देर आये दुरुस्त आये – संगीता अग्रवाल

” बेटा साक्षी कहाँ चल दी सुबह सुबह ?” सास सरिता अपनी बहू से बोली।

” मम्मी जी वो चाची जी ने बुलाया है उनकी बेटी का सिंधारा जायेगा तो बोली आकर गुंजिया बना दियो तो बस वही बनाने जा रही हूँ !” साक्षी बोली।

“पर बेटा तुम्हे तो कल बुखार था अब आज घंटों वहाँ लगी रहोगी तो तबियत और बिगड़ सकती है !” सरिता बोली।

” थोड़ा सा ही बुखार था मम्मीजी अब तो ठीक है आप चिंता मत कीजिये मैं जल्दी आ जाऊंगी आप बस गुड़िया को संभाल लीजियेगा !” साक्षी ये बोल मुस्कुराती हुई चली गई । 

” इसने तो किसी को ना बोलना ही नही सीखा सबको हर काम के लिए हां कर देगी भले फिर खुद परेशानी झेलती रहे !” पीछे सरिता बड़बड़ाई।

साक्षी चाची के घर से चार घंटे मे आई आते ही उसे तेज बुखार हो गया और चार दिन तक बिस्तर पर रही वो । यही होता है हर बार सरिता बहू से बहुत स्नेह रखती है उन दोनो को देख कोई नही कह सकता ये सास बहू है । घर के कामो मे भी सरिता भरपूर मदद करती है और साक्षी भी सास को पूरा मान देती है बस सरिता को साक्षी की यही बात पसंद नही कि वो किसी को ना नही कहती । 

” भाभी राम राम !” एक दिन सरिता की ननद मीना का फोन आया । 

” राम राम जीजी कैसे है सब ?” सरिता बोली। 

” सब बढ़िया है भाभी आप सबको लल्ला के जन्मदिन के लिए न्योता देने को फोन किया है सबको जरूर आना है  !” मीना बोली।

” हां हां जरूर आएंगे जीजी !” सरिता बोली।

” मैं ये कह रही थी भाभी कि साक्षी को जरा जल्दी भेज देना वो क्या है ना वो रसोई का काम संभाल लेती है तो मैं निश्चिन्त हो जाती हूँ । अब मेरी बहू का तो आप जानती हो रसोई मे जरा कच्ची है ।” मीना सरिता से बोली।

” जीजी कितने लोगो का प्रोग्राम है ?” सरिता ने साक्षी की तरफ देखते हुए पूछा क्योकि फोन स्पीकर पर था तो और लोग भी उनकी बात सुन रहे थे।

” भाभी ज्यादा नही बस 40-50 लोग होंगे !” मीना ये बोल हंस दी।

” जी बुआ जी प्रणाम ..मैं आ जाऊंगी आप चिंता मत कीजिये !” सरिता के कुछ बोलने से पहले साक्षी बोल पड़ी ।

” खुश रहो बेटा !” ये बोल मीना ने फोन काट दिया।

” साक्षी कैसे करोगी तुम 40-50 लोगो के खाने का बुआ को जन्मदिन मनाना ही है तो हलवाई बिठा लेती !” उसका पति तेजस फोन कटते ही बोला।

” और नही तो क्या …वहाँ सब मजे करेंगे और तुम रसोई मे लगी रहोगी ये कैसा न्योता है !” सरिता भी गुस्से मे बोली।

” मम्मी जी , तेजस जी आप लोग क्यो इतना गुस्सा हो रहे है बुआ जी की बहू और मैं मिलकर सब कर लेंगे !” साक्षी मुस्कुराते हुए बोली। 

” बहू ना कहना भी सीखो किसी को वरना सब तुम्हे बस काम के लिए ही याद करेंगे !” सरिता ने समझाया।

” मम्मीजी कोई मुझसे एक उम्मीद से बोलता है काम की अब उन्हे ना करके उनकी उम्मीद तोड़ना अच्छा नही लगता मुझे !” साक्षी बोली। सरिता और तेजस समझ गये इसे समझाना टेड़ी खीर है तो वो चुप हो गये। 

जन्मदिन वाले दिन साक्षी सुबह ही बुआ के यहाँ चली गई गुड़िया को सास के पास छोड़ । वहाँ जाकर उसने सब काम अच्छे से संभाल लिया । बुआ की बहू नीति तो बस नाम को ही मदद कर रही थी । जैसे ही शाम हुई नीति तैयार होने चली गई । साक्षी अकेले रसोई मे लगी रही दिन के पहने सिंपल सूट मे ही उसने केक कटने के समय शिरकत की जबकि नीति बहुत अच्छे से तैयार हुई थी । 

” बेटा नीति बहुत प्यारी लग रही हो , भाभी बड़ी सुघड बहू है आपकी तो देखो सारे इंतजामात करके भी तैयार हो गई !” साक्षी रसोई से बाहर जा रही थी तभी उसने बुआ सास की नंद की बात सुनी।

” और नही तो क्या लाखो में एक है मेरी बहू तो हर काम मे दक्ष मेरी भाभी की बहू की तरह नही जिसे तैयार होने का भी सलीका नही !” मीना अपनी ननद से बोली । ये सुन साक्षी को बहुत बुरा लगा हालाँकि वो कुछ बोल बखेड़ा खड़ा नही करना चाहती थी बच्चे के जन्मदिन पर इसलिए चुप रही और अपनी सास के पास आ गुड़िया को गोद मे ले लिया । 

” मम्मी जी यहाँ के सब काम तो निमट गये मैं अब घर जा रही हूँ गुड़िया को नींद आ रही है उसे सुला दूंगी !” साक्षी बोली।

” पर बेटा थोड़ी देर मे चलते है सब तेरी बुआ को भी बाहर आने दे !” सरिता बोली। 

” मम्मी जी आप बुआ जी से मिलकर आ जाइएगा मैं तेजस जी के साथ चली जाती हूँ !” साक्षी बोली और वहाँ से चली गई । सरिता हैरान थी क्योकि आज से पहले साक्षी ने ऐसा कभी नही किया वो तो सब काम खत्म होने के बाद ही घर जाती थी । फिर उन्होंने सोचा सुबह से लगी है थक गई होगी । 

” भाभी अच्छे से सब निमट गया …साक्षी दिखाई नही दे रही रसोई मे है क्या ?” तभी मीना ननद के साथ बाहर आ सोफे पर बैठती बोली। 

” जीजी साक्षी तो घर चली गई थक गई शायद सुबह से लगी थी ना !” सरिता बोली।

” हम्म्म… हां थक तो सभी गये वैसे सबने ही काम किया है !” अपनी ननद के सामने झेपते हुए मीना बोली ।

थोड़ी देर बाद सरिता भी घर आ गई तब तक गुड़िया सो चुकी थी । 

थोड़े दिनों बाद मीना का फिर फोन आया ” भाभी अपनी तृप्ति ( मीना की बेटी ) को लड़के वाले देखने आ रहे है आपको भी आना है और हां साक्षी को जरा जल्दी भेज दीजियेगा थोड़ी मदद हो जाएगी !” 

” ये तो बहुत अच्छी बात है तृप्ति की शादी कर आप भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाओगी ,लो आप साक्षी से ही बात करो !” ये बोल सरिता ने फोन स्पीकर पर डाल दिया । 

” बुआ जी मेरा आना तो थोड़ा मुश्किल हो जायेगा वो क्या है ना तेजस जी के दोस्त के यहाँ पार्टी है उस दिन मुझे उनके साथ जाना है ।” साक्षी बुआ को प्रणाम करने विनम्रता से बोली। 

” बेटा तृप्ति तुम्हारी भी तो ननद है यारी दोस्ती तो चलती रहती है पहले अपने जरूरी है ना !” मीना चाशनी मे भीगे शब्दों से बोली। 

” जी बुआ जी अपने तो जरूरी है आप फ़िक्र मत कीजिये मैं वहाँ से जल्दी आ जाऊंगी और सीधा आपके घर आ जाऊंगी तैयार तो मैं होंगी ही अच्छे से  !” साक्षी आखिरी वाक्य पर जोर देती हुई बोली तो मीना समझ गई उस दिन साक्षी ने उनकी बात सुन ली थी । उन्होंने काम का बहाना कर फोन काट दिया। 

सरिता मुस्कुराती हुई बहू को देख रही थी हालाँकि साक्षी ने उन्हे कुछ नही बताया था पर वो बहू के ना कहने पर हैरान भी थी खुश भी । 

” क्या बात है माँ क्यो ऐसे मुस्कुरा रही हो अकेले अकेले !” तभी वहाँ तेजस आकर बोला ।

” बेटा मेरी बहू ने ना कहना सीख लिया है , अब मैं ये तो नही जानती उस दिन तेरी बुआ के घर क्या हुआ पर इस बात की खुशी है मुझे कि अब इस पर अतिरिक्त काम का बोझ नही पड़ेगा क्योकि मैं जानती हूँ लोग इसकी ना नही कहने की कमजोरी का फायदा उठाते थे ।” सरिता साक्षी को देख बोली । साक्षी सरिता की बात सुन उनके गले लग गई और उन्हे उस दिन की सारी बात बता दी । 

” तुमने हमें पहले क्यो नही बताया ये सब !” तेजस थोड़े गुस्से मे बोला।

” तेजस जी रिश्ते जोड़े रखने को कुछ बाते नजरअंदाज़ करनी पड़ती है पर हां कभी कभी उन बातों से सीख भी मिल जाती है कि हर बार हां कहना भी आपकी अहमियत कम कर देता है इसलिए कभी कभी ना कहना भी जरूरी है !” साक्षी बोली।

” बिल्कुल सही … यही बात तो मैं तुम्हे कबसे समझाना चाहती थी चलो देर आये दुरुस्त आये !” सरिता हँसते हुए बोली तो सब हंस दिये ।  

दोस्तों हर समय सबकी मदद को तैयार रहने की आदत भी कुछ लोगो की नज़र मे आपकी एहमियत कम कर सकती है इसलिए कभी कभी ना भी कहना चाहिए पर हां विनम्रता के साथ । 

आपकी दोस्त 

संगीता अग्रवाल

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