की इच्छा नहीं जताई और न ही कभी कोई रिश्ता आया। पूरा गांव कुन्ती ओर अर्जुन के रिश्ते से अनजान न था।

समय सब कुछ भुला देता है पर भूख  प्यास को नहीं। मां बेटी जैसे तैसे एक दूसरे का सहारा बन दिन गुजार रहे है। इस सब घटना क्रम में अर्जुन का विदेश जाने का अपना स्वार्थ था ओर करतार का एन आर आई दामाद पाने का। ग़लत अर्जुन था या कुन्ती के घर वाले, पर जिन्दगी  कुन्ती की बरबाद हो गई, जिसका कोई दोष नहीं था।

पंजाब में आज भी एन आर आई दामाद पाने के लिए लोग अपनी बेटियों की जिंदगी और उनका भविष्य दांव पर लगा देते हैं और बाद में पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचता।

कहानी _ एन आर आई

रचना 

मोहिंदर सिंह 

(M.P.Singh) एमपी सिंह 

स्व रचित, अप्रकाशित 

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