Moral Stories in Hindi
राहुल बेटा जल्दी घर आ जाओ , रिशु हमारे बीच नहीं रही….. माँ नंदिनी का फोन था। राहुल सकते में आ गया क्या मतलब
नहीं रही ? बेटा वो मर गई , हमें छोड़ कर चली गई , तू जल्दी आ जा। इतना सुनते ही राहुल के हाथ -पैर ठन्डे पड़ गए। ऐसा
कैसे हो सकता है , अभी कल ही तो बात हुई थी उससे। कितना खुश होकर बात कर रही थी…. राहुल मन ही मन सोचते हुए
कुछ कपडे बैग में रखकर घर के लिए निकल पड़ा। बस में बैठते ही रिशु का चेहरा आँखों के सामने आ गया। कितनी खुशमिज़ाज
, मिलनसार थी। हर वक़्त कुछ न कुछ उल्टा – सीधा कर सबको हंसाती रहती।
कुल पांच लोगों का परिवार। माँ नंदिनी , पिता अजय,राहुल, रिशु और दादी थी।
पिता थोड़े सख़्त मिज़ाज के थे। अपनी इज्ज़त , साख़ के लिए कुछ भी करने को तैयार। इसके विपरीत माँ नंदिनी सरल और
अच्छे व्यक्तित्व वाली महिला। राहुल दिल्ली में रहकर सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहा था , और रिशु कॉलेज के द्वितीय
वर्ष में थी। दादी लकवाग्रस्त थी अत: ज़्यादातर बिस्तर पर ही रहती थी। वो बात तो करती पर बहुत धीरे -धीरे फुसफुसा कर
कहती। पर सभी उनसे बड़ा प्यार करते थे।
ख़ैर जैसे-तैसे राहुल घर पहुँचा , आँगन का मंजर दिल दहला देने वाला था। उसकी माँ की चीखों से पूरा घर गूँज रहा था। वो
डबडबाई आँखों से अपनी बहन की अर्थी देख रहा था। उसके आते ही उपहार पाने के लिए जो लड़की उसके पीछे पूरे घर में
भागती , आज बेजुवान पड़ी थी। हमेशा रंग -बिरंगे कपड़े पहनने वाली सफ़ेद कफ़न में लिपटी हुई थी। बक -बक करने वाली
एकदम ख़ामोश थी। उसे देख राहुल को ऐसा लग रहा था : अभी बोल पड़ेगी भैया क्या लाये आप मेरे लिए , बताइए न। राहुल
फूट -फूट कर रोया। थोड़ी देर बाद रिशु का अंतिम संस्कार कर दिया गया। माँ से पूछने पर उन्होंने बताया : बेटा उस रात मैं
पड़ोस में जागरण में गयी थी। तेरे पापा ने फ़ोन पर रिशु के सीढ़ियों से गिरने की बात बताई। वो कह रहे थे , रिशु रात को छत
पर थी अचानक बारिश शुरू हुई तो वो भागकर नीचे आते हुए सीढ़ियों से फिसल गई। सर पर गहरी चोट लगी थी कुछ कर पाते
, उससे पहले ही वो हमें छोड़ कर चली गयी।
दो दिन बाद अजय और नंदिनी रिशु की अस्थियां प्रवाहित करने चले गए। राहुल दादी को खाना खिलाने आया तो दादी ने
उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। वो धीरे -धीरे रिशु रिशु कहने लगीं। राहुल को लगा शायद दादी को भी उनकी याद आ रही
है। पर दादी ने फिर कुछ कहा जिससे राहुल सन्न रह गया। दादी बार -बार एक ही वाक्या दोहरा रही थी , मार डाला अजय ने
रिशु को मार डाला……… .. . जब तीन -चार दिन बाद अजय और नंदिनी घर लौटे तो राहुल जैसे तैयार ही बैठा था , क्यों मारा
आपने रिशु को ? पहले तो अजय ने झूठ ही कह दिया मैंने किसी को नहीं मारा। वो अपनी गलती की वजह से मरी है। झूठ मत
बोलिए दादी ने मुझे सब बता दिया है….. राहुल लगभग चीख़ते हुए बोला। हाँ मारा है मैंने तो क्या कर लेगा तू ? अजय चिंघाड़
कर बोले। वो एक विजातीय लड़के से प्यार करती थी। उस रात तेरी माँ जागरण में गयी हुई थी। मैंने उसे बातें करते सुन
लिया पूछा तो कहने लगी उसी से शादी करुँगी। मैंने बहुत समझाया पर वो मुझसे ही उलझ पड़ी। गुस्से में आकर मैंने उसे
थप्पड़ मारा और वो जाकर टेबल से टकरा गयी। उसका सिर फट गया। थोड़ी देर तड़पने के बाद वो मर गयी। मैंने तेरी माँ को
यही बताया कि वो सीढ़ियों से गिर गई। अजय ने सारी घटना बता दी , पर उन्हें इस बात का ज़रा भी अफ़सोस नहीं था।
नंदिनी को तो झटका ही लग गया, एक पिता अपनी बेटी की ही हत्या कर कैसे चैन से जी सकता है। राहुल और नंदिनी चाह कर
भी रिशु के लिए कुछ नहीं कर पाए। पुलिस में FIR करवाते पर सबूत न होने की वजह से कोई केस नहीं बन पाता। उस काली
रात का सच अब उनके दिलों में ही दफ़न हो गया था।
कहानी प्रतियोगिता : काली रात