आज गीता बहुत दुखी थी कारण मम्मीजी ने उसे मैके में जाने का हुकुम सुना दिया था। गीता मम्मी जी के मायके नहीं जाना चाहती थी।
सो यह कालेज जब गयी तो जाते समय मम्मी ने हुकुम सुना दिया तीन दिन की छुट्टी कालेज से ले लो। वहां सुरेन्द्र के बेटे मोनू का मुंडन है।
यह मना करना चाहती थी मगर बोल नहीं पायी।कारण मम्मीजी के लगातार दो गमों ने तोडकर रख दिया था।पहले इसके श्वसुर दीनदयाल जी की मृत्यु सांप काटने से हुई और फिर एक साल के अंदर इसके पति गोलू की मृत्यु हो गई।यह एम ए,पी एच डी थी सो चटपट में अनुकंपा नियुक्ति का फायदा मिला और यह जे डी कालेज में व्याख्याता नियुक्त हो गई।
अब मम्मी जी के मायके बाले किसी न किसी बहाने से आते रहते थे और खूब खा-पी कर जाते।कभी कभी तो दस दिनों तक पड़े रहते थे। फिर तो यह सब देखती समझती थी मगर नादान और टूटे हुए दिल वाली मम्मी को यह सब नहीं दिखाई देता था।
इतना ही नहीं वे लोग बहू के खिलाफ भड़काते भी रहते थे।सो आज तीन दिनों से मामला गंभीर था।
इसके पति गोलू की बरसी पर पूरा मायके मम्मी का उठ आया था।यह आराम से अपना काम करती हुई वहीं उनकी देखरेख भी करती थी।इसे खल रहा था, ज्यादा से ज्यादा एक दिन का काम था और वे सब दस दिन रहकर गये थे।
अब पंद्रह अगस्त आनेवाला था सो छुट्टियां मिलनी मुश्किल थी। दूसरी ओर वे सब बहू को चार दिन के लिए बुलाना चाहते थे कारण मुफ्त की दाईं और खाना बनाने वाली बाई मिल जायेगी।
अब परेशानी ज्यादा हो गई थी।
इसे मैके के लोगों ने समझाया वहीं दफ्तर में भी समझाया कि आप प्रोफेसर हो।आपका इस तरह एन मौके पर अनुपस्थित रहना ठीक नहीं होगा।
सो शाम में लौटकर आते ही जैसे ही चाय लेकर आई कि मम्मी जी ने टोक दिया -क्या हुआ,कल सुबह चलना है न-
नहीं मम्मी जी,अभी पंद्रह अगस्त का कार्यक्रम है उसकारण छुट्टी नहीं मिली।
अरे मेरे मैके में मुंडन है उसमें तेरा होना जरूरी है।
मुंडन सोलह तारिख को है न, कालेज से आकर चले चलेंगे।
अरे तो फिर काम कौन संभालेगा? सारा कुछ तुम्हारे ही जिम्मे है।
मम्मीजी आप चले जाईए मैं मुंडन दिन पार्टी समय आ जाऊगी।अभी जाना मुश्किल है।
अरे फिर खाना और बाकी चीजें,-वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहें।
अरे होटल से खाना मंगा लेंगे और पूरा काम सल्टा लेंगे।
अब इस पर बहस न करें कारण मेरा छुट्टी मिलना मुश्किल है।
अब सास को समझ में आ गया कि #बहू ने ना कहना सीख लिया है।
वह पांव पटकती हुई चली गई।
#देय वाक्य -बहू ने ना कहना सीख लिया।
#शब्द संख्या -700कम से कम।
#रचनाकार-परमा दत्त झा, भोपाल।
(रचना मौलिक और अप्रकाशित है इसे मात्र यहीं प्रेषित कर रहा हूं।)