मेरे हाथों में तेल का कटोरा देखते ही सखी मुझसे कहने लगी ! दादी मैं तो अभी बालों में तेल नहीं लगाऊंगी! यूं तेल लगाकर कॉलेज जाने से मेरी सारी सहेलियां मुझ पर हंसती है ! जिस दिन घर पर रहूंगी तो मैं आपसे जरूर लगवा लूंगी कहकर वो कॉलेज के लिए निकल पड़ी!
सखी तो कॉलेज चली गई, मगर जाते जाते वो मुझे सुनहरी यादों का एक पिटारा दे गई! मैं भी अक्सर स्कूल के जमाने में स्कूल जाते समय मां को तेल लगाने से इनकार कर दिया करती थी,मगर मां तो मेरी एक नहीं सुनती थी और यूं ही मेरे बालों में जबरदस्ती तेल लगाने बैठ जाती थी । मुझे उस वक्त मां की इन हरकतों से बड़ी चिढ़ होती थी और मैं तिलमिला कर बोल उठती थी।
उफ्फ मां मेरे बालों को आपने चिपचिपा कर दिया। पता है मां आपकी इन्हीं हरकतों से मेरी सारी सहेलियां मुझ पर हंसती है। मेरी बात सुनकर भी उनके चेहरे पर जरा सा भी गुस्सा देखने को नहीं मिलता था। वो फिर बड़े आराम से मुस्कुराकर बोल उठती थी।
देख लाडो अभी मैं हूं, तभी तो तेरे बालों में यूं तेल लगा रही हूं। मुझे भी मेरी मां यानि कि तेरी नानी इसी तरह मेरे बालों में तेल लगाया करती थी, मगर मैं तो बड़े आराम से लगा लिया करती थी ।
शायद अब जमाना बदल गया है, मगर बिटिया जमाना कैसा भी हो,कितना भी बदल जाए,मगर हम यानि कि मां का स्वरूप कभी नहीं बदलने वाला। शायद अभी मेरी यह बातें तेरी समझ में ना आए। मगर जब तुम बड़ी हो जाओगी, जब तुम मां बनोगी तो पता चलेगा कि मां अपने औलाद के लिए कितनी फिक्र मंद होती है। सच कहूं तो मैंने तो मां बनकर ही बहुत कुछ जान लिया था। जबकि अब तो मैं दादी भी बन चुकी थी।
आज शायद यही वजह थी ! बुढ़ापे में भी मेरे यूं घने और लंबे बालो का होना! हां बालों की सफेदी जरूर मेरे साथ अक्सर लुका छुपी का खेल खेलती रहती थी ! जिसे मैं मेहंदी और डाई के पीछे छुपाने की कोशिश में लगी रहती थी!
मैं सोचने लगी,जो बात मां की कल तक मेरा मानने का मन नहीं करता था। आज मां के उन अनुभवों के अच्छे परिणाम आने के कारण ही मैं भी दादी बनकर सखी से वही सब कुछ बांट लेना चाहती थी इसीलिए मैं अक्सर तेल का कटोरा लेकर सखी के बालों में लगाने बैठ जाया करती थी।
शाम ढलते ही सखी मेरे करिब आकर बैठ गयी और मुझसे कहने लगी। मेरी प्यारी दादी अब दो दिन मुझे कॉलेज नहीं जाना है, इसीलिए अब आपको जितना तेल लगाना है,आराम से लगा दीजिए और हां जरा हल्के हल्के क्योंकि,आप जब तेल लगाती हो, तो न जाने आपकी उंगलियों में ऐसा क्या जादू होता है कि मेरे मन की थकान मिट सी जाती है और उस वक्त ऐसा महसूस होता है कि बस आपकी गोद में सर रखकर मैं सो ही जाऊं!
मैं सखी की बात सुनते ही हंस कर बोल पड़ी। किसने रोका है लाडो तुझे मेरे गोद में सर रख कर सोने से । जरूर सो जाना और हां आज तुझे मैं वह लोरी भी सुनाऊंगी। जो मेरी मां मुझे सुनाया करती थी और फिर मैं भी उसके स्नहे में घुलकर उसके सर में अपनी उंगलियों को आशीर्वाद में डुबो डुबो कर लगाने लगी और साथ साथ में लोरी भी।
स्वरचित
सीमा सिंघी
गोलाघाट असम