जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा – रेखा जैन : Moral Stories in Hindi

“मम्मी क्यों इतनी चिंता करती हो? मैंने कहा था न रात को दस बजे तक आ जाऊंगी और फिर मेरे साथ नेहा भी है। मैं अकेली नहीं हूं।” नीलम झल्लाए हुए स्वर में अपनी मां रश्मि से बोली।

“लेकिन दस बज गए है बेटा और तुम अभी तक निकली भी नहीं हो!” दूसरी तरफ से उसकी मम्मी का चिंता में डूबा हुआ स्वर आया।

“मम्मी थोड़ी देर सवेर हो जाती है।  आधे घंटे में घर आ जाऊंगी, लेकिन अब आप बार बार फोन मत करना!”

दरअसल नीलम एक सत्रह वर्षीय स्कूल जाने वाली लड़की है और आज वो अपनी एक दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में आई है।  उसकी दोस्त ने एक होटल में डिनर रखा है, जहां सभी सहेलियां एकत्रित हुई है।

रात के दस बज गए थे इसलिए उसकी मां रश्मि ने चिंतित हो कर उसे फोन किया था।

वो करीब साढ़े दस बजे घर पहुंची।  उसकी मम्मी उसे बाहर बरामदे में ही उसका इंतजार करते हुए मिल गई। 

 वो अपनी मम्मी को देखते ही बिफर गई,

“क्या मम्मी!! मैं कहीं भी जाती हूं तो आप बार बार फोन करती है और पूछती है कि मै कहां हूं, कितनी देर में घर आ रही हूं! मेरी सब फ्रेंड्स मेरा मजाक उड़ाती है, कहती है तेरी मम्मी को हर पल की रिपोर्ट चाहिए।  मम्मी मैं अब बड़ी हो गई हूं, खुद का ध्यान रख सकती हूं।  आप मेरी चिंता मत करा करिए।” 

“बेटा तुम बड़ी जरूर हो गई हो लेकिन इतनी बड़ी भी नहीं हुई हो कि मैं तुम्हारी चिंता करना छोड़ दूं लेकिन तुमको समझाने का कोई फायदा नहीं है, ये तुम तभी समझोगी जब तुम मां बनोगी!” रश्मि को अपने ही शब्द कहीं दूर से आते लगे।

उसे वो समय याद आ गया जब वो स्वयं सोलह सत्रह साल की थी।  उनकी मां उनके कहीं जाने पर इतनी ही चिंतित रहती थी और वो अपनी मां पर ऐसा ही गुस्सा करती थी।

एक दिन उनकी भी एक सहेली का जन्मदिन था और उसने सभी सहेलियों को रात के भोजन के लिए अपने घर आमंत्रित किया था, साथ में केक कटिंग का प्रोग्राम भी था। उस सहेली का घर उनके घर से दो गली छोड़ कर ही था। 

उस ज़माने में देर रात तक लड़कियों को अकेले घूमने की इजाजत नहीं होती थी लेकिन रश्मि की मां ने इजाजत दी लेकिन साथ में शर्त रखी कि ज्यादा देर हुई तो वो लेने आ जाएंगी।  लेकिन रश्मि ने इस बात से साफ इंकार कर दिया।

“मां मैं अब बड़ी हो गई हूं। खुद का ध्यान रख सकती हूं।  मैं अकेली आ जाऊंगी।  आप चिंता मत करना!”

“बेटा चिंता तो रहेगी न आखिर तुम्हारी मां जो हूं।  तुम ये बात तब समझोगी जब खुद मां बनोगी!”

उनके पापा ने उनकी मां को इशारा किया और जाने की इज़ाजत दे दी।

रश्मि को अपनी सहेली के घर से लौटते हुए रात के 11 बज गए।

वो निर्भीक हो कर घर की तरफ चल पड़ी।  लेकिन अपने घर की गली के नुक्कड़ पर एक शराबी को खड़ा देख कर वो घबरा गई।  

 वो अपने आपको मजबूत करके आगे बढ़ गई। लेकिन वो शराबी उसके पास आया और उसका हाथ पकड़ लिया।  वो थर थर कांपने लगी।  वो अपना हाथ छुड़ाने की पुरजोर कोशिश कर रही थी लेकिन शराबी ने उसका हाथ और ज्यादा कस कर पकड़ लिया।  वो मदद के लिए चिल्लाने ही वाली थी कि शराबी को एक जोर का धक्का लगा और वो पीछे की तरफ गिर गया।

रश्मि ने चौंक कर देखा तो उसके पीछे उसकी मां खड़ी थी और उन्होंने ही शराबी को धक्का दिया था।  रश्मि अपनी मां  से लिपट कर रोने लगी।

उसकी मां उसे संभाल कर घर ले आई।  तब रश्मि को समझ आया कि मां उसकी चिंता क्यों करती है और हर मुसीबत में मां ही है जो ढाल बन कर उसके साथ खड़ी है।

समय का पहिया घूमा और आज अपनी मां की जगह रश्मि खड़ी है और रश्मि की जगह उसकी बेटी नीलम और वो अपनी बेटी को कह रही है,

“जब तुम मां बनोगी तब पता चलेगा!” 

रेखा जैन

अहमदाबाद, गुजरात

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