दुलारी अपने घर की सबसे प्यारी बेटी थी ,बड़े लाडचाव से पिता ने उसकी शादी रचाई ।शादी के साल बाद ही दुलारी ने एक बेटी को जन्म दिया ,जिसका नाम उसने खुशी रखा ।खुशी के आते ही घर में रौनक छा गई, दुलारी ने निर्णय ले लिया कि वह दूसरा बच्चा पैदा नहीं करेगी क्योंकि वह खुशी को
जमाने भर की खुशियां देना चाहती थी। खुशी के जन्म के 10 साल के बाद दुलारी के पति की मृत्यु हो गई। दुलारी ने दिन -रात मेहनत कर लोगों के घरों में झाड़ू -पौचा कर खुशी को हर खुशी दी और उसे अपने पांवों पर खड़ा कर दिया ।खुशी अब कॉलेज में लेक्चरर थी, दुलारी खुशी की खुशी से बहुत खुश
थी। धीरे-धीरे खुशी का रवैया चेंज होने लगा, वह घर में देर से आने लगी और कई बार तो घर आई तक नहीं। जब दुलारी पूछती तो खुशी का जवाब होता, मां क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास नहीं है ,दुलारी भी हंस कर टाल देती और कहती क्यों बेटा विश्वास क्यों नहीं है ।एक बार खुशी 10 दिन का कहकर
,महीने तक घर नहीं आई, दुलारी ने फोन मिलाया पर फोन भी नहीं मिला ,वह उसके कॉलेज गई तो सभी दुलारी को देखकर हैरान रह गए। काॅलेज के प्रिंसिपल ने पूछा कि आप कौन हैं? अभी दुलारी कुछ बोलती उससे पहले ,लाल साड़ी मे लिपटी एक मैडम ने दुलारी का हाथ पकड़ा और कॉलेज गेट से बाहर ले गई, दुलारी हैरान थी कि यह क्या हो रहा है ,सारा स्टाफ भी देख कर दंग रह गया, पर
किसी की पीछे जाने की हिम्मत नहीं थी , दुलारी को गेट से बाहर करके उसने कहा ,चली जाओ यहां से ,आखिर तुम चाहती क्या हो ,क्या तुम्हें पसंद नहीं कि मैं खुश रह सकूं ,मैं अपना जीवन जी सकूं ,दुलारी की आंखों में आंसू थे ,उसने कहा तुम यह क्या कह रही हो और तुम यहां इसी शहर में हो,
तुमने मुझे बताया तक नहीं ।(दुलारी का हाथ पकड़ने वाली कोई और नहीं खुशी ही थी )वह चिल्ला कर बोली क्यों, मेरे जीवन की हर बात तुम्हें बताना जरूरी है और तुम्हें पता है ,जो प्रिंसिपल है वह मेरे हस्बैंड हैं, अगर उन्हें पता लग गया कि मैं तुम्हारी बेटी हूं तो मुझे घर से बाहर निकाल देंगे ।दुलारी हैरान रह गई और बोली तुमने शादी कर ली और मुझे बताया तक भी नहीं। खुशी ने कहा क्या बताती
, तुम्हें पता है अगर मैं तुम्हें बताती तो क्या मेरी शादी एक प्रिंसिपल से हो जाती ,अब तुम यहां से चली जाओ। दुलारी ने कहा बहुत आसान है बेटा यह कहना, पर तुमने कितना बड़ा अपराध किया है, तुम्हें तब पता लगेगा, जब तुम खुद मां बनोगी और तुम्हारे साथ ऐसा होगा, इतना कह कर दुलारी वहां से
चल दी, अगले दिन अखबार में खबर आई कि एक कामवाली ने आत्महत्या कर ली, उसके हाथ में टूटी -फूटी राइटिंग में लिखा एक पत्र था ,जिसमें लिखा था,”मैं अपने जीवन में.अकेलेपन.से दुखी होकर आत्महत्या कर रही हूं.।मेरा शरीर टैगोर.मैडिकल काॅलेज में रिसर्च के लिए दे दिया जाए”
अगले दिन काॅलेज में अखबार में खुशी ने खबर पढी उसकी आखों.से आंसुओ का सैलाब फूट पड़ा।देखते ही देखते कॉलेज में दुलारी के डैड बॉडी भी आ गई ,जिसकी एंट्री खुशी ने करनी थी, खुशी डैड बॉडी को देखकर बेहोश हो गई। जब उसे होश आया तो उसे पता लगा कि वह प्रेग्नेंट है और उसके कानों में एक ही आवाज आ रही थी” तुम्हें तब पता लगेगा जब तुम मां बनोगी”
स्वरचित कहानी
कवयित्री उर्मिल शर्मा
सिरसा हरियाणा