आराधना एक छोटे से कस्बे की लड़की जो दिल्ली शहर में पढ़ने आई। यहां पर उसकी कोई जान पहचान तो नहीं थी तो उसने एक गर्ल्स हॉस्टल में रहने का ठिकाना ढूंढ लिया।वो पढ़ाई भी करती पर शहर के अलग खर्चे जो पिता द्वारा भेजे गए पैसों से पूरे नहीं होते थे इसलिए उसने एक स्टोर पर सेल्स गर्ल की नौकरी कर ली। कॉलेज उसके बाद स्टोर वहां से वो 9:00 बजे तक फ्री होती हॉस्टल आते
आते 10:00 बज जाते।उसकी रूम मेट दीप्ति उसे समझाती ये दिल्ली है यहां इतनी रात घूमना सेफ नहीं है। आराधना कहती यार मजबूरी है मै ध्यान रखूंगी। गर्मी में तो ठीक था सड़को पर रहदरी होती है पर सर्दी आते ही परेशानी बढ़ती है एक दिन बहुत बारिश थी और ठंड भी बहुत ज्यादा थी दुकान पर भी लोग कम ही आ रहे थे आराधना ने मैनेजर से पूछा क्या आज मैं जल्दी चली जाऊ।पर मैनेजर
ने मना कर दिया और वही 8:30 के आस पास वो स्टोर से निकली।चारों तरफ सन्नाटा था आज सड़क पर इक्का दुक्का लोग थे और दुकानें भी जल्दी बंद हो गई थी वो सड़क पर आई आज बस की जगह वो ऑटो देखने लगी कि जल्दी पहुंच जाएगी पर कोई ऑटो नहीं मिला फिर वो आगे तक पैदल आई
उसे लग रहा था कि कोई पीछे आ रहा है उसने अपनी गति बढ़ाई पीछे वाले की भी गति बढ़ गई और वो सामने से आते हुए एक आदमी से टकरा गई उस आदमी ने पूछा रानी इतनी रात कहा भागे जा रही हो।आराधना पीछे हटते हुए बोली मै घर जा रही हूं तब तक वो दूसरा भी आ गया आराधना भागने लगी पर सब विफल वो दोनों उसे पकड़ एक झाड़ी में ले गए और पूरी रात उस पर अत्याचार करते रहे और उसे यूहीं छोड़ कर भाग गए।अगली सुबह कुछ लोग वहां से गुजरे तो उन्होंने देखा एक
लड़की ऐसी हालत में पड़ी है पुलिस को बुलाया गया और उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया उसके सामान में हॉस्टल का आइडेंटी कार्ड मिला वहां इनफॉर्म किया गया वही से उसके परिजनों को भी सूचित किया गया।सभी परेशान थे एक ही रात में उस पर 10 बार अत्याचार हुआ था वो जैसे अपने माता पिता के लिए ही सांस जी रही थी मां आई कुछ पल होश आया और उसने दम तोड़ दिया सब कह रहे थे बुरा हुआ अकेली सड़क पर क्या कर रही थीं जितने मुंह उतनी बाते
माता पिता अपने कलेजे के टुकड़े को समेटने में लगे थे डॉक्टर के कहने पर पुलिस की मौजूदगी में ही क्रिया करम हुआ ।आराधना के माता पिता जार जार रो रहे थे क्यों अपनी बेटी को शहर भेजा उसकी इच्छा हसरत सब एक काली रात में दफन हो गया वो अपनी और अपने माता पिता की जिंदगी में रंग भरना चाहती थीं पर उसके रंग और पंख तो बुरी तरह कुचल दिए गए।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी