“माँ, आप हर बात पर रोका टोकी क्यों करती हैं? मुझे अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने दीजिए!”— मीनू ने गुस्से में कहा और कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर लिया। माँ– सौम्या शांत खड़ी रहीं।उसने कोई जवाब नहीं दिया। ये पहली बार नहीं था जब मीनू ने ऐसा बर्ताव किया था।मीनू 25 साल की एक आत्मनिर्भर और महत्वाकांक्षी लड़की थी। उसे लगता था कि उसकी माँ हर छोटी बात में टोकती हैं— रात को देर से आने पर, खाना न खाने पर, या मोबाइल पर ज़्यादा समय बिताने पर– जब देखो बात बात पर टोकती रहती है। जब वो कुछ कहती माँ से तो और हर बार माँ का एक ही जवाब होता— “जब तुम माँ बनोगी, तब पता चलेगा।”
समय पंख लगाकर उड़ गया । मीनू की नौकरी लग गई और एक अच्छे परिवार में उसकी शादी हुई — पति भी अच्छी नौकरी में था।और कुछ सालों में मीनू भी माँ बन गई। उसके एक बेटा होगया– अभि जोअब दो साल का था।
एक रात अभि को तेज़ बुखार हो गया। मीनू सारी रात जागती रही—कभी पानी की पट्टियाँ रखती, कभी दवाई देती, कभी डॉक्टर को कॉल करती। नींद, भूख, आराम—सब भुला बैठी थी वो। उस रात, जब सुबह की पहली किरण पड़ी, और अभि की तबीयत थोड़ी संभली, मीनू ने अपने थके चेहरे को आईने में देखा। आँसुओं से भीगी आँखों में एक अजीब सी चमक थी—ममता की।
उसी दिन माँ का फोन आया। माँ ने पूछा, “मीनू बेटा, सब ठीक तो है?”
मीनू कुछ पल चुप रही, फिर बोली—
“माँ… आप हमेशा कहती थीं न, जब तुम माँ बनोगी, तब पता चलेगा… आज सच में समझ आया कि आप क्या कहती थीं— क्यूँ कहती थीं”– और वो फफककर रो पड़ी– कहने लगी कि,” माँ — आज तुम मुझे बहुत याद आई– तुम्हारी हर बात मेरे मन में घूमती रही कि आप कितना सही कहती थीं”–
माँ हँस दीं, “अब समझ मेंआया तुझे पगली कि माँ की चिंता, प्यार और टोकना दरअसल क्या होता है?– वो सब अपने बच्चे की भलाई के लिए कहती है।”
मीनू की आँखों से आँसू बह निकले, “माँ, आप जब मुझे ज़रा-सी ठंडी हवा में बाहर जाने से रोकती थीं, तो मैं चिढ़ जाती थी और बहुत गुस्सा करती थी कि बात बात पर टोकती हो—पर आज जब अभि छींके ले रहा था तो मैने उसे बाहर ठंड़ में जाने से मना किया।–जब आप मुझे रात को देर से आने पर डाँटती थीं, तो मुझे गुस्सा आता था, पर आज अगर अभि दो मिनट भी मेरी आँखों से ओझल हो जाए, तो घबराहट होती है और बार बार पूछती हूँ कि कहाँ हो बेटा।”
माँ बोलीं, “बेटा, माँ बनना सिर्फ बच्चा पैदा करना नहीं होता, वो तो एक पूरी ज़िंदगी का समर्पण है।”
मीनू ने उसी दिन माँ को बुलाया, और जब वो घर पहुँचीं तो पहली बार मीनू ने उन्हें गले लगाकर कहा,
“माँ, मुझे माफ़ करना… अब सच में मुझेआपकी बातें समझ आती हैं।”
माँ मुस्कुराईं और सिर्फ इतना कहा,
” क्योंकि अब तू भी माँ है, मेरी प्यारी बिटिया–
माँ बनने पर ही माँ की कही बातें समझ आती हैं।।”
लेखिका: डॉ आभा माहेश्वरी अलीगढ