पिंकी और चिंकी दो बहनें थीं और साथ साथ विद्यालय जातीं। पिंकी कक्षा 5 तथा चिंकी कक्षा 4 में थी पिंकी पढ़ने में बहुत होशियार थी वह हमेशा प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण होती जबकि चिंकी बहुत मुश्किल से उत्तीर्ण हो पाती। इसी वजह से पिंकी की तो विद्यालय तथा घर में सभी लोग प्रशंसा करते किंतु चिंकी को पढ़ाई की वजह से डांट लगती। अध्यापक भी उस पर ध्यान नहीं देते।
इस साल उनके विद्यालय में एक नई अध्यापिका शिवानी की नियुक्ति हुई थी। शिवानी मैम ने देखा कि चिंकी सबसे दूर दूर रहती है, सबसे कम बोलना, विद्यालय सम्बन्धी किसी भी गतिविधि में भाग न लेना जबकि उसकी बहन पिंकी सबमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी। शिवानी मैम ने अब चिंकी पर थोड़ा अधिक ध्यान दिया तो देखा वह लंच में भी किसी के पास न बैठ अकेली विद्यालय के पीछे बने हुए बगीचे में थी। शिवानी मैम उससे बात करके उसकी परेशानी जानने के उद्देश्य से बगीचे में गईं तो वह डर गई। शिवानी ने उससे प्यार से पूछा “बेटा एक बात बताओ कि आप यहाँ क्या कर रही हो जबकि आपकी क्लास के सभी बच्चे तो वहां खेल रहे हैं?”
शिवानी की बात सुनकर चिंकी चुपचाप सहमी हुई खड़ी रही। तभी शिवानी का ध्यान पास में बनी रंगोली पर गया जो फूल पत्तियों से बनी हुई थी; रंगोली देखकर शिवानी ने चिंकी से पूछा-“क्या ये तुमने बनाई है?”
“मैंने ये तोड़े नहीं हैं, जो फूल पत्ते गिर गए थे उनको ही इकट्ठा करके बनाई है।” चिंकी ने डरते हुए हाँ में सिर हिलाकर कहा।
“अरे वाह! बहुत सुन्दर बनाई है ये तो। और क्या क्या आता है तुमको?”शिवानी ने पूछा।
मैम को खुश देखकर चिंकी का डर अब दूर हो गया और वह बोली, ” मैं मिट्टी से खिलौने बनाती हूं।” ऐसा कहते हुए उसने मिट्टी का घर, दीपक, शिवलिंग आदि दिखाए जो सम्भवतः एक दो दिन पहले बने हुए थे और वहीं एक पेड़ के नीचे रखे थे।
शिबानी ने महसूस किया कि चिंकी के चेहरे पर खुशी की चमक आ गयी कि कोई उसके कार्यों की प्रशंसा कर रहा है।
कुछ दिनों बाद विद्यालय के एक कार्यक्रम में शिवानी ने चिंकी से रंगोली बनाने को कहा
चिंकी ने गुलाल, फूल, पत्तियों आदि से बहुत सुंदर रंगोली बनाई। सब उस रंगोली की तारीफ कर रहे थे।
चिंकी को अपनी प्रशंसा सुनकर बहुत खुशी हुई, अब वह पढ़ाई पर भी ध्यान देने लगी क्योंकि वह चाहती थी कि उसकी शिवानी मैम उसके कार्यो की इसी प्रकार तारीफ करें और उससे खुश रहें।
विद्यालय में वार्षिक समारोह होना था जिसमें अभिभावकों को भी बुलाया गया था। इस उत्सव में विद्यालय के लगभग सभी बच्चों ने प्रतिभाग किया था क्योकि इसमें प्रतियोगिताएं शामिल थीं-नृत्य, गायन, ड्राइंग, पेंटिंग, हस्तशिल्प आदि। जिस बच्चे की जिसमे रुचि थी वह उसमें भाग ले सकता था। चिंकी ने भी इसमें भाग लिया था।
नृत्य गायन को छोड़कर सभी के कार्यों को एक प्रदर्शनी का रूप दिया गया । सभी अध्यापकों और अभिभाबकों ने बच्चों द्वारा बनाई गई विभिन्न कलाकृतियों की देखा व बहुत सराहना की उसके बाद नृत्य गायन का कार्यक्रम भी देखा।
सब लोग सभी बच्चों की तारीफ कर रहे थे लेकिन चिंकी जो कभी किसी में प्रतिभाग नहीं करती थी सबसे दूर रहती थी उसकी तारीफ बहुत अधिक हो रही थी क्योंकि कहाँ वह बिल्कुल अलग लड़की सबसे दूर रहने वाली और कहां आज ये जिसने आज भी विद्यालय की सजावट के उद्देश्य रंगोली बनाई और प्रदर्शिनी में लगाने के लिए मिट्टी के रंग बिरंगे खिलौनों के साथ साथ अपने हाथ से बनाई हुई विभिन्न प्रकार की वस्तुएं लगाईं थी जो तारीफ ए काविल थीं।
उसके कार्य को देख कर सभी के साथ उसके माता पिता ने शिवानी से पूछा कि आपने ये चमत्कार कैसे कर दिया कि जिसको कुछ नहीं आता था और शायद सीखना भी नहीं चाहती थी वो आज इतनी पारंगत हो गयी है।
तब शिवानी मैम ने स्टेज से माइक पर ही अपने विद्यालय के चपरासी से कहा,” मोहन, मेरी गाड़ी में कुछ उपहार रखे हैं उनको निकाल लाओ।”
“जी मैडम, चाबी…” मोहन ने मैम की चाबी लेने के उद्देश्य से हाथ आगे करते हुए कहा।
“लेकिन चाबी तो तुम्हारे पास भी होगी विद्यालय की” शिबानी ने कहा
मोहन कुछ असमंजस से उनको देखने लगा
तभी शिवानी मैम ने दूसरी मैम की तरफ इशारा करते हुए कहा “मैम आप अपनी चाबी दे दीजिए”
सभी लोग शिबानी मैडम को असमंजस से देख रहे थे
जब बहुत देर हो गयी तब एक अध्यापिका ने शिवानी से कहा कि मैम आपकी गाड़ी किसी और की चाबी जहाँ तक कि आप विद्यालय की चाबी की भी मोहन से बोल गईं, से कैसे खुल सकती है।
इस बात को सुनकर शिवानी ने कहा ” बिल्कुल सही कहा आपने मेरी गाड़ी में रखा सामान मेरी गाड़ी की चाबी से ही बाहर निकलेगा, किसी और की चाबी से मेरी गाड़ी नहीं खुल सकती। ठीक इसी प्रकार सभी की क्षमताएं अलग अलग होती हैं जो हर व्यक्ति के अंदर छिपी होती हैं और जिस प्रकार हम किसी एक चाबी से सभी ताले नहीं खोल सकते उसी प्रकार एक ही विधि से, एक ही तरीके से सभी बच्चों में छिपी क्षमताओं को बाहर नहीं निकाल सकते।….. चिंकी शुरू से ही होशियार थी मैंने तो केवल उसकी रुचि, उसकी प्रतिभा, उसकी क्षमता पहचान कर उसको इनसे अवगत कराया है और इन्हें निखारने में, इन्हें उत्कृष्ट बनाने में उसकी मदद की है बाकी ये सब गुण उसी के हैं और मेहनत भी”
आज चिंकी को पहली बार अन्य बच्चों की तरह स्टेज पर उसके कार्यों के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ था इसलिए वह बहुत खुश थी।
घर पर उसके घर आये रिश्तेदारों ने उसके पुरस्कार को देखकर आश्चर्य करते हुए उसकी प्रशंसा की और पूछा ये चमत्कार कैसे हो गया कि इसे भी पुरस्कार मिलने लगे ? तब उसके मम्मी पापा ने खुश होते हुए सारी बात बताते हुए कहा कि अब इसकी चाबी मिल गई है।
#साज़िश
प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’