काली रात – अनामिका मिश्रा : Moral Stories in Hindi

रौशनी मध्यम वर्गीय परिवार से थी।माता-पिता और एक छोटा भाई उसके परिवार में थे। रौशनी पढ़ाई के साथ-साथ प्राइवेट जॉब कर रही थी।पिताजी की सरकारी नौकरी थी,उसी में गुजर बसर हो रहा था।

मां रौशनी से- “‘इतनी रात को श्वेता ने तुझे अपने घर बुलाया है,और तू जाने को तैयार भी हो गई,उसका घर जानती है ना सुनसान जगह पर है, बीच में वो जर्जर पुल!”

रौशनी- “तो क्या हुआ माँ?आज वो अकेली है…इसीलिए तो उसने मुझे बुलाया है,उसके मम्मी पापा रिश्तेदार की शादी में गए हैं और उसका रुकना घर पर जरूरी था…उसके साथ रह लूंगी आज क्या होगा!”

माँ- “कुछ न ही हो तो अच्छा है।”

रौशनी,उसके माता-पिता लिविंग रूम में बैठे हुए थे। 

अचानक….उसके पिता मोबाइल देखते हुए “उफ्फ्फ!”

उसकी मां ने पूछा  “क्या हुआ?ऐसा क्या देख लिया।!”

उसके पिताजी ने कहा- “क्या हो गया है आजकल के युवा पीढ़ी को,एक अच्छे घराने की लड़की किसी के प्रेम जाल में फंस कर,धोखा खाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली,और उसके परिवार में उसके सिवा और कोई नहीं,उसके माता-पिता पर क्या बीत रही होगी?इकलौती संतान वही बेटी थी,कम से कम अपने माता-पिता का तो ख्याल करो…..एक छिछोरे के चलते आत्महत्या कर लेना कायरता ही है।”

रौशनी भी अपने पिता की इन बातों को सुन रही थी। चुपचाप अपने कमरे में जाकर,…आइने के पास खड़ी होकर खुद को देखने लगी। उसकी आंखों से आंसू झरने लगे।

“ये क्या! आज मैं माँ से झूठ बोलकर..खुद भी यही काम करने जा रही थी!”

“उस रास्ते पर वो जर्जर पुल से मैं छलांग लगाने वाली थी…”मेरे साथ भी तो यही हुआ है…..!”

“कितना गलत कर रही थी मैं,अपने साथ अपने माता-पिता और ईश्वर को धोखा दे रही थी,अपने छोटे भाई को धोखा दे रही थी!”

“कल मेरी भी खबर ऐसे ही कोई पढ़ रहा होता….और मेरे माता-पिता रो रहे होते….और मैं  उनके सम्मान को, समाज में मटिया मेट कर देती… छोटे भाई की मानसिकता पर क्या असर होत?”

बालकनी में जाकर बाहर देखती है…..हजारों घरों में बत्तियां जल रहीं थीं….पर अमावस की काली रात थी और अमावस की काली रात उसके जीवन में नयी रौशनी लेकर आई थी। 

तब तक उसकी मां पीछे से आकर बोली”कितने बजे जाएगी तू?”

रौशनी ने कहा- ” शिखा का कॉल आया था,उसने कहा तुम्हें आने की ज़रूरत नहीं है, मेरे माता-पिता नहीं जा सके!”इसलिए अब नहीं जाना है मां!” 

सोचने लगी कि,”ये रौशनी जो अपने परिवार की रौशनी है उसे कभी बुझने नहीं देगी……।”

आज भी अमावस की काली रात थी…..दीवाली की रात…..

रौशनी छत पर अपने पति के साथ शहर की जगमगाहट देख रही थी,पटाखे की आवाज से उसकी तंद्रा भंग होती है….. 

उसके पति ने “उफ़्फ़” किया और कहा- “कहां खोई हुई हो?अगर मैं पटाखा नहीं जलाता, तो तुम अभी भी खोई रहती !”

रौशनी ने कहा-“कुछ नहीं मैं सोच रही हूं,ये काली रात हमेशा मेरे लिए रौशनी बनकर आती है….और किसी के आने की खुशखबरी भी दे रही है…. ये खबर सुनकर उसके पति के खुशी का ठिकाना नहीं रहा और दोनों खुशी-खुशी दिवाली की रौशनी देखने लगे, और रौशनी #काली रात को धन्यवाद दे रही थी। 

कहानी काली रात

स्वरचित✍️– अनामिका मिश्रा

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