लम्बी उम्र – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू :

क्या सचमुच अम्मा मजबूर हो जाती है बहुओं के आते ही ये सवाल सुनीता के मन में तब तक कौंधता रहा जब तक वो खुद सास नही बन गई। उसे याद है उस रोज की घटना जब वो पड़ोस वाली भाभी के घर में बैठी थीं और पड़ोसन से बतिया ही रही थी कि उनके बेटी का फोन आया तो उन्होंने यह कह कर काट दिया कि अभी थोड़ी देर में करना जब मैं अपने कमरे में जाऊंगी ,तुम्हारी भाभी  चाय लेकर आती ही होगी और हां सुनों बिट्टू की राखी जरूर भेजा देना  नही तो ….……..कहते हुए आंखे भर आई थी , मैंने देखा ये कहकर वो  अगले बंगले झांकने लगी थी  और झट से फोन काट दिया था।

ये देख मेरा भी दिल भर आया ,मुझसे रहा नही गया तो पूछा बैठी क्यों भाभी जी क्या रीना बेटी इस बार राखी पर नही आ रही ? ….. ।वो चुप रही उनकी चुप्पी बता रही थी कि आपस में कुछ ज्यादा ही ठना ठनी है इसलिए आना मुश्किल लग रहा।पर उन्हें तो दोनों तरफ के रिश्तें संभालने हैं ना उधर राखी नही जायेगी तो दामाद जी बेटी को ताने मार मार के जीना हराम कर देंगे और इधर अगर उसके बेटी की राखी नही आई तो बहू बेटे को चार बातें सुनायेगी। इसलिए दोनों को ही अपने तरीके से समझाकर कह दिया बाकी इनकी मर्जी।

पर बहू भी कम नही थी भाई बात चीत अपनी जगह है पर तीज त्योहार अपनी जगह भला” लाठी मारे काई फटती है कहीं” नही ना फिर रिश्ते कैसे टूट सकते है पर ये कुछ ज्यादा ही निष्ठुर निकली, त्योहार के एक दिन पहले तक इंतज़ार करती रहीं कि शायद ये कहे कि दीदी आ जाओ पर नही बोली ना ही उसके बेटे की राखी भेजी और तो और उसके द्वारा भेजी राखी भी बेटे को नही बांधी ये देख उनका कलेजा मुंह को आ गया पर चुप रहीं कुछ कर जो नही सकती थी ।और समय की प्रतिक्षा करने लगी।

ये देख सुनीता बहुत सहम सी गई कही ऐसा ना हो उनकी बहू भी ऐसा ही करे।

इसलिए बेटे की शादी के बाद हर कदम फूंक फूंक कर रखती है यहाँ तक की अधिकतर समझौते सबकी नज़र बचा कर वही करती हैं चाहे कितना कुछ भी हो जाये वो किसी के मारे में इंटरफीयर नही करती उतना ही मतलब रखती है जितना जरूरी है तभी तो वर्षो हो गए बेटे की शादी के पर सब कुछ ठीक ठाक है 

उनका कहना है कि जिन रिश्तों के बिना हम रह नही सकते उनसे तकरार कैसा। कमियां तो हर किसी में हैं फिर हम दूसरों कि कमियों को उजागर क्यों करें अगर मिलके रहना है तो समझौता करना ही होगा तभी तो रिश्तों की उम्र  उम्र लम्बी होगी।

कंचन श्रीवास्तव आरज़ू 

प्रयागराज

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