बड़ी बहू हूं, पर इंसान हूं – अर्चना खण्डेलवाल 

योगिता की नींद खुल गई और शरीर भी आज दर्द से टूट रहा था, उठने की जरा भी हिम्मत नहीं थी, उसकी आदत है वो सुबह जल्दी उठ जाती है, और धीरे-धीरे अपना काम करती है  ताकि भावेश की नींद खराब ना हो जायें, दिनभर व्यापार संभालते, भागादौड़ी करते-करते वो भी थक जाते थे, घर के बड़े बेटे और घर की बड़ी बहू पर काफी जिम्मेदारियां होती है।

अपने ही विचारों में खोई वो उठी और नहाकर रसोई में चली गई, आज हल्की सी हरारत महसूस हो रही थी, कुछ करने का मन नहीं था पर घर की बड़ी बहू थी, सालों से उसे ये तमगा मिला था, छोटे अपनी जिम्मेदारियों से मुंह फेर सकते हैं, लेकिन बड़ी बहू एक दिन भी अपनी जिम्मेदारी ना निभायें तो घर में क्लेश हो जाता है।

अलसाये बुझे मन से उसने सबके लिए चाय बनाई, और नाश्ते की तैयारियों में लग गई, आज रविवार छुट्टी का दिन है, फिर भी उसे समय पर उठना था, सब आराम से चादर ताने सो रहे थे, एक वो ही है जो अपनी नींद की बलि देकर खुद अपनी बलि दे रही थी।

इस घर-परिवार के लिए उसने पांच साल दिये, तन-मन से सेवा की और अब उसे  बड़ी बहू होना अभिशाप के समान ही लगता है, बड़ी बहू वो जो बिना कोई शिकायत किये, दर्द में भी हंसते मुस्कुराते हुए अपनी हर जिम्मेदारी निभायें और उसके लिए भी उसे सदा डांट और फटकार मिलें और यही सुनने को मिले कि ये तो तुम्हारी जिम्मेदारी थी, तुमने किया, सब करती है, इसमें अनोखा क्या है?

सालों से सबके लिए करते-करते वो तक गई थी, थकान काम करने से नहीं आती, थकान मानसिक भी होती है, छोटी बहू अपनी मनमर्जी करती है तो फिर बड़ी बहू अपने को ठगा हुआ पाती है।

योगिता की देवरानी कुसुम अभी एक साल पहले ही घर में आई थी, जो अपनी मर्जी से उठती और होती थी, वो नौकरी करती थी तो उसे सब छूट थी, सबका कहना था कि वो तो नौकरी करती है, करें ना करें, पर तुम तो घर में रहती हो तो तुम्हें तो सब जिम्मेदारी संभालनी है, ये सुनकर योगिता का मन और कुलबुलाने लगता था, वो अपने कमरे में जाकर अपनी पढ़ाई और डिग्री देखती थी, उसने बीएड किया था, शादी के पहले वो विद्यालय में पढ़ाती थी, लेकिन ससुराल वालों ने ये कहकर नौकरी छुड़वा दी कि, घर की बड़ी बहू हो, तुम ही घर‌ नहीं संभालोगी तो कौन संभालेगा? फिर केशव हो गया, उसकी जिम्मेदारी, और अब वो पूरी तरह घर की होकर रह गई थी।

कुसुम भी पढ़ी-लिखी आई थी, सबने उसे नौकरी की सहमति दे दी, क्योंकि घर संभालने के लिए घर की बड़ी बहू जो थी, यही बात योगिता को खायें जा रही थी, ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते हैं? जबकि वो तो घर-परिवार के लिए सब त्याग देती है, और छोटी बहू को सब करने की आजादी मिलती है, आखिर ये भेदभाव क्यूं किया जाता है?

आज तबीयत ठीक नहीं थी, उसने सबके लिए चाय बनाई और वापस कमरे में जाकर सो गई, आधे घंटे बाद ही घर में कोहराम मच गया, उसने नाश्ते की तैयारियां कर दी थी, पर बनाने की उसमें हिम्मत नहीं थी।

हेमा जी कमरे में दनदनाती हुई आई और चिल्लाने लगी, ये कोई समय है सोने का, सब भूखे बैठे हैं और हमारी बहू रानी की नींद ही पूरी नहीं हुई हैं।

वो कुछ कहती इससे पहले भावेश बोल उठा, मम्मी इसका बदन तप रहा है, इसे बुखार आ रहा है, इसे आराम करने की जरूरत है।’

बुखार आ रहा है तो क्या हुआ? मैंने तो परिवार वालों को बुखार में भी खाना बनाकर खिलाया है, मैंने कभी अपने काम से जी नहीं चुराया, कितना सा समय लगता है, खाना बनाने में, चल उठकर रसोई में चल, छोटी बहू भी उठने वाली है, उसे भी चाय-नाश्ता देना है, आखिर घर की बड़ी बहू हो, अपनी सास की बात सुनकर योगिता बिदक जाती है।

मम्मी जी, ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते हैं? बड़ी बहू हूं पर इंसान हूं, आपके लिए कहना आसान है, पर मुझमें हिम्मत नहीं हैं, घर में छोटी बहू भी है आज वो रसोई संभाल लेंगी, और हां वो पढ़ी-लिखी है, कमाती है, इसका मतलब ये नहीं की वो भगवान हो गई है, वो भी घर की बहू है, उसकी भी कुछ जिम्मेदारियां बनती है, मैं अकेली कब तक करूं? आज तो मेरी हिम्मत भी नहीं है।

हां, मम्मी आज कुसुम और आप रसोई संभाले योगिता आराम करेंगी, भावेश  बिना मां की ओर देखे बिना कहता है, और अपनी पत्नी को अस्पताल ले गया, वहां उसकी जांच करवाई और दवाईयां दी।

अगले दिन सोमवार को दुकान नहीं गया, दिन 

भर उसकी देखभाल की, दो-तीन दिन घर में कोहराम मचा रहा, हेमा जी और कुसुम को काम करना पड़ा।

भावेश ने अपनी पत्नी का दर्द समझा और उसकी मन से सेवा की, थोड़े दिनों में वो ठीक हो गई।

कुछ दिनों बाद दोपहर को योगिता हंसते हुए घर में आई और एक पत्र सबको दिखाया, उसे एक विद्यालय में नौकरी मिल गई है, और वो इसे जरूर करेगी।

हेमा जी को गुस्सा आ गया, ये क्या लगा रखा है? अब घर की बड़ी बहू नौकरी करेगी ? 

हां, मम्मी जी अगर कुसुम को नौकरी करने से घर में इज्जत मिलती है तो मैं भी नौकरी करूंगी, क्योंकि मैंने देख लिया, जो सबसे मुश्किल काम घर को संभालती है, उन बहूओं की ससुराल वाले जरा भी इज्जत नहीं करते हैं, इसलिए मैं भी नौकरी करूंगी, घर का काम दोनों मिल बांटकर करेंगे,  आखिर ये कुसुम का भी तो घर है, वो भी इस घर की बहू है।

अगर आपको ये स्वीकार नहीं है तो आप हमें बोल दीजिए, हम तीनों घर छोड़कर चले जायेंगे, क्योंकि घर जब दोनों बहूओं का है तो जिम्मेदारी भी दोनों की ही बनती है।

हेमा जी घर छोड़ने की बात से सहम गई, क्योंकि योगिता पूरा घर संभालती है, और भावेश पूरा व्यापार देखता है, अगर दोनों घर से चले जायेंगे तो उनके लिए मुश्किल हो जायेगी, उन्होंने भावेश को देखा, लेकिन भावेश ने आज  अपनी पत्नी का साथ दिया, जो इंसान अपनी पत्नी का साथ देता है, वो ससुराल में बड़ी इज्जत से रहती है।

शाम को सब लोग घर में बैठे और दोनों बहूओं को बराबर काम बांट दिये गये, अब योगिता और कुसुम दोनों नौकरी भी करती है और मिलकर घर के काम भी करने लगी थी।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खण्डेलवाल 

#ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते

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